मध्यप्रदेश के मालवा में अफीम को काली देवी का रूप तो माना ही जाता है, इसे पूजा भी जाता है.
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नीमच (प्रितेश सारडा): मध्यप्रदेश के मालवा में अफीम को काली देवी का रूप तो माना ही जाता है, इसे पूजा भी जाता है. इलाके में लोग इसे काला सोना भी कहते हैं. वर्तमान समय में मालवा क्षेत्र के किसान के लिए जो बहुमूल्य फसल है वो अफीम की फसल ही है. यह अफीम किसानों को अच्छा पैसा तो दिलाती ही है साथ ही जो किसान समाज है उसमें उसका रुतबा भी बढ़ाती है. यहां माना जाता है कि जिसकी अफीम की फसल होती है उसका किसान समाज में एक अलग ही पहचान और अपना एक अलग ही रुतबा होता है.
हमेशा लगा रहता है इस बात का खतरा
जी हां, हम बात कर रहे हैं मालवा के नीमच की. यहां का अफीम किसान इस वक्त अपनी अफीम की फसल को लेकर बेहद चिंतित है. दरअसल, पिछले कुछ सालों में अफीम चोरी के कई मामले सामने आए हैं. जिनमें अफीम चुराने वाले खेतों से अफीम के पूरे फल ही तोड़ ले जाते हैं. इस वजह से किसान को भारी नुकसान हो जाता है. नौबत यहां तक भी आ जाती है कि किसान पर उसके लाइसेंस निरस्त होने का खतरा मंडराने लगता है.
जंगली जानवारों से नहीं यहां चोरों से है खतरा
वर्तमान में किसान जंगली जानवरों द्वारा नुकसान पहुंचाए जाने से इतना चिंतित नहीं है जितना अफीम चोरों से है. कई वारदातें ऐसी भी हुई हैं जिनमें यह सामने आया है कि अफीम किसानों ने अफीम खेतों से लाकर अपने घर में रखे और किसानों पर ही हमला करके सीधे-सीधे अफीम लूट ली गई. अफीम की चोरी और अफीम की लूट किसान के लिए बड़ी चिंता का विषय है. यही वजह भी है कि किसान अपनी जान पर खेलकर अफीम की फसल को उगा रहा है. क्योंकि अन्य फसलों में इतना मुनाफा और मान-सम्मान नहीं मिलता जितना अफीम की फसल में मिलता है.
किसान खेतों की करते हैं कड़ी सुरक्षा
दरअसल, केंद्र सरकार द्वारा किसानों को अफीम के पट्टे दिए जाते हैं. इसके अलावा अफीम की फसल तीन माह की होती है. किसान इस फसल की देखभाल अपने बेटे से भी ज्यादा अच्छे से करता है. इस समय अफीम की फसल पूरी तरह से यौवन पर है. और डोडे आने के साथ-साथ इस की चिराई का कार्य भी शुरू हो गया है. ऐसे में अब इस फसल पर खतरा मंडराने लगा है. इस फसल की सुरक्षा के लिए किसान रात-दिन अपने खेतों पर ही बिता रहा है. इस ठंड में नीमच का अफीम किसान हाथ में बंदूक और लाठी लिए रात में अपने खेत पर पहरा दे रहा है. किसान चोर और तस्करों से इस फसल को बचाने के लिए कड़ी सुरक्षा कर रहे हैं.
पिछले साल हुई थी दर्जनों घटनाएं
गौरतलब है कि पिछले साल नीमच जिले में अफीम डोडा चोरी होने की दर्जनों घटनाएं हो चुकी हैं. इस बार यह घटनाएं ना दोहराएं इसके लिए यहां किसान कड़ी सुरक्षा कर रहे हैं. इसके साथ ही आपको यह भी बता दें कि अफीम किसानों को नॉरकोटिक्स विभाग को इसका ग्राम-ग्राम का हिसाब देना पड़ता है. यदि अफीम औसत मान से किसान द्वारा नॉरकोटिक्स विभाग को अफीम कम दी जाती है तो ऐसे में अफीम किसान का पट्टा भी कट सकता है और जिसके बाद वो कभी इसकी खेती नहीं कर सकता.