जयपुर: शहरवासियों को कब मिलेगी कचरे के ढेर से मुक्ति?निगम प्रशासन की फूल रहीं सांसे
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जयपुर: शहरवासियों को कब मिलेगी कचरे के ढेर से मुक्ति?निगम प्रशासन की फूल रहीं सांसे

जयपुर न्यूज: संयुक्त वाल्मीकि सफाई श्रमिक संघ ने दो दिन से हड़ताल कर रखी है. सफाईकर्मी की भर्ती आरक्षण पद्धति से लागू करने का विरोध किया जा रहा है.गदंगी के ढेर से शहर की सुदंरता पर दाग लगा रहा है.

 

जयपुर: शहरवासियों को कब मिलेगी कचरे के ढेर से मुक्ति?निगम प्रशासन की फूल रहीं सांसे

जयपुर: पिंकसिटी में 6 हजार सफाई कर्मचारियों की हड़ताल के कारण शहर की मुख्य सड़कों और चौराहों पर लगे गदंगी के ढेर से शहर की सुदंरता को दाग लग गया हैं. दो दिन से जयपुर शहर की सड़कों पर 3 हजार से ज्यादा मेट्रिक टन कचरे का ढेर लगा हुआ है.

इस हड़ताल के कारण डोर टू डोर कचरा संग्रहण के लिए हूपर नहीं पहुंचने से अब घरों का कचरा भी सड़कों पर आने लगा हैं. संयुक्त वाल्मीकि सफाई श्रमिक संघ ने सफाईकर्मियों की भर्ती में आरक्षण पद्धति से करने के विरोध में उलटी झाडू पकड़ ली हैं.

राजधानी जयपुर में दो दिन से कचरा नहीं उठने से लोग सांस नहीं ले पा रहे. तो दूसरी तरफ छह हजार सफाईकर्मियों की हड़ताल से नगर निगम अफसरों की सांसे फूल गई हैं. इतनी बड़ी संख्या में सफाईकर्मियों के हड़ताल पर चले जाने से वैकल्पिक इंतजाम करने में भी अफसरों के पसीने छूट रहे हैं.

जयपुर सहित प्रदेशभर में 13 हजार से ज्यादा रिक्त पदों पर सफाईकर्मियों की भर्ती आरक्षण पद्धति से करने का विरोध बढ़ता जा रहा है. जिसका खामियाजा जयपुर शहर की 35 लाख आबादी को उठाना पड़ रहा है. घर से निकलते ही कचरे का ढेर नजर आता है. सफाई कर्मियों की हड़ताल जारी रहने से दिक्कतें बढ़ने लगी हैं. हड़ताल ज्यादा दिन चली और साफ-सफाई न हुई तो स्थिति और बिगड़ सकती हैं.गंदगी के ढेर से बीमारियों के फैलने का खतरा भी बढ़ने लगा है.

दूसरे दिन भी नहीं लगी झाड़ू

आज दूसरे दिन भी शहर में सड़कों पर ना झाड़ू लगी ना ही सड़कों पर जमा कचरा उठा और ना ही घर-घर से कचरा संग्रहण के लिए हूपर पहुंचे. हालांकि शहर के कुछ वार्डों में ग्रेटर नगर निगम की महापौर डॉ.सौम्या गुर्जर और पार्षदों ने गैर वाल्मीकि समाज के सफाई कर्मचारियों का सहयोग करते हुए सड़कों पर झाड़ू लगाकर कमान संभाली. निगम ने भी अपने संसाधनों को झोंका लेकिन वाल्मीकि समाज से जुड़े सफाई कर्मचारियों की हड़ताल के चलते निगम प्रशासन भी मानता हैं की इतनी बड़ी संख्या में मैन पॉवर कम होने से व्यवस्थाएं प्रभावित हुई हैं.

उधर सफाईकर्मियों की भर्ती विज्ञप्ति जारी करने के बाद राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में केविएट दायर की है.तो वहीं संयुक्त वाल्मीकि सफाई श्रमिक संघ ने भी हाईकोर्ट में कैवियट दायर कर दी हैं. दरअसल स्वायत्त शासन विभाग की ओर से 13 हजार 184 पदों पर आरक्षण पद्धति से भर्ती विज्ञप्ति जारी की हैं. जिससे गुस्साए वाल्मीकि समाज के सफाई कर्मचारियों और बेरोजगारों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए दो दिन से हड़ताल कर रखी हैं.

जयपुर शहर में आज दूसरे दिन सफाई कर्मचारियों ने हसनपुरा इलाके, मालवीय नगर जोन में रैली निकालकर प्रदर्शन किया.संयुक्त वाल्मीकि सफाई श्रमिक संघ के अध्यक्ष नंदकिशोर डंडोरिया कहा कि हड़ताल के कारण शहरवासी परेशान हो रहे हैं. इसके लिए शहर की जनता से वो माफी चाहते हैं लेकिन उनकी भी मजबूरियां हैं. सफाई कर्मचारियों की भर्ती को लेकर उनका संगठन प्रशासन से गुहार कर रहा है कि उनसे जो वादे किए गए थे उनको पूरा किया जाए.

साथ ही जो लिखित में समझौता किया गया था उसे पूरा किया जाए. 2018 में जिस तरह से वाल्मीकि समाज के रोजगार पर दूसरे समाज के लोग काबिज हुए लेकिन आज भी वो सफाई का कार्य करने के बजाए कार्यालय में लगे हुए हैं. इसी वजह से वाल्मीकि समाज के सफाई कर्मचारियों ने इतना बड़ा कदम उठाया है. उधर गैराज शाखा के संसाधन भी सही तरह से काम नहीं कर सके.क्योंकि इसके कर्मचारी भी हड़ताल का समर्थन कर रहे हैं. ऐसे में इन कर्मचारियों ने हूपर व अन्य संसाधनों को बाहर ही नहीं निकाला.दोनों ही नगर निगम में डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण भी प्रभावित हुआ.

महापौर डॉ सौम्या गुर्जर ने खुद झाड़ू लेकर अलग अलग जगहों पर सफाई की

उधर ग्रेटर नगर निगम की महापौर डॉ सौम्या गुर्जर ने दूसरे दिन भी खुद झाड़ू लेकर अलग अलग जगहों पर सफाई की.उन्होंने निगम के अधिकारियों को सूचित किया गया है कि क्षेत्र में सफाई व्यवस्था गड़बड़ाए नहीं.इसके लिए उचित संसाधनों को उपलब्ध कराया जाए. साथ में व्यापार मंडल, विकास समिति और स्थानीय लोगों को सफाई के लिए प्रेरित किया. लव्यापारियों से कचरे को बाहर ना फेंकने, डस्टबिन रखने को लेकर सख्ती के साथ निर्देश दिए.

महापौर ने स्पष्ट किया कि सफाई कर्मचारियों का निगम स्तर पर कोई भी काम में पेंडिंग नहीं है.नगर निगम ग्रेटर के आयुक्त महेंद्र सोनी ने कहा कि बार-बार इस तरह का कदम उठाना उचित नहीं है. आरक्षण का मुद्दा पेचीदा है, इस मामले में सरकार से ही कम्युनिकेशन किया जा सकता है.

उन्होंने कहा कि वर्तमान में महंगाई राहत कैंप चल रहे हैं. स्वच्छता सर्वेक्षण की टीम आ सकती है.अधिकतर कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से व्यवस्था निश्चित रूप से प्रभावित हो रही हैं.

फिर भी आवश्यक व्यवस्थाएं गैराज के संसाधनों से और अनुबंध आधारित कार्मिकों को लगाकर की जा रही है. उधर नगर निगम हैरिटेज मेयर मुनेश गुर्जर और हेरिटेज निगम के स्वास्थ्य उपायुक्त आशीष कुमार का कहना हैं की इतनी बड़ी संख्या में सफाई कर्मचारियों की हड़ताल से वैकल्पिक व्यवस्था करना आसान नहीं है. निगम के संसाधनों से सफाई व्यवस्था को दुरुस्त रखने की कोशिश की जा रही है.

सफाई व्यवस्था के लिए रोड स्वीपिंग मशीन, हूपर, ओपन डिपो उठाने के लिए वेंडर्स काम कर रहे हैं लेकिन गलियों और सड़कों पर रोड स्वीपिंग सफाई कर्मचारियों की ओर से ही की जाती है तो ऐसी स्थिति में सफाई व्यवस्था प्रभावित है.हड़ताल लंबी चली तो आगे दिक्कते हो सकती हैं.

बहरहाल, भले ही गैर वाल्मिकी समाज के सफाईकर्मचारी शहर की जनता को परेशान नहीं होने का दावा कर रहे हो और नगर निगम प्रशासन संसाधन लगाकर व्यवस्था को पटरी पर लाने का दावा और शहरी सरकार की मुखिया सड़कों पर झाडू लगाकर सफाई की अपील लेकिन 6 हजार सफाईकर्मियों की हड़ताल से लगे कचरे के ढेर इन सभी दावों पर पानी फेरते हुए नजर आ रहे हैं.

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