अशोक गहलोत का ये दांव बदल देगा राजस्थान चुनाव का पूरा गणित, बीजेपी के लिए बढ़ी मुश्किलें
Advertisement
trendingNow1/india/rajasthan/rajasthan1630342

अशोक गहलोत का ये दांव बदल देगा राजस्थान चुनाव का पूरा गणित, बीजेपी के लिए बढ़ी मुश्किलें

Rajasthan politics : अशोक गहलोत ने जिस तरह से राइट टू हेल्थ बिल और चिरंजीवी योजना को लेकर दांव खेला है. उससे राजस्थान चुनाव में बीजेपी का पूरा गणित बिगड़ सकता है. डॉक्टरों का विरोध जितना बढ़ेगा, गांव गांव इस कानून पर उतनी ही चर्चा होगी. जिसका फायदा मुख्यमंत्री Ashok gehlot को ही मिलेगा.

अशोक गहलोत का ये दांव बदल देगा राजस्थान चुनाव का पूरा गणित, बीजेपी के लिए बढ़ी मुश्किलें

Ashok gehlot : राजस्थान में इस साल के आखिर में चुनाव है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट की अदावत के बावजूद कांग्रेस पार्टी सत्ता में वापसी करने की कोशिशें कर रही है. हर हाल में सत्ता में आने के लिए सीएम गहलोत ने इस बार कई बड़े ऐलान किए है. बजट रिप्लाई में एक लाख सरकारी नौकरियों की घोषणा हो या प्रदेश में 19 नए जिलों के साथ 3 संभाग सीकर, पाली और बांसवाड़ा बनाना हो. इन दिनों प्रदेश में डॉक्टर प्रदर्शन कर रहे है. राइट टू हेल्थ बिल का विरोध कर रहे है. लेकिन असल में सरकार के खिलाफ हो रहा यही विरोध गहलोत सरकार की संजीवनी है.

हाल ही में सोशल मीडिया पर एक ट्रेंड चला था. राइट टू हेल्थ संजीवनी है. इस बार राजस्थान सरकार ने चिरंजीवी योजना में मुफ्त इलाज का दायरा 5 लाख से बढ़ाकर 25 लाख रुपए कर दिया है. किसी भी परिवार के लिए 25 लाख तक का मुफ्त इलाज और राइट टू हेल्थ जितना आम लोगों के लिए संजीवनी है. उससे भी कहीं ज्यादा राज्य सरकार के लिए संजीवनी साबित हो सकती है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए भी ये किसी संजीवनी से कम नहीं है.

जयपुर से लेकर जोधपुर जैसे बड़े शहरों और गांव ढ़ाणियों तक. डॉक्टर राइट टू हेल्थ का जितना विरोध करेंगे. ग्रामीण इलाकों तक इस मुद्दे पर चर्चा हो रही है. जब लोगों को ये पता चलता है कि आखिर राइट टू हेल्थ क्या है और उसका आम लोगों को क्या फायदा होने वाला है. तो आम जनता का सेंटीमेंट भी सरकार के साथ हो जाता है. आम लोग भी डॉक्टरों की मांगों को नाजायज बताने लगे है.

ये भी पढ़ें- सचिन पायलट को कांग्रेस आलाकमान का बड़ा झटका, 31 नेताओं की इस लिस्ट से हुए बाहर

कुलमिलाकर राइट टू हेल्थ जैसे आम जन के हितों वाले कानून का जितना विरोध होगा. बिना सरकारी खर्चे के, बिना विज्ञापन के इस पर गांव ढ़ाणी तक चर्चाएं शुरू होगी. लोगों को राइट टू हेल्थ से आम जन को होने वाले फायदों का पता लगेगा.  इससे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की लोकप्रियता बढ़ेगी. ऐसे में राजनीतिक विश्लेषकों में इस बात पर भी चर्चाएं हो रही है कि क्या राइट टू हेल्थ बिल इस बार के चुनावों का सबसे बड़ा मुद्दा होगा. क्या इस राइट टू हेल्थ बिल और चिरंजीवी योजना में 25 लाख तक के मुफ्त इलाज के फैसले कांग्रेस को संजीवनी देंगे. क्या इससे बीजेपी की मुश्किलें बढ़ेगी.

Trending news