मिथक है कि अब तक के चुनाव में जिस भी पार्टी का उम्मीदवार यहां से जीतता है, सूबे में उसी की सरकार बनती है.
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नई दिल्ली: मध्यप्रदेश में चुनाव प्रचार का शोर कुछ ही घंटों में थमने जा रहा है. 28 नवंबर को होने वाली वोटिंग से पहले बीजेपी और कांग्रेस समेत दूसरे दल अपनी-अपनी सरकार बनाने के लिए जी-जान से जुटे हुए हैं. हालांकि राज्य में सरकार किस पार्टी की बनेगी, इसको लेकर सबकी नजरें हाईप्रोफाइल बुधनी विधानसभा सीट पर हैं. मिथक है कि अब तक के चुनाव में जिस भी पार्टी का उम्मीदवार यहां से जीतता है, सूबे में उसी की सरकार बनती है. खास बात यह है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ही इसी बुधनी सीट से विधायक हैं.
1980 में कांग्रेस के केएन प्रधान बुधनी विधानसभा से विधायक बने और अर्जुन सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे. इसके बाद 1985 में कांग्रेस के ही चौहान सिंह की जीत हुई और एक बार फिर उसी पार्टी की सरकार बनी.
पहली बार शिवराज जीते
इसके बाद बीजेपी नेता शिवराज सिंह चौहान वर्ष 1990 में चुनावी मैदान में उतरे और उन्होंने जीत हासिल की. इस दौरान सुंदरलाला पटवा के नेतृत्व में प्रदेश में बीजेपी ने सरकार बनाई. मध्यप्रदेश चुनाव 2018: में 'महाराज' और 'घोषणावीर' के बीच चुनावी घमासान
दिग्विजय सरकार बनी
1993 में कांग्रेस के राजकुमार पटेल बुधनी से विधायक बने और राज्य में दिग्विजय सिंह की सरकार बनी. इसके बाद देव कुमार पटेल जीते और फिर से उन्हीं की पार्टी कांग्रेस के नेता दिग्विजय दूसरी बार सीएम बने. 2003 के चुनाव में लग रहा था कि यह मिथक टूट जाएगा, लेकिन इस साल बीजेपी के राजेंद्र सिंह राजपूत यहां से जीते और उमा भारती सूबे की मुखिया बनीं. MP चुनावः वारासिवनी में BJP के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं CM शिवराज के साले संजय मसानी
शिवराज ने जीत बरकरार रखी
2003 के बाद से 2008 में विधानसभा चुनाव हुए, जिसमें बीजेपी नेता शिवराज सिंह चौहान विजयी हुए, नतीजन उन्हीं के नेतृत्व में बीजेपी ने सरकार बनाई. वहीं, 2013 में दोबारा शिवराज यहां से बुधनी से जीते और सरकार में कायम रहे. इस बार के चुनाव में शिवराज का मुकाबला कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव से है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि 38 साल से बरकरार यह मिथक इस 2018 के चुनाव टूटता है या नहीं.