हाईकोर्ट ने कहा कि फॉर्मेट में जो तथ्य उजागर करने की अनिवार्यता है, वे सभी सारे तथ्य बिना फॉर्मेट वाले सर्टिफिकेट में भी हैं.
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इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि एससी/एसटी का सर्टिफिकेट फॉर्मेट में न होने पर अस्वीकार करना गलत है. कोर्ट ने कहा कि फॉर्मेट में जो तथ्य उजागर करने की अनिवार्यता है, वे सभी सारे तथ्य बिना फॉर्मेट वाले सर्टिफिकेट में भी हैं. बिना फॉर्मेट का एससी/एसटी सर्टिफिकेट भी राज्य के अधिकारियों द्वारा ही जारी किया है. ऐसे में इस सर्टिफिकेट को न मानना गलत है. यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने रविकांत कुमार गोंड व 17 अन्य एसटी अभ्यर्थियों और सतेंद्र कुमार गोंड 17 अन्य एससी अभ्यर्थियों की याचिकाओं पर अधिवक्ता विजय गौतम और अन्य को सुनकर दिया है.
अधिवक्ता विजय गौतम का तर्क था कि याचिकाकर्ताओं को एससी/एसटी का जाति प्रमाणपत्र राज्य सरकार के सक्षम अधिकारियों ने जारी किया है. उनका यह भी कहना था कि एससी/एसटी जन्मजात होते हैं. ऐसे में प्रमाणपत्र फॉर्मेट में न होने की वजह से अस्वीकार करना गैर कानूनी है. याचिकाओं को निस्तारित करते हुए कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को एससी/एसटी मानते हुए आगे की कार्रवाई की जाए. हालांकि, कोर्ट ने आदेश में स्पष्ट किया है कि अधिकारी नियुक्ति पत्र जारी करने से पहले ऐसे सर्टिफिकेट की वैधता की जांच कर सकते हैं.
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दो विषयों से एलटी ग्रेड परीक्षा देने की अनुमति देने की मांग में दाखिल याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है. यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी ने सोना देवी और अन्य की याचिका पर अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी को सुनकर दिया है. मामले के तथ्यों के अनुसार याचिकाकर्ताओं ने एलटी ग्रेड के लिए दो विषयों से आवेदन किया है. किसी ने कम्प्यूटर और गणित से और किसी ने केमेस्ट्री और बायोलॉजी से. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने लोकसेवा आयोग से एलटी ग्रेड परीक्षा दो दिन कराने की मांग की, ताकि वे दोनों विषयों की परीक्षा में शामिल हो सकें लेकिन आयोग ने एक विषय से ही परीक्षा देने की अनुमति दी है.
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2016 की 12460 सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए एक से अधिक जिलों से आवेदन करने वालों को पहली काउंसिलिंग में शामिल न होने देने के मामले में जवाब के लिए अंतिम मौका दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी ने अवनीश कुमार और अन्य की याचिका पर दिया है. मामले के तथ्यों के अनुसार 12460 भर्ती में बीएसए ने एक ही जिले से आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों को ही काउंसिलिंग की अनुमति दी है. कहा गया है कि जिन्होंने एक से अधिक जिले से आवेदन किया है, उन पर अन्य जिलों से दावे छोड़ने का दबाव बनाया जा रहा है. कोर्ट ने पिछली सुनवाई पर प्रमुख सचिव, बेसिक शिक्षा से याचिका पर जवाब दाखिल करने या स्वयं उपस्थित होने को कहा था. सोमवार को जवाब न प्रस्तुत होने व उपस्थित नहीं होने पर कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया, लेकिन एक अवसर और देते हुए अगली सुनवाई तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.