रक्षामंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath singh) रक्षा अनुसंधान व विकास प्रतिष्ठान (डीआरडीई) में एक सभा को संबोधित कर रहे थे. ग्वालियर (Gwalior) स्थित डीआरडीई एकमात्र मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय प्रयोगशाला है, जो पर्यावरण व बॉयो-मेडिकल सैंपल की जांच के लिए इंटरनेशनल आर्गेनाइजेशन फॉर द प्रोहिबिशन ऑफ केमिकल वीपंस द्वारा मान्यता प्राप्त है.
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ग्वालियर (Gwalior): रक्षामंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath singh) ने शुक्रवार को कहा कि सशस्त्र बलों को भविष्य के रासायनिक-जैविक (Chemical-biological attack) हमलों के खिलाफ पूरी तरह से कार्रवाई करने के लिए तैयार किया जाना चाहिए. सिंह रक्षा अनुसंधान व विकास प्रतिष्ठान (डीआरडीई) में एक सभा को संबोधित कर रहे थे. ग्वालियर (Gwalior) स्थित डीआरडीई एकमात्र मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय प्रयोगशाला है, जो पर्यावरण व बॉयो-मेडिकल सैंपल की जांच के लिए इंटरनेशनल आर्गेनाइजेशन फॉर द प्रोहिबिशन ऑफ केमिकल वीपंस द्वारा मान्यता प्राप्त है. यह बीते 45 सालों से स्वतंत्र प्रयोगशाला के तौर पर काम कर रही है.
राजनाथ सिंह (Rajnath singh) ने कहा, 'रासायनिक-जैविक (Chemical-biological attack) हथियारों का इस्तेमाल जीवन, स्वास्थ्य व संपत्ति व वाणिज्य को खतरे में डाल सकता है, जिससे इससे उबरने में लंबा समय लग सकता है. कई क्षेत्रों में जहां हम अपनी सेना तैनात करते हैं, संभावित विरोधी इन हथियारों का इस्तेमाल कर सकते हैं. इस चुनौती से पार पाने के लिए हमारे बलों को उचित तरह से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए और प्रभावी संचालन के लिए लैस किया जाना चाहिए, जिससे वे रासायनिक-जैविक (Chemical-biological attack) हमलों का निर्णायक तौर पर सामना कर सकें.'
उन्होंने कहा, 'मुझे जानकर खुशी है कि डीआरडीई ने विषैले एजेंट की पहचान, सुरक्षा व शुद्धिकरण के लिए कई प्रौद्योगिकी विकसित की है. रक्षा उपकरणों के उत्पादन के लिए व्यापक औद्योगिक आधार स्थापित किया गया है, जिसका गुणवत्ता नियंत्रण डीआरडीई द्वारा किया गया है. रासायनिक-जैविक (Chemical-biological attack) एजेंट की जल्द पहचान उनसे रक्षा के लिए जरूरी है.'
ग्वालियर (Gwalior) पहुंचकर राजनाथ सिंह (Rajnath singh) ने सबसे पहले डीआरडीई के वैज्ञानिकों के साथ एक घंटे तक बैठक की. इस बैठक में उन्होंने डीआरडीई में हो रहे शोध कार्यों के बारे में विस्तार से जाना. इसके साथ ही उनकी ओर से जो नए आविष्कार किए गए हैं उनको भी देखा. मंच से संबोधित करते हुए देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath singh) ने कहा कि जिस तरीके से टेरिरज्म बढ़ रहा है ऐसे में बायो केमिकल अटैक की घटनाओं से इनकार नहीं किया सकता है. इसके लिए आवश्यक है कि जहां हमारी सेना तैनात रहती है और अन्य महत्वपूर्ण स्थलों पर तैनात लोग वह इस तरह के हमलों से बचने के लिए अपने पास पर्याप्त इंतजाम रखें इसके साथ ही इस तरह के हमलों से निपटने के लिए वह उनको प्रशिक्षण भी मिले.
साथ ही उन्होंने कहा कि आज जब मैंने डीआरडीई में किए गए विभिन्न आविष्कारों को देखा तो इस बात को लेकर वह पूर्णता आश्वस्त हैं कि भारत किसी भी तरह के बायोकेमिकल अटैक से लड़ने के लिए तैयार है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जिस हिसाब से भारत की सेना सीमाओं पर देश सुरक्षा में लगी हुई है वैसे ही देश के अंदर डीआरडीई के वैज्ञानिक काम कर रहे हैं, इन वैज्ञानिकों का योगदान भले ही पब्लिक को नहीं पता हो लेकिन आज यहां आकर जिस तरह की चीजें हमने देखी हैं वह वास्तव में बहुत ही काबिले तारीफ है.
साथ ही उन्होंने कहा कि डीआईडीई लैब के द्वारा जो अविष्कार किए जा रहे हैं उनको वह पब्लिक मीटिंग में जनता के बीच बताएंगे इसके साथ ही उन्होंने देश विरोधी ताकतों और पाकिस्तान को इशारों ही इशारों में नसीहत देते हुए कहा कि हमारी लैबो में बहुत सारी ऐसी चीजें तैयार हो रही हैं जिसके बारे में अगर मैं पब्लिकली बोल दूं तो हड़कंप मच जाएगा.