पीड़ित परिवार का दर्द जब कलेक्टर मुंगेली नीलम नामदेव एक्का को पता चला तो उन्होंने पीड़ित परिवार के लिए हरसंभव मदद करने की बात कही
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मुंगेली (राकेश ठाकुर): छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले में इन दिनों एक दुखियारी मां अपने बच्चे को दर्द से छुटकारा दिलाने और उसके बेहतर इलाज के लिए दर-दर की ठोकरें खाती फिर रही है. अपने कलेजे के टुकड़े को बिस्तर में तड़पता देख मां के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. दुखियारी मां बच्चे के इलाज के लिए अपने घर को बेचकर घायल बेटे के शरीर को ठीक करने में लगा चुकी है. लेकिन, अब राशि खत्म होने के बाद निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने इलाज करने से मना कर दिया है. ऐसे में बेबस मां अपने बेटे को घर लाकर उसके मरने का इंतजार कर रही है.
सड़क दुर्घटना में घायल हुआ बेटा
ऐसा नहीं है कि वो अपने बच्चे के लिए कुछ कर नहीं रही बल्कि उसके इलाज के लिए जगह-जगह दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो गई है. लेकिन, उसे कोई दर्द के जख्म को भरने वाला नहीं मिल पा रहा है. सड़क दुर्घटना में घायल हुए अपने बेटे के इलाज के लिए जब दुखयारी मां कलेक्टर ऑफिस पहुंची तो कलेक्टर ने उसकी फरियाद सुनने के बाद मामले को अपने संज्ञान में लिया और प्रशासन द्वारा हरसंभव मदद करने का आश्वासन भी दिया.
बाइक की एक टक्कर ने बदल दी पूरे घर की तकदीर
जानकारी के मुताबिक इन दिनों बिस्तर पर तड़पता 20 वर्षीय बेटा नकुल मनहर अपने परिवार का बड़ा बेटा था. और कभी अपने घर के लिए 2 पैसे जोड़ने के लिए मेहनत मजदूरी का काम करके परिवार का भरण पोषण में सहयोग करता था. लेकिन, 3 जनवरी इस परिवार के लिए बड़ा ही दर्द भरा दिन बनकर सामने आया. उस दिन नकुल अपनी बड़ी बहन और उसके 2 मासूम बच्चों को लेकर जरहागांव थाना के बरेला में बस में छोड़ने गांव से आया था और सड़क किनारे खड़े होकर बस का इंतजार कर रहा था. इसी बीच अज्ञात मोटरसाइकल सवार युवक ने नकुल, उसकी बहन और 2 मासूमों को ठोकर मार दी.
पैसे खत्म होते ही इलाज करने से किया इनकार
टक्कर की वजह से सभी घायल हो गए. जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए बिलासपुर सिम्स रेफर किया गया. नकुल की बहन और उसके दोनों बच्चों को मामूली चोट आने की वजह से वो जल्दी ही स्वस्थ हो गए. वहीं दूसरी ओर नकुल का इलाज सही तरीके से नहीं होता देख गरीबी के चलते बेबस मां ने घर का बिक्रीनामा कर और संबंधित लोगों से 3 लाख का उधार लेकर घायल नकुल के लिए निजी अस्पताल में खर्च किए. लेकिन जैसे ही पैसे खत्म हुए निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने इलाज करने से मना कर दिया.
इलाज के अभाव में बिस्तर पर तड़प रहा है कलेजे का टुकड़ा
जिसके बाद यह पीड़ित परिवार अपने बच्चे को वापस घर ले आया है और इलाज कराने की असमर्थता जाहिर करते हुए मंत्री और अफसर के पास पहुंच कर अपने बेटे की इलाज कराने के लिए भीख मांग रही है. यहां तक कि जरहागांव थाना में पीड़ित को आहत करने वाले के बारे में जानकारी दी गई पर थानेदार साहब किसी तरह की कोई कार्रवाई नही कर रहे हैं. बेबस मां जमना बाई इलाज के लिए भीख मांग कर दर-दर की ठोकर खाकर थक चुकी हैं. वह अब कहती है कि इलाज नहीं हुआ तो बस वो अपने बेटे के मरने का इंतजार कर रही है. वहीं नकुल के पिता गोपाल दास बताते हैं कि इलाज के अभाव में उनका बेटा तड़प-तड़प के जी रहा है. मजदूरी करके रोज 50-100 रुपये कमाते हैं. वो इसमें खर्च कर देते हैं. पर इसका इलाज सही तरीके से नहीं हो रहा.
कलेक्टर ने दिया मदद का आश्वासन
पीड़ित परिवार का दर्द जब कलेक्टर मुंगेली नीलम नामदेव एक्का को पता चला तो उन्होंने पीड़ित परिवार के लिए हरसंभव मदद करने की बात करते हुए मामले में अलग से एसपी से चर्चा करने की बात कही. ताकि जिस शख्स ने एक्सीडेंट किया है उसके खिलाफ मामला दर्ज हो साथ ही इलाज के लिए जिला अस्पताल में निःशुल्क बेहतर इलाज के लिए आदेशित करने की बात कही.