स्वाति भदौरिया का मानना है कि वह ऐसे वातावरण में बड़ा हो रहा है जहां चीजों को आपस में साझा किया जाता है.
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देहरादून: चमोली की जिलाधिकारी स्वाति भदौरिया ने अपने दो वर्षीय बेटे को शहर के किसी मंहगे स्कूल में भेजने की बजाय गोपेश्वर गांव में स्थित आंगनवाड़ी केंद्र में दाखिल करा दूसरों के लिये अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है. अपने निर्णय पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए स्वाति ने कहा, ' आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों के विकास के लिए जरूरी सभी प्रकार की सुविधायें और समग्र वातावरण मौजूद है.
उन्होंने कहा, 'इन केंद्रों में शिक्षा, खेल और खाना सब साथ-साथ चलता है. वहां अन्य बच्चों के साथ मेरा बेटे बहुत अच्छा महसूस कर रहा है.' स्वाति के लिये अपने बेटे को आंगनवाड़ी केंद्र भेजने हेतु प्रेरित होने की एक वजह यह भी है कि उनका मानना है कि वह ऐसे वातावरण में बड़ा हो रहा है जहां चीजों को आपस में साझा किया जाता है.
Uttarakhand: Chamoli’s DM Swati Bhadauriya enrols her son to Anganwadi Center in Gopeshwar village. DM says,“It's for his social,mental&physical growth. All children are well-fed&provided with toys&basic amenities,including medical care.Children can have holistic growth here.” pic.twitter.com/3naLHgeuiV
— ANI (@ANI) 1 November 2018
चमोली की जिलाधिकारी ने कहा, 'मेरे बेटे ने अपने सहपाठियों के साथ खाना खाया और जब वह घर लौटा तो काफी प्रसन्न दिखायी दे रहा था.' स्वाति के पति नितिन भदौरिया भी एक आइएएस अफसर है और फिलहाल अल्मोड़ा के जिलाधिकारी के पद पर तैनात हैं.' स्वाति ने बताया कि उनके इस निर्णय के पीछे एक कारण यह भी है कि इससे आंगनवाड़ी केंद्रों के प्रति आम दृष्टिकोण में बदलाव आयेगा. आंगनवाड़ी केंद्र में एक स्वयंसेविका मंजू भटट ने बताया, 'मंगलवार को अभ्युदय पहली बार आंगनवाड़ी केंद्र आया और वहां उसने अन्य बच्चों के साथ खिचडी खाई.'
(इनपुट-भाषा)