यूपी में दिमागी बुखार का कहर, बहराइच में 45 दिनों में हुई 71 बच्चों की मौत
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यूपी में दिमागी बुखार का कहर, बहराइच में 45 दिनों में हुई 71 बच्चों की मौत

इसका सबसे ज्यादा असर बहराइच, सीतापुर, बस्ती, बरेली और बदायूं में है. यहां रोज मरीजों का संख्या में इजाफा हो रहा है. 

लगातार बढ़ रहे मामलों के कारण प्रदेश की स्वास्थ्य विभाग की सेवाओं पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं.

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में दिमागी बुखार ने कहर बरपा रखा है. पिछले साल गोरखपुर में हुए 200 से ज्यादा बच्चों की मौतों को लोग भूल भी नहीं पाए थे, कि इस बार दिमागी बुखार ने लोगों की समस्याओं को बढ़ा दिया है. यूपी के कई जिले जानलेवा बुखार की चपेट में हैं. बहराइच में इसका सबसे ज्यादा असर देखा जा रहा है. पिछले 45 दिनों में वहां 71 बच्चों की मौत हो गई है, जिसके बाद प्रदेश की स्वास्थ्य विभाग की सेवाओं पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं. पूरे उत्तर करीब 150 लोगों की मौत हो गई है. 

बहराइच में बढ़ती बीमारियों से स्वास्थ्य सेवाएं लगातार चरमरा रही हैं. बीमारियों से निपटने के लिए यहां के सरकारी अस्पताल भी फेल साबित हो रहे हैं. अस्पताल में मासूम बच्चों का जमीन पर इलाज किया जा रहा है. तो शवों को ले जाने के लिए उनके परिजनों को स्ट्रेचर तक नसीब नहीं हो रहा है. इन सब मामलों पर अस्पताल प्रशासन संसाधनों की कमी को रोना रो रहा है.

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इसका सबसे ज्यादा असर बहराइच, सीतापुर, बस्ती, बरेली और बदायूं में है. यहां रोज मरीजों का संख्या में इजाफा हो रहा है. वहीं, इलाज की जगह अस्पतालों में बदइंतज़ामी दिख रही है. हेल्थ सिस्टम आईसीयू में है और लोग बेबस और लाचार हैं. इस मसले पर स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा है कि बारिश के बाद बुखार के मामले लगातार सामने आ रहे हैं, जिसे सरकार मॉनिटर भी कर रही है. उन्होंने कहा कि जिन  क्षेत्रों में बुखार के मामले सामने आ रहे हैं. वहां पर स्वास्थ्य टीमें भेजकर मरीजों के इलाज की भी व्यवस्था भी हो रही हैं.  

बहराइच के CMO एके पाण्डेय का कहना है कि सभी जगहों पर डॉक्टर तैनात हैं. गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर 24 घंटे एक डॉक्टर भी तैनात है. लेकिन लोगों से जब हमने बात की, तो सामने आया कि प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर कोई भी डॉक्टर दो बजे के बाद मौजूद नहीं रहता, जिससे काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. 

यूपी के सीतापुर में विकास खण्ड गोंदलामऊ के दर्जनों गांवों में इन दिनों संक्रामक रोग फैला हुआ है. अब तक 34 बच्चों की मौत हो चुकी है और आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है. हजारों बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे भी उल्टी-दस्त और बुखार से पीड़ित हैं. स्वास्थ्य विभाग द्वारा उपचार की प्रर्याप्त व्यवस्था न होने के कारण लोग प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कराने को मजबूर हैं.

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बस्ती में बुखार कहर बरपा रहा है. बुखार की चपेट में सबसे ज्यादा बच्चे हैं, जिला अस्पताल के चिल्ड्रन वार्ड में बीमार बच्चों का इलाज किया जा रहा है. तेज बुखार से पीड़ित कई बच्चों को गंभीर हालत में भर्ती किया गया है. जिले के सभी अस्पतालों में बुखार के ज्यादा मामले आ रहे हैं. अस्पताल प्रबंधन के मुताबिक, मरीजों के इलाज के लिए पूरी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हैं. 

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बदायूं और शाहजहांपुर जिलों में पिछले तीन दिनों में छह और मौत के साथ मंडल में मौत का आंकड़ा बढ़कर 42 हो गया है. प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में रहस्यमयी बुखार के कारण मौतों का क्रम जारी रहने पर विपक्षी दलों ने सरकार को जिम्मेदार बताया और मृतकों के परिवारीजन को दस -दस लाख रुपये मुआवजा देने की मांग की. कांग्रेस प्रवक्ता ओंकार नाथ सिंह ने आरोप लगाया कि पांच सौ से अधिक मौत होने के बावजूद सरकार आंख व कान बंद किए है. प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं चौपट हो चुकी है सरकार द्वारा किए गए सभी दावे हवाई है. उन्होंने आरोप लगाया कि रहस्यमयी बुखार कहर बना है और सरकार जातिवादी सम्मेलन आयोजित कराने में जुटी है.

हालांकि सच्चाई कोसो दूर है और मासूमों की मौत पर सन्नाटा पसरा हुआ है. ऐसा इसलिये क्योंकि सियासी पार्टियों के लिए सेहत कोई मुद्दा शायद है ही नहीं और ऐसे में बस लोग यही कह रहे हैं कि मासूमों का जान के लिए कुछ करिए. 

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