पिछले तीन विधानसभा चुनावों (2003, 2008 और 2013) में मध्य प्रदेश की 69 सीटों पर बीएसपी ने 10 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल किए हैं. बसपा तीनों चुनावों में 13 सीटों पर विजयी और 34 सीटों पर दूसरे स्थान पर रही है. इनमें से अधिकांश सीटों पर हार-जीत का अंतर बसपा के वोट शेयर से कम रहा है.
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नई दिल्ली: मध्य प्रदेश सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. इस बीच मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में विपक्षी एकता टूटती दिख रही है. कर्नाटक में मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के शपथग्रहण समारोह में सोनिया गांधी और बीएसपी प्रमुख मायावती आपस में सिर टकराकर नजदीकी दिखाती नजर आई थीं, लेकिन मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ रही हैं. इस संभावित गठबंधन के टूटने से इन दोनों राज्यों की ज्यादातर सीटों पर त्रिशंकु लड़ाई की संभावना प्रबल हो गई है. इस आर्टिकल में हम समझने की कोशिश करेंगे कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस-बीएसपी के बीच का गठबंधन टूटने से किसे फायदा होगा और किसको नुकसान उठाना पड़ेगा.
पिछले चुनावों में 69 सीटों पर दिखा था BSP का असर
साल 2013 और 2008 में हुए विधानसभा चुनाव अनुपात निकालें तो मध्य प्रदेश की 69 सीटों पर बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी ने 10 प्रतिशत से ज्यादा वोट पाए थे. उम्मीद थी कि अगर बीएसपी और कांग्रेस इन 69 सीटों पर साथ लड़ती तो बीजेपी को कड़ी टक्कर मिल सकती थी, लेकिन ऐसा संभव नहीं है. संभावित गठबंधन नहीं बनने से तय है बीएसपी और कांग्रेस के वोटों का बिखराव होगा.
जहां तक साल 2008 के विधानसभा चुनाव की बात है तो उस समय भी बीएसपी ने करीब 9 फीसदी वोट हासिल किए थे. उस चुनाव में बीजेपी 143, कांग्रेस 71 और बीएसपी ने 7 सीटें जीती थीं. बीजेपी का वोट शेयर 37 फीसद और कांग्रेस का 32 फीसद रहा था. कांग्रेस के 32 और बीएसपी के 9 फीसदी वोट को जोड़ देते हैं तो यह आंकड़ा 41 फीसदी पहुंच जाता है, जो बीजेपी से ज्यादा है. अगर इस समीकरण को सीटों में जोड़कर देखें तो बीएसपी-कांग्रेस गठबंधन को 131 सीटें मिलतीं और बीजेपी को 90 सीटों से संतोष करना पड़ता. लेकिन ऐसा नहीं हो पाया.
साल 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपने प्रदर्शन में सुधार कर पाई थी. बीजेपी ने 46 फीसद वोट हासिल किए थे. वहीं कांग्रेस ने 37 फीसदी और बसपा को छह फीसद वोट मिले थे. कांग्रेस और बीएसपी के वोट शेयर को जोड़ दें तो यह आंकड़ा 43 पहुंचता है जो बीजेपी के 46 फीसदी से कम है.
जानकार मानते हैं कि पिछले तीन विधानसभा चुनावों (2003, 2008 और 2013) में मध्य प्रदेश की 69 सीटों पर बीएसपी ने 10 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल किए हैं. बसपा तीनों चुनावों में 13 सीटों पर विजयी और 34 सीटों पर दूसरे स्थान पर रही है. इनमें से अधिकांश सीटों पर हार-जीत का अंतर बसपा के वोट शेयर से कम रहा है.
इन आंकड़ों के आधार पर अनुमान लगाया जा सकता है कि बीएसपी और कांग्रेस का गठबंधन नहीं होने से बीजेपी को फायदा हो सकता है. जानकार बताते हैं कि इस बार मध्य प्रदेश के बड़े हिस्से में किसान शिवराज सिंह चौहान सरकार से नाराज हैं. ऐसे में विपक्षी वोटों का बिखराव बीजेपी के लिए सुकून देने वाला साबित हो सकता है.