बुंदेलखंड: 60 फीसदी पानी के स्‍त्रोत सूखे, 50 फीसदी लोगों ने किया पलायन
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बुंदेलखंड: 60 फीसदी पानी के स्‍त्रोत सूखे, 50 फीसदी लोगों ने किया पलायन

राजेद्र सिंह की रिपोर्ट के मुताबिक बुंदेलखंड के 60 फीसदी से ज्यादा जल स्त्रोत पूरी तरह सूख चुके हैं जिस वजह से 50 फीसदी से ज्यादा लोग पलायन कर गए हैं. 

बुंदेलखंड से अब पलायन नहीं बल्कि विस्थापन हो रहा है (फाइल फोटो)

भोपाल: 'स्टॉकहोम वॉटर प्राइज' से सम्मानित और जलपुरुष के नाम से चर्चित राजेंद्र सिंह ने कहा कि पानी के संकट और सरकारों के उपेक्षित रवैये के चलते इस इलाके पर हर तरफ से चोट हो रही है. जन-आंदोलन 2018 के सिलसिले में ओरछा में आयोजित सम्मेलन में हिस्सा लेने आए राजेद्र सिंह ने पिछले दिनों जमीनी स्तर पर हालात का जायजा लेने के बाद तैयार की गई रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि यह वह इलाका है जहां 60 फीसदी से ज्यादा जल स्त्रोत पूरी तरह सूख चुके हैं, फसलों की पैदावार मुश्किल हो गई है. रोजगार के अवसर नहीं हैं, 50 फीसदी से ज्यादा लोग पलायन कर गए हैं. गांव में अब सिर्फ बुजुर्ग और बच्चे ही ज्यादा बचे हैं. 

  1. सरकार ने बुंदेलखंड की हकीकत पर पर्दा डालने की कोशि‍श की.
  2. बुंदेलखंड से अब पलायन नहीं बल्कि विस्थापन हो रहा है. 
  3. शिवराज सरकार का दावा बुंदेलखंड की स्थिति पर नजर रखी है.

इस रिपोर्ट के जारी किए जाने के बाद शिवराज सरकार की ओर से दावा किया गया कि बुंदेलखंड की स्थिति पर नजर रखी जा रही है. साथ ही जो ब्योरा जारी किया गया उसके मुताबिक, इस इलाके के लगभग 88 फीसदी हैंडपंप ठीक होना बताया गया. जब सिंह से पूछा गया कि सरकार तो आपकी रिपोर्ट के उलट बात कह रही है, तो उनका जवाब था कि जब आंख का पानी सूख जाए तो उसे धरती का पानी कहां समझ में आएगा. 

बदली सरकारें, पर नहीं बदला बुंदेलखंड का भाग्य...

सरकार ने की रिपोर्ट की अनदेखी
सिंह ने कहा कि सरकारों के साथ दिक्कत यही है कि अफसर जो रिपोर्ट भेज देते हैं उसे ही जारी कर देती है. वह हकीकत जानने की कोशिश नहीं करती. इस मामले में भी यही हुआ है, सरकार ने बुंदेलखंड की हकीकत पर पर्दा डालने में तनिक भी देरी नहीं की. सरकार अगर वाकई में गंभीर होती तो रिपेार्ट का अध्ययन करती और वास्तविकता जानती. सिंह ने एक सवाल के जवाब में कहा कि बुंदेलखंड के रेलवे स्टेशनों पर जाकर देखा जा सकता है कि कितनी बड़ी तादाद में लोग पलायन कर रहे हैं. सवाल उठता है कि अगर यहां पानी और रोजगार होता तो वे घर क्यों छोड़ते? सरकार बताए कि उसने किसी अफसर को इन स्टेशनों पर भेजना उचित समझा क्या?

अंधविश्‍वास में फंस रहे हैं लोग 
उन्होंने आगे कहा कि बुंदेलखंड से अब पलायन नहीं बल्कि विस्थापन हो रहा है.  जो लोग जाते हैं उनमें से कई परिवार कभी लौटकर नहीं आते, यह सिलसिला साल दर साल बढ़ता जा रहा है. दूसरी ओर कुछ कथित पंडे, लोगों को यह डर दिखाते हैं कि भगवान नाराज हैं, इसलिए यह स्थितियां बनी है, लिहाजा पूजा पाठ के लिए वे अनाज दान करें. लोग उनके बहकावे में आ जाते हैं और घरों में रखे अनाज को पूजा-पाठ के नाम पर उन्हें सौंप देते हैं. 

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शुरू हो जल संरक्षण का अभियान
राजेंद्र सिंह ने मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सरकारों को सलाह दी है कि वह वास्तविकता को खुली आंखों से देखें. समय रहते उसने जल संरक्षण का अभियान चलाया तो आने वाले वक्त में यहां के लोगों के जीवन को खुशहाल बनाया जा सकेगा, अगर पुरानी राजनीतिक बयानबाजी और जुमलेबाजी चलती रही तो लोगों की जिंदगी और बदतर हो जाएगी. 

(इनपुट: IANS)

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