एमपी की राजनीति में दलित और आदिवासी वोटरों का अपना ही महत्व है.
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भोपाल: मध्य प्रदेश में इस साल चुनाव होने हैं. चुनावी साल में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने अपनी रैलियों में वादों का पिटारा खोल दिया है. चुनाव में एक-एक वोट कीमती होने वाला है, इसलिए सीएम शिवराज ने मतदाताओं के सभी वर्गों को ध्यान में रखते हुए घोषणाएं की हैं. वहीं एमपी की राजनीति में दलित और आदिवासी वोटरों का अपना ही महत्व है. दलित और आदिवासी वोटर प्रदेश की 230 में से 82 सीटों पर जीत हार का फैसला करते हैं. इसे ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने इस वर्ग में पैठ बनाने के लिए 'यूपी प्लान' अपनाने का फैसला लिया है. यूपी में बीजेपी ने दलित और आदिवासी वोटबैंक पर पकड़ बनाने के लिए बस्ती प्रमुख की नियुक्ति की थी. बताया जा रहा है कि इसी तर्ज पर बीजेपी मध्य प्रदेश में दलित और आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में 50 हजार बस्ती प्रमुख तैनात करेगी.
आपको बता दें कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने बस्ती प्रमुख का फॉर्मूला उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अपनाया था. उत्तर प्रदेश की जीत में दलित वोट बैंक का बड़ा हाथ माना गया था. दलितों को भाजपा के पाले में लाने में बस्ती प्रमुखों ने अहम भूमिका निभाई थी. यूपी की ही तर्ज पर बस्ती प्रमुख की जिम्मेदारी रिटायर्ड फौजी, अफसरों, समाजसेवियों और धर्मगुरुओं आदि को दी जाएगी. बीजेपी इन बस्ती प्रमुखों के माध्यम से सरकार की योजनाओं समेत अपने एजेंडे को दलित और आदिवासी वर्ग तक पहुंचाने का प्रयास करेगी. बस्ती प्रमुखों की तैनाती के लिए बीजेपी के अनुसूचित जाति और जनजाति मोर्चा को इसका जिम्मा दे दिया गया है. मध्य प्रदेश में दो अप्रैल को दलित आंदेलन में भड़की हिंसा के बाद शिवराज सरकार दलित और आदिवासी वोट बैंक को साधने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है.
भारत बंद के दौरान हुई दलित हिंसा के बाद बीजेपी अतिरिक्त सतर्कता बरत रही है. बताया जा रहा है कि प्रदेश के सभी जिलों में दलित और आदिवासी बस्ती प्रमुखों को कार्यशाला आयोजित कर प्रशिक्षण देने का कार्य किया जाएगा. प्रशिक्षण के बाद इन बस्ती प्रमुखों को राज्यस्तरीय सम्मेलनों में दलित और आदिवासी वर्ग के सामने रोल मॉडल के तौर पर पेश किया जाएगा. बस्ती प्रमुखों का मुख्य कार्य दलित और आदिवासी वर्ग को सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने में मदद करना होगा. बताया जा रहा है कि इन सभी बस्ती प्रमुखों का सीधा संपर्क मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री लाल सिंह आर्य से रहेगा. आपको बता दें कि प्रदेश में एसटी जनसंख्या करीब 1 करोड़ 52 लाख और एससी जनसंख्या 1 करोड़ 13 लाख है. वहीं प्रदेश में कुल एसटी विधानसभा सीटें 47 और एससी विधानसभा सीटें 35 हैं. वर्तमान में इन 47 एसटी विधानसभा सीटों में से 32 सीटें बीजेपी और 15 सीटें कांग्रेस की हैं. साथ ही 35 एससी विधानसभा सीटों में से 28 बीजेपी और 7 कांग्रेस के पास हैं.
बीजेपी अपने इस प्लान के साथ वर्तमान सीटों को बचाते हुए और अधिक सीटें जीतने का सक्ष्य लेकर चल रही है. गौरतलब है कि कुछ दिन पूर्व ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य मंडलों का दौरा किया था. इस दौरान पीएम मोदी ने आदिवासियों की महापंचायत लगाई थी. साथ ही आदिवासी विकास योजना को भी लांच किया था. इससे साफ पता चलता है कि बीजेपी अपना पूरा ध्यान दलित और आदिवासी वर्ग पर केंद्रित करना चाहती है.