बैठ गया था संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस का डिब्बा, क्या रही तकनीकी वजह और क्या हो सकता था परिणाम
Advertisement
trendingNow0/india/bihar-jharkhand/bihar397717

बैठ गया था संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस का डिब्बा, क्या रही तकनीकी वजह और क्या हो सकता था परिणाम

 ट्रेन में अत्‍यधिक मुसाफिरों की मौजूदगी की वजह से उत्‍पन्‍न हुए वेट प्रेशर से किस तरह के खतरों की आशंका प्रबल हो जाती हैं. 

दिल्ली से पटना जाने वाले यात्री राजधानी एक्सप्रेस के बाद इसी ट्रेन को तवज्जो देते हैं

नई दिल्‍लीः संपूर्ण क्रांति एक्‍सप्रेस से जबरन मुसाफिरों को बाहर निकालने की घटना के बाद यह सवाल उठता है कि ऐसी कौन सी वजह हैं, जिनके चलते रेलवे को यह कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा. आइए हम आपको बताते हैं कि ट्रेन में अत्‍यधिक मुसाफिरों की मौजूदगी की वजह से उत्‍पन्‍न हुए वेट प्रेशर से किस तरह के खतरों की आशंका प्रबल हो जाती हैं. दरअसल रेलवे में लगातार हो रहे हादसों से सबक लेते हुए रेलवे प्रबंधन कोई भी ऐसा जोखिम नहीं लेना चाहता है. जिसके चलते सफर के बीच में ट्रेन हादसे का शिकार हो और मुसाफिरों की जान पर बन आए.

  1. ट्रेन की एक जनरल बोगी की छमता महज 90 से 100 यात्रियों के बीच
  2. छमता से दबाव पर स्प्रिंग टूटने और ट्रेन डिरेल होने का बढ जाता है खतरा
  3. बोगी का वेट प्रेशर, पहियों के साथ लगे स्प्रिंग की स्थिति, ब्रेक प्रेशर की होती है जांच

ट्रेन की जनरल कोच की छमता अधिकतम 100 यात्रियों की
रेलवे के वरिष्‍ठ अधिकारी के अनुसार ट्रेन के जनरल कोच की छमता 90 से 100 मुसाफिरों के बीच होती है. कोच में इस संख्‍या से अधिक मुसाफिरों के सवार होने के बाद कुद एहतियाती कदम उठाना आवश्‍यक हो जाता है. ऐसी स्थिति उत्‍पन्‍न होने पर बोगी का वेट प्रेशर, पहियों के साथ लगे स्प्रिंग की स्थिति, ब्रेक प्रेशर सहित अन्‍य पहलुओं पर स्‍टेशन दर स्‍टेशन जांच की जाती है. यदि स्प्रिंग पर दबाव बहुत अधिक हुआ तो पूरी ट्रेन के लिए खतरे की आशंका उत्‍पन्‍न हो जाती है. लिहाजा, किसी तरह को जोखिम लेने की बजाय रेलवे मुसाफिरों को ट्रेन से उतारना बेहतर मानती है.

स्प्रिंग टूटने पर ट्रेन के डिरेल होने का बना रहता है खतरा
रेलवे के वरिष्‍ठ अधिकारी के अनुसार सामान्‍य तौर पर कोशिश की जाती है कि जनरल कोच में 100 से अधिक यात्री सवार न हों. लेकिन ट्रेन विभिन्‍न स्‍टेशनों पर रुकते हुए चलती है, लिहाजा अन्‍य स्‍टेशनों पर लगातार मुसाफिरों के चढने और उतरने का सिलसिला जारी रहता है. कई बार हालात ऐसे हो जाते हैं कि बोगी में एक साथ 200 से 250 यात्री सवार हो जाते हैं. जिसके बाद रेलवे एहतियाती कदम उठाना शुरू कर देता है. ऐसा नहीं किया गया तो रास्‍ते में कभी भी कोच के पहियों के साथ लगे स्प्रिंग टूट सकते हैं और पूरी ट्रेन डिरेल हो सकती है. मसलन महज 100 यात्रियों की सुविधा-असुविधा के चलते ट्रेन में मौजूद हजारों यात्रियों की जिंदगी को खतरे में नहीं डाला जा सकता है.