चुनाव में जीत हासिल करना आसान काम नहीं है, क्योंकि सियासी दलों और उनके नेताओं को एक नहीं कई तरह की चुनौतियों से निपटना होता है. जनता अगर खुश है तो नेता की बल्ले बल्ले है. जनता अगर नाराज हुई तो समझो नेता जी की लुटिया डूबना तय है. लेकिन एक स्थित सबसे खराब तब मानी जा सकती है जब जनता चुनाव का ही बहिष्कार कर दे. ठीक ऐसा ही हाल है जालोर के चितलवाना उपखंड का. उपखण्ड के करीब दो दर्जन से ज्यादा गांवों के किसान सिंचाई के पानी के मुद्दे को लेकर विरोध पर उतर आए हैं. किसानों ने एकजुट होकर इस बार चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला कर लिया है. किसान न तो पूर्व सरकारों से खुश रहे और न ही मौजूदा सरकार से खुश हैं. यानि साफ है कि इस बार नेताओं की मुश्किल बढ़ने वाली है.