...जब जज से लालू प्रसाद ने कहा - जेल में बहुत ठंड लगती है सर, जज बोले, 'तबला बजाइये'
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...जब जज से लालू प्रसाद ने कहा - जेल में बहुत ठंड लगती है सर, जज बोले, 'तबला बजाइये'

लालू ने जज से कहा, ‘‘साहब जेल में मेरे परिचितों को मुझसे मिलने नहीं दिया जा रहा है.’’ न्यायाधीश ने मुस्कराते हुए कहा, ‘‘इसीलिए तो आपको अदालत में बुलाते हैं जिससे आप सबसे मिल सकें.’’

न्यायाधीश शिवपाल सिंह ने लालू प्रसाद से पूछा, ‘‘जेल में कोई दिक्कत तो नहीं?’’

रांची: रांची स्थित विशेष सीबीआई अदालत से गुरुवार को जब राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने शिकायत की कि उनके परिचितों को उनसे जेल में मिलने नहीं दिया जा रहा है तो न्यायाधीश ने हंसते हुए कहा कि इसीलिए तो आपको अदालत में बुलाते हैं जिससे आप सबसे मिल सकें जिसके बाद अदालत में हंसी के फव्वारे फूट पड़े. चारा घोटाले के इस मामले में 23 दिसंबर को दोषी ठहराये जाने के बाद आज लालू प्रसाद एवं 15 अन्य अभियुक्तों की विशेष सीबीआई अदालत में पेशी थी.

  1. लालू ने जज से कहा - उन्हें जेल में परिचितों से मिलने नहीं दिया जा रहा है
  2. न्यायाधीश ने हंसते हुए कहा - इसीलिए तो आपको अदालत में बुलाते हैं
  3. जज की इस टिप्पणी से अदालत में हंसी के फव्वारे फूट पड़े

अदालत ने सजा के बिन्दु पर अभियुक्तों की ओर से बहस सुनी और इसी दौरान विशेष सीबीआई न्यायाधीश शिवपाल सिंह ने अदालत में पेश किए गए लालू प्रसाद की ओर इशारा कर पूछा, ‘‘जेल में कोई दिक्कत तो नहीं?’’ जवाब में लालू ने कहा, ‘‘साहब जेल में मेरे परिचितों को मुझसे मिलने नहीं दिया जा रहा है.’’ न्यायाधीश ने मुस्कराते हुए कहा, ‘‘इसीलिए तो आपको अदालत में बुलाते हैं जिससे आप सबसे मिल सकें.’’ न्यायाधीश की इस टिप्पणी से अदालत में हंसी के फव्वारे फूट पड़े.

लालू बोले - ठंडे दिमाग से विचार कीजिए सर
इसके बाद अदालत ने टिप्पणी की कि अब अदालत में आपकी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पेशी की व्यवस्था के बारे में विचार किया जा रहा है. इस पर लालू ने अनुरोध भरे स्वर में कहा, ‘‘साहब मुझे अदालत में सशरीर बुलाकर अपना फैसला सुनायें.’’ इस पर अदालत ने कहा, ‘‘आपकी पेशी अदालत में कैसे करायी जाये इसके बारे में कल ही फैसला करेंगे.’’ लालू ने कहा, ‘‘साहब फैसला देने के पहले ठंडे दिमाग से विचार करियेगा.’’ इस पर न्यायाधीश ने कहा, ‘‘आपके शुभचिन्तक दूर-दूर से फोन कर रहे हैं.’’ इसके बाद लालू ने कहा, ‘‘हमने कुछ नहीं किया जज साहब, जेल में बहुत ठंड लगती है.’’ 

जब जज महोदय ने कहा, 'तबला बजाइये'
इस पर न्यायाधीश ने कहा, ‘‘तबला बजाइये.’’ लालू ने मजाकिया अंदाज में कहा, ‘‘जेल में एक किन्नर भी बन्द है, गलती से आ गया है.’’ इस पर न्यायाधीश ने भी हल्के अंदाज में कहा, ‘‘आप हैं तो सब ठीक हो जायेगा.’’ अदालत ने अदालती फैसले के खिलाफ मीडिया में बयानबाजी के लिए कल राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह, बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं लालू के बेटे तेजस्वी यादव, राजद के नेता शिवानंद तिवारी तथा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी को अवमानना नोटिस जारी कर उन्हें स्वयं 23 जनवरी को अदालत में पेश होने के निर्देश दिये थे. इन मामलों को लालू ने खत्म करने का भी अनुरोध किया.

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लालू प्रसाद के खिलाफ चारा घोटाले का यह दूसरा मामला
लालू प्रसाद के खिलाफ चारा घोटाले से जुड़े कुल पांच मामलों में रांची में मुकदमे चल रहे थे जिनमें चाईबासा कोषागार से 37 करोड़ 70 लाख रुपये की अवैध निकासी के मामले में उन्हें तथा जगन्नाथ मिश्रा को 30 सितंबर, 2013 को दोषी ठहराये जाने के बाद तीन अक्टूबर को क्रमश: पांच वर्ष कैद, 25 लाख रुपये जुर्माने एवं चार वर्ष कैद की सजा सुनायी जा चुकी है. लालू प्रसाद के खिलाफ चारा घोटाले में यह दूसरा ऐसा मामला है जिसमें अब कल सजा सुनाये जाने की संभावना है. इसके अलावा उनके खिलाफ कुछ मुकदमे अभी चल रहे हैं जिनकी सुनवाई अंतिम दौर में है.

जेल से अदालत तक थे सुरक्षा के खास इंतजाम 
लालू की अदालत में पेशी को लेकर बिरसा मुंडा जेल से विशेष अदालत तक सुरक्षा के खास इंतजाम किए गए थे. बाद में लालू विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत से निकल कर चारा घोटाले के दो अन्य मामलों में पेशी के लिए गए और फिर वापस बिरसा मुंडा जेल चले गए. अदालत ने इस मामले में 22 आरोपियों में से 16 आरोपियों को दोषी करार देने के बाद उन्हें हिरासत में लेकर बिरसामुंडा जेल भेजने के निर्देश दिए थे.

950 करोड़ रुपए का है चारा घोटाला
नब्बे के दशक में बिहार में लालू प्रसाद यादव के मुख्यमंत्री काल में हुए लगभग साढ़े नौ सौ करोड़ रुपये के चारा घोटाले हुआ. घोटाले से 64 मामलों जुड़े हैं जिसमें लालू यादव पर छह मामलों में आरोपी हैं. लालू यादव को पहले ही चारा घोटाला मामले में दोषी ठहराया जा चुका है. उन्हें अक्टूबर 2013 में पांच साल कैद की सजा सुनाई गई थी. सीबीआइ का दावा है कि ये मामले रांची के चाईबासा, दुमका और पटना के कोषागार से जुड़े चारा घोटाले से ही निकले हैं लेकिन इनकी प्रकृति भिन्न-भिन्न है क्योंकि इसमें अलग-अलग कोषों की अलग-अलग राशियां शामिल थीं.