2003 और 2008 में बड़े अंतर से विधानसभा चुनाव जीतने के बाद भी 2013 में भाजपा को कांग्रेस के आगे हार का सामना करना पड़े.
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रायपुरः छत्तीसगढ़ की कांकेर विधानसभा सीट के लिए हर बार की तरह इस बार भी भाजपा-कांग्रेस में जबरदस्त संग्राम चल रहा है. जहां एक ओर कांग्रेस 2013 में मिली जीत को जारी रखने की कोशिश में जुटी है तो वहीं भाजपा भी 2013 की हार का बदला लेने के लिए बेताब दिख रही है, लेकिन इन सब के बीच आम आदमी पार्टी भी इस बार कांकेर विधानसभा सीट पर जीत हासिल करने की कोशिशों में जुटी है. दरअसल, क्षेत्र की धीमी विकास गति के चलते यहां की जनता कांग्रेस और भाजपा से काफी नाराज चल रही है. जिसके चलते हो जनता इस बार अन्य किसी पार्टी को मौका दे सकती. ऐसे में आम आदमी पार्टी क्षेत्र की जनता के लिए नया विकल्प बनकर उभरी है.
कांकेर का चुनावी इतिहास
बता दें 2003 और 2008 में हुए विधानसभा चुनावों में क्षेत्र की जनता ने बीजपी प्रत्याशियों को अपना नेता चुना था और दोनों ही बार कांग्रेस को बड़े अंतर से हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन बात करें 2003, 2008 और 2013 के विधानसभा चुनावों की तो तीनों ही बार कांग्रेस सहित भाजपा ने उम्मीद्वार बदले थे. किसी भी नेता को लगातार दो बार इस सीट पर चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिला. वहीं 2003 और 2008 में बड़े अंतर से विधानसभा चुनाव जीतने के बाद भी 2013 में भाजपा को कांग्रेस के आगे हार का सामना करना पड़े.
2003 विधानसभा चुनाव नतीजे
2003 में बीजेपी के अघन सिंह ने 50,198 वोट हासिल किए तो वहीं कांग्रेस के श्याम ध्रुव 24,387 वोट ही हासिल कर पाए. जिससे श्याम ध्रुव को बड़े अंतर से हार का सामना करना पड़ा.
2008 विधानसभा चुनाव नतीजे
बात की जाए 2008 के विधानसभा चुनावों की तो इस बार भी कांग्रेस कोई खास कमाल नहीं दिखा सकी. एसटी आरक्षित इस सीट पर जहां भाजपा उम्मीद्वार सुमित्रा मार्कोले ने 46,979 वोट पाए तो वहीं कांग्रेस से प्रीति नेतम को 29,290 वोट ही मिल सके.
2013 विधानसभा चुनाव नतीजे
वहीं 2013 के चुनावों में कांग्रेस के शंकर ध्रुव ने पिछली दो हारों का बदला लेते हुए 50,586 वोट पाकर भाजपा के संजय कोडोपी को कड़ी मात दी. शंकर ध्रुव की तुलना में संजय कोडोपी को केवल 45,961 वोट ही मिल सके.