सरदारशहर में 35 साल बाद पिता की लड़ाई दिव्यांग बेटे ने जीती, आंखे हुई नम, पतासे खिलाकर किया खुशी का इजहार
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सरदारशहर में 35 साल बाद पिता की लड़ाई दिव्यांग बेटे ने जीती, आंखे हुई नम, पतासे खिलाकर किया खुशी का इजहार

Churu, Sardarshahr news: चूरू के  सरदारशहर के वार्ड 19 निवासी दिव्यांग बुजुर्ग व्यक्ति को 35 साल बाद भूमि विवाद मामले में न्याय मिला . न्याय मिलने के बाद ने बुजुर्ग ने बोला सत्य की  जीत हुई है भूमाफियाओं की हुई हार. साथ ही उसने अपनी इस खुशी का इजहारपतासे खिलाकर किया.

सरदारशहर में 35 साल बाद पिता की लड़ाई दिव्यांग बेटे ने जीती, आंखे हुई नम, पतासे खिलाकर किया खुशी का इजहार

Churu, Sardarshahr news : भारत में न्यायालय सर्वोपरि है न्यायालय का नाम न्यायालय इसलिए रखा गया क्योंकि वहां पर ना कोई छोटा ना कोई बड़ा, ना कोई अमीर होता है और ना ही कोई गरीब, वहां सिर्फ न्याय होता है. बात चूरू के  सरदारशहर के वार्ड 19 के रहने वाले दिव्यांग बुजुर्ग संपतराम मीणा को 35 साल बाद न्याय मिला है. 35 साल बाद न्याय मिलने की खुशी में गरीब दिव्यांग बुजुर्ग ने सभी को पतासे खिला कर खुशी का इजहार किया है. न्याय पाकर बुज़ुर्ग की आंखें नम हो गई . 

क्या है मामला
दरअसल, रतनगढ़ रोड मेगा हाईवे पर स्थित उपखंड कार्यालय और पेट्रोल पंप के बीच स्थित साढ़े 9 बीघा भूमि का पुराना 291 और नया 567 को 22 जुलाई 1988 को स्वर्गीय खिंवाराम मीणा ने सोहन लाल मीणा से खरीदी थी. बेशकीमती जमीन होने के कारण कुछ भूमाफियायो की निगाहें इस कीमती जमीन पर पड़ी हुई थी. जमीन को हथियाने के लिए भू - माफियाओं ने कुछ महीने बाद 12 सितंबर 1988 को विक्रेता सोहनलाल मीणा के साथ छल कपट कर जमीन पर न्यायालय में दावा करवा दिया कि यह भूमि उसकी है. जिसके बाद न्यायालय के जरिए  1988 में इस भूमि को लेकर दोनों पक्षों को स्टे दे दिया गया. उसके बाद भूमाफिया बजरंगलाल मीणा ने विक्रेता सोहनलाल मीणा नाम से एक फर्जी परित्याग न्यायालय द्वारा दिए गए स्टे के दौरान ही तैयार करवा लिया. मामले में हैरान कर देने वाली बात यह थी कि फर्जी परित्याग तैयार करवाने वाले बजरंगलाल मीणा ने ही सन 1988 में एक शपथ पत्र न्यायालय पेश किया गया और उसमें यह बताया गया कि उक्त जमीन खिंवाराम मीणा की है.

फाइल को किया गायब
उसके बाद उस दावे की फाईल को गायब कर फाइल को रिकॉर्ड रूम में जमा करवा दिया. कुछ समय बाद भूमि को खरीदने वाले खिंवाराम मीणा की मृत्यु हो गई और इस मामले में खिंवाराम का बेटा संपतराम मीणा मामले में परिवादी बन गया. उसके बाद परिवादी संपतराम मीणा लगातार न्यायालय के चक्कर लगाता रहा और न्यायालय से गुहार लगाता रहा लेकिन परिवादी संपतराम की फाइल गुम होने के कारण मामले में कोई सुनवाई नहीं हुई. अगस्त 2018 में तत्कालीन एसडीएम मूलचंद लूणिया के समक्ष जब परिवादी संपतराम मीणा पेश हुए तो उन्होंने इस मामले में गंभीरता से संज्ञान लिया और गुम हुई फाइल को ढूंढने के आदेश दिए, जिसके बाद उक्त फाइल चूरु रिकॉर्ड रूम में प्राप्त हुई और वहां से एसडीएम मूलचंद लूणिया के पास पेश की गई.

और मिल गई फाइल

 फाइल पुनः प्राप्त होने पर एक बार भू माफिया पुनः सक्रिय हो गए और मामले में विवाद की स्थिति को देखते हुए एसडीएम मूलचंद लूणिया ने उक्त भूमि को कुर्क कर दिया, 15 मार्च को आखिरकार संपतराम मीणा के घर खुशियां लौटी और वर्तमान एसडीएम बृजेंद्रसिंह ने 15 मार्च को मामले में गंभीरता से सुनवाई करते हुए दूसरे पक्ष के परिवादी, भोमराज व नवरत्न उर्फ विनोद पुत्र बजरंग लाल मीणा वगैरा को गलत मानते हुए पीड़ित संपतराम मीणा के पक्ष में फैसला सुनाया. संपत राम मीणा ने बताया कि अब जाकर उन्हें न्याय मिला है उन्होंने अपना अधिकतर जीवन न्यायालय के चक्कर काटने में लगा दिया. संपतराम मीणा के पुत्र राकेश मीणा ने बताया कि मेरे पिता की आधी जिंदगी न्यायालय के चक्कर काटने में गुजर गई इस दौरान उन्हें कई गंभीर बीमारियों ने भी घेर लिया, लेकिन अब न्यायालय ने उनके पक्ष में फैसला दिया है और उनकी जीत हुई है इसलिए उनका पूरा परिवार खुश है. संपतराम मीणा ने सभी को पतासे खिला कर खुशी का इजहार किया. देर से ही सही लेकिन न्याय पाकर संपतराम मीणा की खुशी का ठिकाना नहीं है.

 

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