जबलपुर के विभिन्न सरकारी कॉलेजों के 14 प्रोफेसर एवं सहायक प्रोफेसरों को 28 नवंबर को मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा के चुनाव के लिए स्टेटिक सर्विलांस टीम एवं फ्लाइंग स्क्वायड की ड्यूटी का जिम्मा सौंपा गया था.
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जबलपुर: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कई सरकारी कॉलेजों के प्रोफेसरों एवं सहायक प्रोफेसरों द्वारा चुनाव में अपने से कम रैंक एवं पे-स्केल पाने वाले अधिकारियों के अधीन ड्यूटी लगाए जाने को लेकर चुनाव आयोग के आदेश के खिलाफ दायर याचिका को बुधवार को खारिज कर दिया. जस्टिस नंदिता दुबे ने सुनवाई के दौरान याचिका को खारिज करते हुए कहा, ''अदालत इस याचिका पर हस्तक्षेप नहीं करना चाहती है.'' जबलपुर के विभिन्न सरकारी कॉलेजों के 14 प्रोफेसर एवं सहायक प्रोफेसरों को 28 नवंबर को मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा के चुनाव के लिए स्टेटिक सर्विलांस टीम एवं फ्लाइंग स्क्वायड की ड्यूटी का जिम्मा सौंपा गया था.
इसे लेकर प्रोफेसर एवं सहायक प्रोफेसरों ने नाराजगी जताते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. उनका कहना था कि उनकी चुनाव में ड्यूटी कथित तौर पर उनसे कम रैंक, दर्जे एवं पे-स्केल मिलने वाले अधिकारियों के अधीन लगाई गई. निर्वाचन आयोग की ओर से पैरवी करते हुए वकील सिद्धार्थ सेठ ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ताओं को अपने-अपने स्टेटिक सर्विलांस टीम एवं फ्लाइंग स्क्वायड टीम का लीडर बनाकर चुनाव ड्यूटी पर लगाया है.
सेठ ने अदालत में कहा कि ये प्रोफेसर एवं सहायक प्रोफेसर कार्यकारी मजिस्ट्रेट रैंक के अधिकारी होते हैं और इन्हें सीधे जिला निर्वाचन अधिकारी, जो जिला कलेक्टर होता है, उसे रिपोर्ट करनी है. कलेक्टर इनसे रैंक में वरिष्ठ है और उसका पे-स्केल भी इनसे अधिक है. इसलिए याचिका खारिज की जायें.
(इनपुट भाषा से)