Dindori Vidhan Sabha Seat: मध्य प्रदेश में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित डिंडौरी विधानसभा सीट 2008 से कांग्रेस के पास है. कांग्रेस विधायक ओंकार सिंह मरकाम ने पिछले तीन चुनावों में भाजपा उम्मीदवारों को हराकर यह सीट जीती है. 150,000 से अधिक आदिवासी मतदाताओं वाली इस सीट का परिणाम काफी हद तक उनके वोटों पर ही निर्भर करता है.
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Dindori Vidhan Sabha Seat Analysis: छत्तीसगढ़ से सटे डिंडौरी जिले की बात करें तो इस जिले की डिंडौरी विधानसभा सीट कांग्रेस पार्टी का मजबूत गढ़ बनते जा रही है. 2008 से लगातार कांग्रेस पार्टी को इस सीट पर जीत मिल रही है. कांग्रेस पार्टी के विधायक ओंकार सिंह मरकाम तीन बार से यहां पर जीत हासिल कर रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी को लगातार इस सीट पर हार ही नसीब हो रही है. इसी के चलते इस बार यहां पर जीत हासिल करने के लिए बीजेपी पूरा जोर लगा रही है और जब भारतीय जनता पार्टी ने अपने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी की तो उसमें डिंडौरी विधानसभा के प्रत्याशी का नाम भी था. बीजेपी ने डिंडोरी में पूर्व विधायक ओमप्रकाश धुर्वे को मैदान में उतारा है...
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अनुसूचित जनजाति समुदाय के लिए आरक्षित डिंडौरी विधानसभा सीट पर पिछले तीन चुनाव भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार ओमकार सिंह मरकाम लगातार जीत हासिल कर रहे हैं. 2018 के चुनाव में, ओमकार सिंह मरकाम ने 45.80% वोट प्राप्त करके तीसरी बार यहां से जीत हासिल की थी. उन्होंने BJP के जय सिंह मरावी को हराया, जिन्होंने 28.54% वोट हासिल किए. वहीं, 2013 में मरकाम को 43.84% वोट मिले थे, जबकि बीजेपी के जय सिंह मरावी को 40.20% वोट मिले थे. दूसरी बार यहां से ओमकार सिंह मरकाम विजयी हुए थे. इसके अलावा, 2008 के चुनाव में, ओमकार सिंह मरकाम 49.41% वोट हासिल करके विजेता बने थे, जबकि BJP के ओमप्रकाश धुर्वे को 25.85% वोट मिले थे.
बीजेपी ने उम्मीदवार किया घोषित
डिंडौरी विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस दोनों ने जीत का स्वाद चखा है. शुरुआत में 1952 से 1985 तक इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा. हालांकि, 1990 में, BJP ने जाहर सिंह के साथ अपनी पहली जीत हासिल की. इसके बाद, कांग्रेस और BJP दोनों जीतीं. हालांकि, 2008 के बाद से, ओंकार सिंह मरकाम ने कांग्रेस के लिए लगातार जीत हासिल की है. जिसके चलते ये सीट कांग्रेस का गढ़ बनती जा रही है. वहीं, बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने दूसरी सूची में डिंडोरी विधानसभा क्षेत्र से पंकज टेकाम को उम्मीदवार घोषित किया है.
डिंडौरी विधानसभा का समीकरण
डिंडौरी विधानसभा क्षेत्र में 150,000 से अधिक आदिवासी मतदाता हैं, जो चुनाव परिणामों को निर्धारित करने में उनकी भागीदारी को महत्वपूर्ण बनाता है. इस निर्वाचन क्षेत्र में, चुनावों के दौरान जीजीपी का प्रभाव होता है. इसके अतिरिक्त, डिंडौरी विधानसभा क्षेत्र को अक्सर "नक्सलियों का आरामगढ़" कहा जाता है. यह अफवाह है कि छत्तीसगढ़ में नक्सली गतिविधियों में शामिल होने के बाद, स्थिति स्थिर होने पर छत्तीसगढ़ लौटने से पहले कुछ नक्सली अस्थायी रूप से डिंडौरी में रहते हैं.
डिंडौरी विधानसभा सीट के विधायकों की सूची
1952: द्वारिकाप्रसाद अनंतराम (कांग्रेस)
1952: रूपसिंह उमरावसिंह (कांग्रेस)
1957: द्वारिकाप्रसाद अनंतराम (कांग्रेस)
1962: बसोरीसिंह (कांग्रेस)
1967: एस. लाल (कांग्रेस)
1972: सुन्दरलाल उरेती (कांग्रेस)
1977: मोती सिंह संध्या (निर्दलीय)
1980: धरम सिंह मसराम (कांग्रेस)
1985: धरम सिंह मसराम (कांग्रेस)
1990: जाहर सिंह (BJP)
1993: नन्हे सिंह (कांग्रेस)
1998: जेहर सिंह (BJP)
2003: दुलीचंद उरैती (BJP)
2008: ओंकार सिंह मरकाम (कांग्रेस)
2013: ओंकार सिंह मरकाम (कांग्रेस)
2018: ओमकार सिंह मरकाम (कांग्रेस)