Hemu Vikramaditya : अलवर का सब्जी बेचने वाला, दिल्ली के तख्त पर करता था राज, जिसका नाम सुनकर कांप जाते थे मुगल
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Hemu Vikramaditya : अलवर का सब्जी बेचने वाला, दिल्ली के तख्त पर करता था राज, जिसका नाम सुनकर कांप जाते थे मुगल

Hemu Vikramaditya : राजस्थान(Rajasthan) में जन्मे हेमू विक्रामादित्य बाद में भारत के नेपोलियन (Napoleon of India)कहलाए.  पहले हेमू सब्जियां और साल्टपीटर बेच रहे थे लेकिन फिर कृषि उत्पादन में गिरावट के चलते उन्हे खेती छोड़नी पड़ी और सैन्य सेवाओं में उनकी रूचि बढ़ती गयी. हेमू मध्यकालीन भारत के सबसे बुद्धिमान सैन्य कमांडर थे. 

Hemu Vikramaditya : अलवर का सब्जी बेचने वाला, दिल्ली के तख्त पर करता था राज, जिसका नाम सुनकर कांप जाते थे मुगल

Hemu Vikramaditya : राजस्थान(Rajasthan) में जन्मे हेमू विक्रामादित्य बाद में भारत के नेपोलियन (Napoleon of India)कहलाए.  पहले हेमू सब्जियां और साल्टपीटर बेच रहे थे लेकिन फिर कृषि उत्पादन में गिरावट के चलते उन्हे खेती छोड़नी पड़ी और सैन्य सेवाओं में उनकी रूचि बढ़ती गयी. हेमू मध्यकालीन भारत के सबसे बुद्धिमान सैन्य कमांडर थे. 

ये हेमू विक्रमादित्य की निष्ठा और अनुशासन के साथ ही कड़ी मेहनत का ही परिणाम था, कि शेरशाह के उत्तराधिकारी इस्लाम शाह ने उन्हे बाजार का सुपरिटेंडेंट बनाया था. उस समय हेमू का मेन काम पूरी अफगान सेना के लिए खाद्य आपूर्ति करना था.

अपनी काबलियत के बल पर हेमू को 1553 में इस्लाम शाह ने आदिल शाह को अपना उत्तराधिकारी बना लिया था साथ ही प्रधानमंत्री और अफगान आर्मी कमांडर इन चीफ का पद भी दिया था. 1556 में पानीपत की लड़ाई में मुगल सेना को हेमू विक्रमादित्य ने हरा दिया. 

पानीपत की लड़ाई से पहले हेमू विक्रमादित्य ने सभी 22 युद्ध लड़े और जीते थे और कभी भी कोई लड़ाई नहीं हारी. फिर साल  1555 में इब्राहिम शाह सूरी को गद्दी से हटाकर हेमू के खिलाफ विद्रोह शुरू हुआ. जिसने सूरी वंश को चार इलाकों में बांट दिया.

साल 1556 में हुमायूं की मौत के बाद अकबर को बादशाह बना दिया गया. इसे हेमू ने इसे दिल्ली पर कब्जा करने का बढ़िया मौका माना.  हेमू ने बनाया, इटावा, संभल, कालपी, नरूला और आगरा के मुगल शहरों पर कब्जा करते हुए बंगाल से दिल्ली की तरफ कूच कर दिया.

इधर  मुगलों ने हेमू के साथ 5 नवंबर 1556 को पानीपत में लड़ाई लड़ी और हेमू ने अकबर की मुगल सेना को हरा दिया. पानीपत की दूसरी लड़ाई में बैरम खां ने की हत्या कर दी गयी . हेमू ने मुगल बादशाह अकबर की सेना को यहां हरा दिया. दिल्ली में तुगलकाबाद में युद्ध हुआ जहां हेमू ने मुगलों को हराया.

6 अक्टूबर, 1556 में एक दिन की लंबी लड़ाई के बाद दिल्ली को हेमू विक्रमादित्य ने अपने कब्जे में ले लिया और  7 अक्टूबर 1556 से 5 नवंबर 1556 तक मुश्किल से एक महीने तक सत्ता संभाली. हालांकि इस युद्ध में लगभग 3,000 सैनिक मारे गए थे. हेमू एक शाही छत्र के नीचे विजयी होकर दिल्ली में प्रवेश  कर चुका था.

हेमू के समर्थकों ने एक छत्री का निर्माण किया था. पानीपत की दूसरी लड़ाई में बैरम खान के नेतृत्व में अकबर की सेना ने हेमू की विशाल सेना के साथ लड़ाई लड़ी थी. यहां भी  हेमू जीत के कगार पर थे लेकिन एक दुर्भाग्यपूर्ण तीर उनकी आंख में लगा और उसके बाद बेहोश हेमू को पकड़ लिया और अकबर के सेनापति  बैरम खां ने हेमू की हत्या कर दी.
 

 

 

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