Jaipur News: जल संसाधन में विवादित रिव्यू डीपीसी के मामले ने फिर पकड़ा तूल, ACB से जांच करवाने की मांग
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Jaipur News: जल संसाधन में विवादित रिव्यू डीपीसी के मामले ने फिर पकड़ा तूल, ACB से जांच करवाने की मांग

Jaipur News: जल संसाधन विभाग में रिव्यू डीपीसी का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा. रिटायर्ड इंजीनियर ने चीफ इंजीनियर पर षड्यंत्र के आरोप लगाए है. साथ ही मामले में अब ACB से जांच करवाने की मांग कर रहे हैं. 

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Rajasthan News: जल संसाधन विभाग में रिव्यू डीपीसी के मामले ने फिर तूल पकड़ लिया है. पूरे मामले की जांच अटकने से रिटायर्ड इंजीनियर्स एक बार फिर से डब्ल्यूआरडी की कार्रवाई से खफा है. इससे पहले मुख्य सचिव को पूरे मामले की शिकायत की थी, जिसके बाद विभाग में हलचल तेज हुई थी. लेकिन फिर से जांच की फाइल पर ब्रेक लग गया.

चीफ इंजीनियर पर षड्यंत्र के आरोप-
जल संसाधन विभाग में रिव्यू डीपीसी का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा. रिटायर्ड इंजीनियर ने चीफ इंजीनियर पर षड्यंत्र के आरोप लगाए है, क्योंकि सीएस के आदेश के बाद एक बार फिर से जल संसाधन विभाग में जांच की फाइल अटक गई है. फर्जी वरिष्ठता सूची बनाकर जल संसाधन विभाग में प्रमोशन हुए. इसकी शिकायत हुई, लेकिन दो महीने से पूरे मामले की जांच जल संसाधन विभाग में अटकी हुई है. रिटायर्ड इंजीनियर्स ने आरोप लगाए है कि घोटाला करने वालों को जांच सौंप दी गई, जिससे जांच प्रभावित हो रही है.

क्या है पूरा मामला?
साल 2018 में जल संसाधन विभाग की रिव्यू डीपीसी हुई, जिसमें इंजीनियर्स ने आरोप लगाए कि नियमों को ताक पर रखते हुए पदोन्नति दी. इंजीनियर्स का तर्क है कि 1998 में आरपीएससी से चयनित एईएन से नियमित डीपीसी वाले एईएन को पीछे कर दिया. इसके बाद 2013 में एक अंतिम वरिष्ठता सूची जारी हुई. उसमें 1996-98 में आरपीएससी में चयनित एनईएन को नियमित डीपीसी वाले एईएन के नीचे रखा दिया. उसके बाद 2014 में 1999 की विवादित अंतरिम वरिष्ठता सूची बताते हुए झूठे तथ्य कोर्ट में पेश कर दिए. उसी आधार पर आज तक रिव्यू डीपीसी कर चहेते 150 इंजीनियर्स को लाभ पहुंचाया.

सीएम, सीएस से की जा चुकी शिकायत-
पूरे मामले की शिकायत मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से पहले ही हो चुकी है, लेकिन जल संसाधन विभाग के इंजीनियर्स अभी तक जांच दबाए बैठे है. अब इंजीनियर्स की मांग है कि पूरे मामले की जांच एसीबी से करवाई जाए, ताकि रिटायर्ड इंजीनियर्स को उनका हक मिल सके.

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