मध्यप्रदेश में राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों का भविष्य 28 नवंबर को वोटिंग मशीन में कैद हो चुका है.
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नई दिल्ली: मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ रहे राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों का भाग्य इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईव्हीएम) में कैद हो चुका है. इस चुनाव में दिग्गज नेताओं, राजघराने के सदस्यों से लेकर पूर्व नौकरशाहों तक का भविष्य दांव पर लगा है. अब 11 दिसंबर को आने वाले रिजल्ट का सबको बेसब्री से इंतजार है. चुनाव मैदान में कई आम व्यक्तियों समेत किन्नर भी शामिल हैं जो 230 सदस्यीय राज्य विधानसभा के लिए अपना भाग्य आजमा रहे हैं. राज्य में लगातार 15 साल से बीजेपी सत्ता में है.
शिवराज सिंह चौहान
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चौहान लगातार चौथी बार बीजेपी के मुख्यमंत्री का चेहरा हैं और वह सीहोर जिले की अपनी परंपरागत बुधनी सीट से चौथी बार चुनाव लड़ रहे हैं. इस सीट से वर्तमान चौहान ने 1989-90 में अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ा था. अबकी बार चुनाव में शिवराज का मुकाबला कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव से है. यादव पश्चिमी मध्यप्रदेश के निमाड़ इलाके के खरगौन जिले के रहने वाले हैं, लेकिन कांग्रेस ने उन्हें इस बार बुधनी सीट से उम्मीदवार बनाया है ताकि वह चौहान को उनके गृहक्षेत्र में चुनौती दे सकें. शिवराज ने यादव को ‘‘बलि का बकरा’’ बताया है, लेकिन कांग्रेस नेता अपनी जीत के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. उधर, सीएम चौहान के बेटे कार्तिकेय और पत्नी साधना सिंह चौहान भी दिन-रात प्रचार में लगे रहे. 229 विधानसभाओं में व्यस्त रहने के कारण बीजेपी के स्टार प्रचारक शिवराज अपने क्षेत्र में प्रचार करने नहीं आ सके.
भितरवार से अनूप मिश्रा
पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी के भांजे और मुरैना-श्योपुर संसदीय क्षेत्र से बीजेपी सांसद अनूप मिश्रा इस बार राज्य की भितरवार विधानसभा से चुनावी मैदान में हैं. उनकी टक्कर कांग्रेस के मौजूदा विधायक लाखन सिंह यादव से है. लाखन पिछले 10 साल से क्षेत्र के विधायक हैं. अनूप मिश्रा 2013 विधानसभा चुनाव में लाखन सिंह यादव से ही 6,548 वोटों से चुनाव हार गये थे. लेकिन, पार्टी ने एक बार फिर उन्हें इस सीट से प्रत्याशी बनाया गया है. अनूप मिश्रा चार बार विधायक रहे. सबसे पहले वह 1990 में विधानसभा के लिए चुनकर पहुंचे. इसके बाद 1998 से लेकर 2013 तक लगातार मध्यप्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे. 2013 में भितरवार सीट से चुनाव लड़े, लेकिन हार गए. 2014 में उन्हें पार्टी ने मुरैना से लोकसभा का टिकट दे दिया. मोदी लहर में वह मुरैना से भी जीत गए. जबकि ये उनकी घरेलू सीट नहीं थी.
आकाश विजयवर्गीय
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के पुत्र आकाश अपना पहला चुनाव इंदौर-3 सीट से पूर्व कांग्रेस विधायक अश्विन जोशी के खिलाफ लड़ रहे हैं. यह मुकाबला भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है. काफी मशक्कत के बाद टिकट हासिल करने वाले दिग्गज नेता कैलाश ने अपने बेटे को चुनाव जिताने के लिए पूरा दमखम लगा दिया है. इस टिकट के लिए कैलाश इस बार खुद मैदान से हट गए हैं.
भोजपुर सीट
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता सुरेश पचौरी ने पिछली बार का हारने के बाद अब इस चुनाव में फिर से ताल ठोकी है. उनका मुकाबला भोजपुर विधानसभा सीट से मौजूदा मंत्री सुरेंद्र पटवा से है. हालांकि, पचौरी अब तक एक भी चुनाव नहीं जीते हैं. मगर इस बार पटवा के खिलाफ चल रही लहर को पचौरी भुना रहे हैं. अब 11 दिसंबर को दोनों का परिणाम सामने आने का इंतजार है.
भोपाल उत्तर सीट
2003 में बीजेपी की उमा भारती समेत 2014 में मोदी लहर के बावजूद मध्यप्रदेश की मुस्लिम बाहुल्य भोपाल उत्तर सीट पर दो दशक से कांग्रेस का कब्जा है. आरिफ अकील इस सीट का राज्य की विधानसभा में प्रतिनिधित्व करते हैं. बीते चुनावों में खेत रही बीजेपी ने इस बार अकील के खिलाफ कांग्रेस नेता रसूल अहमद सिद्दीकी की बेटी फातिमा का चुनावी मैदान में उतारा है. देश के दिग्गज बीजेपी नेताओं ने फातिमा के लिए उनके क्षेत्र में वोट मांगे. अब देखना यह है कि इस सीट से किसको कामयबी हासिल होती है.
ग्वालियर दक्षिण
जिले की 6 विधानसभा सीटों में ग्वालियर दक्षिण पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं. लगातार तीन बार से बीजेपी विधायक नारायण सिंह कुशवाह को इस चुनाव में कांग्रेस के अलावा अपनी ही पार्टी की सदस्य रहीं समीक्षा गुप्ता से चुनौती मिल रही है. बीजेपी से टिकट न मिलने पर ग्वालियर की पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता चुनावी मैदान में हैं. उधर, कांग्रेस ने इस सीट से युवा नेता प्रवीण पाठक पर दांव लगाया है.
शिवराज के साले संजय सिंह मसानी
बालाघाट जिले की वारासिवनी सीट से कांग्रेस ने संजय सिंह मसानी को प्रत्याशी बनाया है. आपको बता दें कि संजय सिंह, प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साले हैं. बीजेपी से टिकट न मिलने पर संजय ने कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ से अपनी नजदीकियों का फायदा उठाते हुए वारासिवनी से टिकट ले लिया. अब उनकी टक्कर बीजेपी उम्मीदवार योगेंद्र निरमल से है. उधर, इस सीट से निर्दलीय उम्मीदवार गौरव पंडित ने खड़े होकर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है.
नेहा किन्नर
अंबाह विधानसभा सीट से किन्नर नेहा (28) के चुनाव मैदान में आने से मुकाबला रोचक हो गया है. नेहा की जनसभाओं में उमड़ती भीड़ ने अन्य दलों के उम्मीदवारों के माथे पर बल ला दिए हैं. दरअसल, नेहा ने अनुसूचित जाति और जनजाति अधिनियम का विरोध किया है. इसी के चलते सवर्णों के संगठन सपाक्स ने नेहा को खुला समर्थन दे दिया है. उधर, बसपा ने अपने मौजूदा विधायक सत्यप्रकाश पर एक बार फिर से विश्वास जताया है. क्षेत्र की जनता के बीच सक्रिय सत्यप्रकाश ने पिछले चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार बंशीलाल जाटव को 11 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था. इसी सीट से बीजेपी ने गब्बर सिंह और कांग्रेस ने कमलेश जाटव पर दांव खेला है. MP विधानसभा चुनाव: 6 किन्नर चुनावी मैदान में ठोक रहे हैं ताल, बीजेपी-कांग्रेस का बिगाड़ा गणित