Gwalior Chambal Lok Sabha Election: ग्वालियर-चंबल में तीन युवा इंजीनियर कॉरपोरेट की नौकरी छोड़कर लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं, तो आइए आपको बताते हैं देवाशीष जरारिया, अर्चना राजपूत और सूरज कुशवाहा के बारे में जो मतदाताओं का ध्यान अपनी ओर खींच रहे हैं...
ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में लोकसभा चुनाव के दौरान तीन युवा इंजीनियर उम्मीदवार जिनकी उम्र लगभग 32 वर्ष सबकी ओर अपना ध्यान आकर्षित कर रहे हैं.
खास बात है कि ये 3 युवा नेता भाजपा-कांग्रेस की तमगे से दावेदारी नहीं कर रहे. दो उम्मीदवारों ने राजनीति में प्रवेश करने के लिए लाखों की कॉर्पोरेट नौकरियां छोड़ दीं, जबकि एक ने वकालत करने के बजाय राजनीति में कदम रखा.
भिंड लोकसभा क्षेत्र से बसपा प्रत्याशी देवाशीष जरारिया के पास BE और लॉ की डिग्री है. वहीं, ग्वालियर से राष्ट्रीय प्रत्याशी पक्ष लड़ रहीं अर्चना राजपूत दिल्ली में रहने के बाद राजनीति में आ गईं. इसी तरह, मुरैना से निर्दलीय उम्मीदवार सूरज कुशवाहा ने राजनीति में आने से पहले इंजीनियरिंग कर हाई सैलरी वाली नौकरी कर रहे थे.
भिंड लोकसभा सीट पर सात उम्मीदवार जीत के लिए मैदान में उतरे हैं. जिनमें भाजपा की संध्या राय और कांग्रेस के फूल सिंह बरैया को बसपा के देवाशीष जरारिया टक्कर दे रहे हैं. देवाशीष की बात करें तो भिंड के शिक्षाविदों के परिवार से हैं और उन्होंने इंजीनियरिंग और कानून की पढ़ाई के बाद राजनीति में कदम रखा. देवाशीष ने राजनीति की शुरुआत बसपा से की, फिर कांग्रेस में शामिल हुए और अब एक बार फिर बसपा में शामिल होकर चुनाव लड़ रहे हैं.
ग्वालियर लोकसभा सीट पर 19 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें सबसे युवा दावेदार अर्चना सिंह राजपूत भी शामिल हैं. बता दें कि छह बहनों में चौथे नंबर की अर्चना ने राजनीति में आगे बढ़ने के लिए इंजीनियरिंग की अच्छी नौकरी छोड़ दी.
मुरैना लोकसभा सीट पर 15 उम्मीदवारों के बीच मुकाबला है, जिसमें मुख्य मुकाबला कांग्रेस के सत्यपाल सिकरवार, बीजेपी के शिवमंगल सिंह और बीएसपी के रमेश गर्ग के बीच है. हालांकि, निर्दलीय प्रत्याशी सूरज कुशवाहा की भी चर्चा हो रही है. बेरोजगारी की समस्या से निराश सूरज कुशवाहा ने लाखों की आईटी नौकरी छोड़कर राजनीति के मैदान में कदम रखा है.
इन उम्मीदवारों ने लोगों की सेवा के लिए कॉर्पोरेट करियर को छोड़कर ग्वालियर-चंबल की राजनीति में काफी रुचि जगाई है.
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