Sirohi news: सिरोही के आदिवासी क्षेत्र भाखर का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. जिसमें कुछ युवक होली के बाद जलते अंगारो से निकल रहे है. इस दौरान आसपास ढोल भी बज रहे हैं.
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Sirohi: सिरोही जिले के आबूरोड स्थित आदिवासी क्षेत्र भाखर का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमे कुछ युवाओं होली के बाद जलते अंगारो से निकल रहे है. आसपास ढ़ोल बज रहा है और कई युवा इस दौरान होलिका दहन के बाद आग से निकल रहे है. आदिवासी क्षेत्र मे होलिका दहन के प्रति आस्था और एक परम्परा के तहत इस तरह से युवा अंगारो से निकल रहे है.
आदिवासी क्षेत्र की एक ऐसी परंपरा जिसे देखकर आप दंग रह जाएंगे. होली के समय इस परंपरा को भाखर क्षेत्र में लोग निभाते हुए नजर आते हैं . सिरोही जिले के आबूरोड के भाखर क्षेत्र से एक ऐसे ही परंपरा का वीडियो वायरल हुआ जिसमें आदिवासी युवा अंगारों पर चलते हुए दिखे.
#सिरोही में होली के बाद नंगे पांव अंगोरों पर चले युवा, हैरान करने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल, देखें pic.twitter.com/POPfQGZ09f
— ZEE Rajasthan (@zeerajasthan_) March 9, 2023
भारतीय संस्कृति में त्योहारों पर अलग-अलग प्रकार की अनूठी परंपरा में देखने को मिलती है आबूरोड के भाखर क्षेत्रमें एक ऐसी ही अनूठी परंपरा देखनेे को मिली जिसके तहत आदिवासी युवा आग के अंगारों पर ढोल धमाके व उत्सााह के साथ चलते हुए दिखे इस वायरल वीडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है, कि ये युवा अपनी इस परंपरा के प्रति कितने उत्साहित हैं.
आदिवासियों की मान्यता है कि इस परंपरा को निर्गुण करने से सुख शांति और समृद्धि होती है तो कईयों का दावा है कि जब भक्त प्रहलाद खुद होलिका में बैठा और तमाम बुराइयां जल गई मगर भगवान नहीं जले उसी हम भी उसी तरह से परंपरा काा निर्गुण कर सकते हैं और हमार अंदर की बुराइयों को आग में जलाकर शुद्ध रूप से स्वस्थ बाहर निकल सकते हैं वही आग पर चलते हुए का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है.
आदिवासियो के अनुसार यह आस्था प्रतिक है आदिवासी क्षेत्र मे मन्नत पूरी होने के बाद इस तरह से आग से निकलते है. आग पर चलने वाला युवक पुरे दिन व्रत रखता है दिनभर कुछ खाता नहीं है यंहा तक कि पानी भी नहीं पीते है रात 12 बजे होली जलाई जाती है उसके बाद इस परम्परा का निर्वहन होता है यह भी मान्यता है कि होली जलने के बाद अगर होली पूर्व मे गिरती है आना वाला शुभ माना जाता है और अगर पश्चिम में गिरती है अशुभ. यह परम्परा जम्बूड़ी, उपलागढ़, पाबा सहित अन्य गांवों मे मनाई जाती है.