मुस्लिम परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़, तो गांव वालों ने दिया सहारा... बेटी की निकाह की खातिर इकट्ठा हो रहा 'चंदा'
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मुस्लिम परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़, तो गांव वालों ने दिया सहारा... बेटी की निकाह की खातिर इकट्ठा हो रहा 'चंदा'

ग्रामीण न सिर्फ खुद मदद कर रहे हैं बल्कि अन्य गांव से भी मदद के लिए खुद गांव-गांव जाकर मुस्लिम परिवार के लिए चंदा इकठ्ठा कर रहे हैं.

रतलाम का एक गांव मुसीबत झेल रहे मुस्लिम परिवार की मदद के लिए जुट गया है (प्रतीकात्मक तस्वीर)

रतलाम (चंद्रशेखर सोलंकी): हिंदुस्तान हमेशा भाईचारे की मिसाल रहा है और इस मिसाल को हमेशा हर भारतीय ने कायम रखा है. हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे की ऐसी ही एक मिसाल मध्यप्रदेश के रतलाम जिले के हतनारा गांव से सामने आई है. जानकारी के मुताबिक गांव के एक मुस्लिम परिवार के घर में कुछ दिनों पहले लगी आग में सबकुछ स्वाहा हो गया था. कुछ दिनों बाद उनकी बेटी का निकाह है. परिवार ने हिम्मत हार ली थी लेकिन ग्रामीणों ने हिम्मत नहीं हारी. पूरा गांव अब इस मुस्लिम परिवार की मदद के लिए जुट गया है.

  1. 5 फरवरी को शहजाद मंसूरी के घर आग लग गई थी जिसमें सबकुछ जल गया
  2. ग्रामीणों ने संकल्प लिया है कि शाहजाद मंसूरी का परिवार हमारे गांव का परिवार है
  3. शाहजाद मंसूरी की बेटी का निकाह पूरा गांव मिलकर करवाएगा

हतनारा गांव के ग्रामीणों ने पेश की एकता की मिसाल
ग्रामीण न सिर्फ खुद मदद कर रहे हैं बल्कि अन्य गांव से भी मदद के लिए खुद गांव-गांव जाकर मुस्लिम परिवार के लिए चंदा इकठ्ठा कर रहे हैं. इसके पीछे एक ही मकसद है कि किसी तरह उनकी बेटी का निकाह भी हो जाए, और परिवार को भी हिम्मत मिल जाए. इस तरह रतलाम जिले के हतनारा गांव के ग्रामीणों ने आपसी एकता की मिसाल पेश की है.

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आग ने सबकुछ जला कर किया खाक
जानकारी के मुताबिक गांव में ही शहजाद मंसूरी का परिवार रहता है जो घर पर रजाई गादी बनाने का काम कर गुजारा करते हैं. बीती 15 फरवरी को शहजाद मंसूरी के घर आग लग गई. उस वक्त शहजाद मंसूरी गांव में नहीं थे. उनका परिवार घर पर ही था. गांव वालों ने फायर ब्रिगेड की गाड़ी आने से पहले अपने घरों से पानी लेकर आग पर काबू पाने की कोशिश की और परिवार को सुरक्षित बाहर निकाला. लेकिन, घर का सारा सामान जलकर खाक हो गया. आग में शहजाद मंसूरी की गादी रजाई बनाने की मशीन भी जल गई. ऐसे में शहजाद मंसूरी के पास खाने तक का सामान नहीं बचा.

बेटी की निकाह की तैयारी में जूटा पूरा गांव
गांव वालों ने 3 दिन तक पहले तो शहजाद के घर को व्यवस्थित किया और 3 दिन तक अलग-अलग घरों से खाने की व्यवस्था शहजाद मंसूरी के परिवार के लिए की गई. लेकिन, बड़ी समस्या यह थी कि शहजाद मंसूरी की एक बेटी का निकाह तय हो चुका था और अगले महीने 4 अप्रैल को निकाह होना था. ऐसे में शहजाद मंसूरी पूरी तरह टूट गए. लेकिन, गांव हतनारा के ग्रामीणों ने एक बार फिर हिंदुस्तान में भाईचारे की मिसाल को कायम किया. ग्रामीणों ने शहजाद मंसूरी के परिवार को न सिर्फ संभलने तक सहारा देने का संकल्प लिया. बल्कि शहजाद मंसूरी की बेटी के निकाह की तैयारी में जुट गए.

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पूरा गांव मिलकर करवाएगा बेटी का निकाह
ग्रामीणों ने संकल्प लिया है कि शाहजाद मंसूरी का परिवार हमारे गांव का परिवार है और इनकी बेटी की शादी तय तारीख पर ही बड़े धूम धाम से होगी. और शाहजाद मंसूरी की बेटी का निकाह पूरा गांव मिलकर करवाएगा. गांव के सरपंच ने भी शासकीय सहायता के लिए शासन को जानकारी देकर पटवारी को बुलवाया और पटवारी ने जांच रिपोर्ट तैयार कर मुआवजा जल्द दिलवाने का आश्वासन भी दिया है.

पूरे देश में हो यही भावना
लेकिन, शासन की सहायता का इंतजार न करते हुए ग्रामीणों ने शहजाद मंसूरी के परिवार का जिम्मा उठा लिया है. ग्रामीण कहते हैं कि हमारे गांव में शहजाद मंसूरी को कभी अलग धर्म के नजरिए से नहीं देखा गया और न ही शहजाद मंसूरी कभी हमसे अलग रहे. शहजाद मंसूरी हर त्योहार पर हमारे साथ शामिल होते और हम शहजाद मंसूरी के परिवार की खुशियों में सरीख हुए हैं. आज इनके परिवार की मुसीबत को हम हमारी समझकर इनके साथ हैं. गांव वालों का कहना है कि पूरे देश में भी यही भावना होनी चाहिए.

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गांव वालों के साथ ने दी फिर से हिम्मत
शहजाद मंसूरी बताते हैं कि गांव ने इस बड़ी आफत के बाद भी हमें अपने परिवार की तरह अपने साथ रखा है. आज जब खेती मजदूरी का व्यस्ततम समय ग्रमीणों का है तब भी सब कुछ छोड़ कर सभी गांव वाले मेरे परिवार की मदद में लगे हैं. मैंने अपनी बेटी के निकाह की आस छोड़ दी थी. लेकिन, गांव वालों ने मुझे साथ देकर फिर से हिम्मत दी है.

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