यूपी: महाभारत के लाक्षागृह के रहस्य से उठेगा पर्दा, 15 शोधकर्ताओं की टीम बागपत पहुंची
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यूपी: महाभारत के लाक्षागृह के रहस्य से उठेगा पर्दा, 15 शोधकर्ताओं की टीम बागपत पहुंची

देश की राजधानी दिल्ली से महज 40 किलोमीटर दूर यूपी के बागपत को महाभारत कालीन भूमि कहा जाता है. इसी जिले में बसा है बरनावा इलाके में बना एक टीले को महाभारत के समय का लाक्षागृह बताया जाता है.

फाइल तस्वीर

पागपत: क्या महाभारत की कथा सच्ची है? क्या सच में बना था लाख का महल, ये हकीकत थी या फिर कोई कहानी, अब इस रहस्य पर्दा उठाने की शुरुआत हो चुकी है. देश की राजधानी दिल्ली से महज 40 किलोमीटर दूर यूपी के बागपत को महाभारत कालीन भूमि कहा जाता है. इसी जिले में बसा है बरनावा इलाके में बना एक टीले को महाभारत के समय का लाक्षागृह बताया जाता है. यहां एक सुरंग भी है, जिसे महाभारत के समय का प्रमाण बताया जाता है. इसी के चलते बुधवार को पुरात्व विभाग ने यहां उत्खनन शुरू किया है. इस उत्खनन में 15 शोधकर्ता छात्रों की टीम और पुरात्व विभाग के अधिकारी जुड़े हुए हैं.

  1. बागपत में महाभारत कालीन भूमि का किया जाता है दावा
  2. एक टीले को महाभारत के समय का लाक्षागृह बताया जाता है
  3. दावे को साबित करने के लिए 15 शोधकर्ता की टीम बागपत पहुंची

वह दिन अब दूर नहीं जब बागपत का नाम देश से लेकर विदेशों तक सुनाई देगा, क्योंकि अब लंबे इंतजार के बाद इतिहासकार और पुरातत्व विभाग बागपत की धरती पर पहुंचे हैं. यहां पर खुदाई का काम भी शुरू कर दिया गया है, क्योंकि बागपत की धरती से महाभारत के इतिहास का पर्दा भी यहीं से उठेगा. इसके लिए बरनावा लाक्षागृह पर उत्खनन के लिए किए जा रहे इंतजार की घड़ी अब समाप्त हो गई. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण शाखा द्वितीय लाल किला, भारतीय पुरातत्व संस्थान नई दिल्ली बड़ौत के प्रतिनिधियों ने उत्खनन की तिथि 10 जनवरी घोषित की थी, जिसके बाद बुधवार को टीम ने उत्खनन कार्य शुरू कर दिया जाएगा. इस मौके पर देश के जाने-माने इतिहासकार भी रहेंगे.

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इतिहासकार व शहजाद राय शोध संस्थान के निदेशक अमित राय जैन व पुरात्व विभाग की टीम बुधवार को लाक्षाग्रह पर पहुंचे तो यहां उन्होंने भौगोलिक जानकारी के अलावा लगाए जा रहे ट्रेंच का अवलोकन किया. उन्होंने बताया कि फिलहाल एल सेफ में ट्रेंच लगाया गया है, जिसका दायरा बहुत जल्द बढ़ा दिया जाएगा और करीब दो माह बाद यहां उत्खनन करने के बाद टीले के चारों ओर ट्रेंच लगाया गया है. 

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करीब दो घंटे के कार्यक्रम के बाद बुधवार को उत्खनन कार्य शुरू कर दिया गया है. उम्मीद है कि यहां महाभारतकालीन और रामायणकालीन के कई नए रहस्यों को उजागर किया जा सकेगा, क्योंकि इतिहासकारों का मानना है कि यहां पर पांडवों की हत्या की साजिश दुर्योधन ने रची थी, लेकिन विदुर के आगे उनकी योजना धरी रह गयी. विदुर ने पांडवों को सुरक्षित निकाला था. यह टीला वही लाक्षागृह है जहां पांडवों को जलाने का प्रयास किया गया था. अब इस टीले पर उत्खन्न शुरू किया गया है और इसके रहस्य से पर्दा उठाया जायेगा.

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