देहरादून की इंडियन मिलिट्री अकादमी से पासआउट होकर हितेश कुमार अब भारतीय सेना में शामिल होने जा रहे हैं.
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नई दिल्ली : 1999 में पाकिस्तान के खिलाफ कारगिल युद्ध में कई सैनिकों ने अपने प्राणों की आहुति देकर तिरंगे का मान बढ़ाया था और पाकिस्तानी धोखे का मुंहतोड़ जवाब दिया था. इन्हीं में से एक थे राजपूताना राइफल में सेकंड बटालियन में लांस नायक बच्चन सिंह. वह 12 जून 1999 में कारगिल में तोलोलिंग में शहीद हुए थे. आज संयोग देखिए उनका बेटा हितेश कुमार अब उसी बटालियन में लेफ्टिनेंट बनकर सेना ज्वाइन कर रहा है.
1999 में जब बच्चन सिंह शहीद हुए उस समय हितेश सिर्फ 6 साल का था. वह आर्मी ज्वाइन करने का सपना लेकर ही बड़ा हुआ. अब 19 साल बाद इंडियन मिलिट्री अकादमी देहरादून से पास होकर वह राजपूताना राइफल्स ही ज्वाइन करेगा. इसी बटालियन में उसके पिता शहीद बच्चन सिंह थे.
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देहरादून अकादमी से पासआउट होने के बाद हितेश ने अपने भाई और मां के साथ मुजफ्फरनगर सिविल लाइंस एरिया में मौजूद अपने पिता के मेमोरियल पर श्रद्धांजलि अर्पित की. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इस मौके पर हितेश ने कहा, 'पिछले 19 सालों से मैं भारतीय सेना ज्वाइन करने का सपना देख रहा था. ये मेरी मां का भी सपना था. अब मैं अपने देश की सेवा करूंगा. ये मेरे लिए बड़े ही गर्व का क्षण है.'
हितेश की मां कामेश बाला का कहना है कि उनके पति के शहीद होने के बाद जीवन बहुत कठिन था. मैंने अपना जीवन अपने दोनों बच्चों के लिए समर्पित कर दिया. आज मुझे गर्व है कि मेरा बेटा अब अपने देश की सेवा करेगा. उसका छोटा भाई हेमंत भी सेना की ही तैयारी कर रहा है.
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शहीद बच्चन सिंह की बटालियन में उनके साथी रिशीपाल सिंह कहते हैं. बच्चन सिंह बहादुर सिपाही थे. युद्ध में उनके सिर में गोली लगी थी. उस दिन हमने कारगिल में अपने 17 सैनिक गंवाए थे. इनमें मेजर विवके गुप्ता भी शामिल थे. आज बच्चन सिंह को अपने बेटे पर बड़ा गर्व हो रहा होगा.