राजस्थान की पहली कोचिंग हब स्कीम फेल, नियमों में बदलाव के बाद क्या होगा फायदा ?
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राजस्थान की पहली कोचिंग हब स्कीम फेल, नियमों में बदलाव के बाद क्या होगा फायदा ?

राजस्थान आवासन मण्डल की ओर से प्रताप नगर में विकसित कोचिंग हब प्रोजेक्ट फेल होता दिख रहा है. इंस्टीट्यूशनल स्पेस के अलॉर्टमेंट के लिए मांगे गए आवेदनों में कोई खास रूचि नहीं दिखा रहा. 

राजस्थान की पहली कोचिंग हब स्कीम फेल, नियमों में बदलाव के बाद क्या होगा फायदा ?

Jaipur : हाउसिंग बोर्ड की जयपुर में बनाई राजस्थान की पहली कोचिंग हब स्कीम फेल होती दिख रहा है. शायद यही कारण है कि इस प्रोजेक्ट में संस्थानिक जगह (इंस्टीट्यूशनल स्पेस) के अलॉर्टमेंट के लिए आवेदन मांगे गए, लेकिन उसमें कोई खास रूचि नहीं दिखा रहा.

राजस्थान आवासन मण्डल की ओर से प्रताप नगर में विकसित कोचिंग हब प्रोजेक्ट फेल होता दिख रहा है. इंस्टीट्यूशनल स्पेस के अलॉर्टमेंट के लिए मांगे गए आवेदनों में कोई खास रूचि नहीं दिखा रहा. इसे देख हाउंसिंग बोर्ड ने अब इसके नियमों में बदलाव का मानस बनाया है. हाउसिंग बोर्ड ने पिछले दिनों नियम बदलने के संकेत भी दिए है. जिसमें एक नया नोटिस जारी करते हुए उसमें जयपुर के अलावा राज्य के दूसरे जिलों में संचालित काचिंग ऑनर्स को भी आवेदन करने का मौका देने की बात कही है.

इस योजना के लिए बोर्ड ने 25 जुलाई से आवेदन मांगे है और 25 अगस्त इसमें आखिरी डेट है. सूत्रों की मानें तो आज दिन तक इस प्रोजेक्ट के लिए केवल 1 ही आवेदक आया है, जबकि 5 अन्य लोगों ने रजिस्ट्रेशन तो करवा रखा है. लेकिन उसमें रजिस्ट्रेशन मनी, प्रोसेसिंग फीस और आवेदन फीस अभी तक जमा नहीं करवाई है. स्कीम के नोडल ऑफिसर प्रकाश चौधरी (रेजीडेंट इंजीनीयर हाउसिंग बोर्ड) का कहना है कि अभी कुछ लोगों ने आवेदन संबंधि पूछताछ कर रहे है। कितने आवेदन अब तक आए है, ये फाइनल 25 अगस्त के बाद ही पता चलेगा.

जयपुर के प्रताप नगर हल्दीघाटी मार्ग पर 65 हजार वर्ग मीटर जमीन पर बन रहे इस प्रोजेक्ट पर राजस्थान हाउसिंग बोर्ड करीब 228 करोड़ रुपए  खर्च कर रहा है. प्रोजेक्ट के पहले फेज में 5 ब्लॉक बनाए जा रहे है, जिसमें कुल 140 कोचिंग सेंटर्स के लिए स्पेस तैयार किया गया है, जो 1588 से लेकर 8025 वर्गफीट (स्क्वायर फीट) के बिल्टअप एरिया के है.

पिछले दिनों हाउसिंग बोर्ड ने एक सार्वजनिक सूचना भी जारी की थी. इसमें कोचिंग संचालकों को हाईकोर्ट के आदेशों की पालना करने का जिक्र किया. उसमें लिखा है कि अगर भविष्य में किसी कोचिंग संचालक के खिलाफ नगर निगम, जेडीए ने फायर सेफ्टी, बिल्डिंग बायलॉज, लैण्ड यूज और पार्किंग का हवाला देकर कार्यवाही की तो कोचिंग संचालकों के पास कोचिंग हब में संस्पेस आवंटित करवाने का मौका भी चला जाएगा.

बहरहाल, राजस्थान हाउंसिंग बोर्ड ने ये प्रोजेक्ट जयपुर में संचालित कोचिंग सेंटर्स को एक जगह लाने और उन्हें एक स्थायी टाइटल मिले इसके तहत ये प्रोजेक्ट लाया गया था. कुछ साल पहले राजस्थान हाईकोर्ट में लगी एक याचिका में बरकत नगर, टोंक फाटक, लालकोठी एरिया में संचालित कोचिंग सेंटर्स को बंद करने के आदेश दिए थे. क्योंकि सभी कोचिंग सेंटर्स रिहायशी एरिया में संचालित थे.

इसके बाद अधिकांश कोचिंग सेंटर्स अब गोपालपुरा बाइपास, मानसरोवर समेत दूसरे एरिया में शिफ्ट हो गए. वर्तमान में जो भी कोचिंग सेंटर्स संचालित है, उसमें अधिकांश सेंटर्स बिल्डिंग बायलॉज के नियमों को पूरा नहीं कर पा रहे है.

रिपोर्टर- दीपक गोयल

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