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Gita Saar: इन दो हालातों में कोई फैसला लेने से बचें, तबाही की राह पर चली जाएगी जिंदगी

Gita Saar: भगवान कृष्ण ने गीता में जो जो बातें कही है वो आज के समय में भी हमें फैसले लेने में मदद करती है. आइये जानते हैं तबाही से बचने के लिए हमें किन हालातों में कोई फैसला नहीं लेना चाहिए.

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Gita Saar: हर कोई जीवन में कई समस्याओं से गुजरता है. इसके लिए उसे कई बड़े फैसले लेने होते हैं. हालांकि, कई बार फैसले गलत हो जाते हैं. इसका कारण होता है गलत समय में लिया गया सही फैसला.

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किसी भी फैसले को लेते समय वक्त, हालात का ध्यान रखा जाए तो उसका असर सकारात्मक होता है. लेकिन, अब सलाव ये उठता है की सही वक्त और हालात होते कौन से हैं जिसमें फैसले लेना चाहिए.

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वक्त और हालात के सवाल का जवाब मिलता है गीता में. श्रीमद्भागवत गीता में भगवान कृष्ण ने कई उपदेश दिए हैं, जिन्हें अगर मान लिया जाए तो जिंगदी बेहतर हो जाती है.

कह नहीं लेना चाहिए फैसला

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कह नहीं लेना चाहिए फैसला

श्रीमद्भागवत में भगवना कृष्ण ने बताया है की व्यक्ति को 2 वक्त में कोई फैसला लेने से बचना चाहिए. ऐसा करने से जीनव की तरक्की रुक जाती है और आप संकट में घिर जाता हैं. आइये जानें क्या है गीता का सार

पहली सेचुएशन

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पहली सेचुएशन

जब आप क्रोध, चिंता में होते हैं तो ऐसे समय में कोई फैसला लेने से बचना चाहिए. इस वक्त आपके दिमाग में काफी कुछ चल रहा होता है जिसका असर आपको फैसले पर दिखेगा और आक्रोशित होकर लिया गया फैसला गलत साबित हो सकता है.

दूसरी सेचुएशन

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दूसरी सेचुएशन

जब आप खुशी में हो तब भी कोई फैसला लेने से बचना चाहिए. कहा जाता है ऐसा करने में भी असर नकारात्म हो सकते हैं. अत्यंत खुशी में लिए गए फैसले आतुरता से भरे होते हैं. ऐसे वक्त में आदमी बिना विवेक के कोई फैसला ले लेता है. जिसका असर नकारात्म होता है.

ध्यान दें..!

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ध्यान दें..!

गीता सार (Gita Saar) की जानकारी सामान्य प्रचलित मान्यता, परंपरा और प्रवचनों के आधारित है. Zee MPCG इसकी पुष्टि नहीं करता है. इसके लिए आप चाहें तो संबंधिक विशेषज्ञ से गीता व्याख्या के लिए मिल सकते हैं.