यहां 450 सालों से खेली जा रही बंदूक, बारूद और तलवारों से होली, जानें क्यों
Advertisement
trendingNow1/india/rajasthan/rajasthan1600751

यहां 450 सालों से खेली जा रही बंदूक, बारूद और तलवारों से होली, जानें क्यों

Rajasthan Unique Holi: राजस्थान के इस गांव में तोप, तलवार, बारूद, बंदूक से होली खेली जाती है. यह परंपरा ये लोग पिछले 450 सालों पुरानी है. जानें क्यों मनाते हैं ये अनोखी धुलंडी. 

यहां 450 सालों से खेली जा रही बंदूक, बारूद और तलवारों से होली, जानें क्यों

Rajasthan Unique Holi: हमने रंगों, फूलों आदि की होली के बारे में सुना और देखा है, लेकिन आज हम आपको  तोप, तलवार, बारूद, बंदूक से खेली जाने वाली होले के बारे में बताने जा रहे हैं. राजस्थान के उदयपुर को उसके इतिहास, खूबसूरती के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है. 

उदयपुर से करीब 50 किलोमीटर दूर एक गांव है, जिसका नाम मेनार गांव है. इस गांव में धुलेंडी के दूसरे दिन बारूदी अनोखी होली खेली जाती है. इस अनोखी होली में गांव के लोग आमने-सामने खड़े होकर बंदूकों से हवाई फायर करते हैं. यह होली ऐसी लगती है, जैसे होली पर दिवाली का जश्न मनाया जा रहा हो. 

रात में खेली जाती है होली 
इस होली में लोग खुले आसमान में तोप छोड़ते हैं और तलवारें लहराते हैं. इस गांव के लोगों के साथ आसपास के क्षेत्र भी होली मनाने के लिए यहां आते हैं. यह होली रात में खेली जाती है. यह होली खेलते वक्त आजतक कोई भी नुकसान नहीं हुआ है. 

450 सालों पुरानी परंपरा 
कहा जाता है कि महाराणा प्रताप के पिता उदय सिंह ने अपने वक्त में मेवाड़ पर हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए मेनारिया ब्राह्मणों ने अपने दुश्मनों से लड़ाई की थी और यह युद्ध रात में लड़ा गया था, जिसमें मेनारिया ब्राह्मणों ने मौत दुश्मनों को मौत के घाट उतार दिया था. इसी के बाद से मेनारिया गांव के लोग उसकी याद में रात में बारूदों की होली मनाते आ रहे हैं. यह परंपरा 450 सालों पुरानी है.

रंगों की जगह दिखाई देती तलवारें और बंदूक 
यह होली धुलेंडी के दूसरे दिन आसमान में आतिशबाजी के साथ खेली जाती है. इसमें होली में रंगों की जगह बारूद, तोप, बंदूक, तलवार और पटाखे नजर आते हैं. इस होली को मनाने के लिए लोग दूर-दूर से यहां आते हैं. 

यह भी पढ़ेंः इस महिला IPS ने पहले की थी बॉलीवुड फिल्में, पढ़ाई में जीता गोल्ड मेडल

Trending news