बाड़मेर: राजकीय महाविद्यालय धोरीमन्ना के नवनिर्मित भवन का लोकार्पण, मंत्री हेमाराम चौधरी ने किया उद्घाटन
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बाड़मेर: राजकीय महाविद्यालय धोरीमन्ना के नवनिर्मित भवन का लोकार्पण, मंत्री हेमाराम चौधरी ने किया उद्घाटन

मंत्री हेमाराम चौधरी ने मीडिया से रूबरू होते हुए कहा की बहुत कम समय में महाविद्यालय के लिए शांति देवी उदयराज गांधी ने भामाशाह बनकर भवन बनाकर विद्यार्थियों के लिए समर्पित किया है, यह अनुकरणीय है. धोरीमन्ना में 2018 में राजकीय महाविद्यालय की स्वीकृति मिली.

बाड़मेर: राजकीय महाविद्यालय धोरीमन्ना के नवनिर्मित भवन का लोकार्पण, मंत्री हेमाराम चौधरी ने किया उद्घाटन

Barmer News: शांति देवी उदयराज गांधी राजकीय महाविद्यालय धोरीमन्ना का उद्घाटन एवं लोकार्पण समारोह आयोजित किया गया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वन एवं पर्यावरण मंत्री हेमाराम चौधरी ने फीता काटकर महाविद्यालय के नए भवन का उद्घाटन एवं लोकार्पण किया. मंत्री हेमाराम चौधरी ने मीडिया से रूबरू होते हुए कहा की बहुत कम समय में महाविद्यालय के लिए शांति देवी उदयराज गांधी ने भामाशाह बनकर भवन बनाकर विद्यार्थियों के लिए समर्पित किया है, यह अनुकरणीय है.

आने वाले समय में यहां पढ़ने वाले कॉलेज के विद्यार्थियों को अच्छी सुविधाएं मिलेगी अगर आगे भी महाविद्यालय को किसी प्रकार की जरूरत रही तो उसके लिए गांधी परिवार और मैं सभी मिलकर उसको भी पूरा करने का प्रयास करेंगे. मंत्री चौधरी ने कहा कि यह महाविद्यालय क्षेत्र के आसपास के छात्र छात्राओं के लिए बहुत ही कारगर साबित होगा. महाविद्यालय के पद रिक्त चल रहे हैं उनको भी भरने के लिए प्रयास किए जाएंगे, ताकि महाविद्यालय में विधिवत कक्षाओं का संचालन हो और आसपास के विद्यार्थी यहां पढ़कर लाभ ले सकेंगे.

बता दें की धोरीमन्ना में 2018 में राजकीय महाविद्यालय की स्वीकृति मिली, जिसके बाद शिक्षा विभाग के एक मर्ज हुई. सरकारी विद्यालय के जर्जर भवन में राजकीय महाविद्यालय का संचालन हो रहा था जिसमें करीब 550 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं. उदयराज गांधी परिवार ने छात्र-छात्राओं की पीड़ाओं को समझते हुए अपने निजी खर्च से महाविद्यालय बिल्डिंग बनाने का फैसला किया.

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जिसके बाद 76 प्रतिशत का खर्च गांधी परिवार ने उठाया और बाकी का खर्च राज्य सरकार ने वहन किया. बता दें की उदयराज गांधी ने विपरीत परिस्थितियों में अलग-अलग जगहों से अध्ययन कर सरकारी नौकरी हासिल की थी और रिटायर्ड होने के बाद उनका एक सपना था, जो करीब 7 करोड़ की लागत से महाविद्यालय का निर्माण करवा कर विद्यार्थियों के नाम सुपुर्द किया.

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