Joshimath News: जोशीमठ में नहीं टले संकट के बादल! बारिश के चलते बढ़ी घरों में पड़ी दरारें, डर के साये में जीने को मजबूर लोग
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Joshimath News: जोशीमठ में नहीं टले संकट के बादल! बारिश के चलते बढ़ी घरों में पड़ी दरारें, डर के साये में जीने को मजबूर लोग

Joshimath News: जोशीमठ में जनवरी महीने में जो दरारें हल्की पड़ी थी वह धीरे-धीरे बढ़ने लगी है. जिससे स्थानीय लोगों की दिन और रात दहशत और चिंता में कट रही है. लोग डर के साये में जीवन जीने के लिए मजबूर हैं. 

Joshimath Sinking

Joshimath: उत्तराखंड में बीते कई दिनों से बारिश हो रही है, जिसके चलते लोगों को तमाम परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं. पहाड़ों पर हो रही मूसलाधार बारिश के कारण सड़कें भी बंद हो गई हैं. इसी बीच चमोली जिले का जोशीमठ (Joshimath) एक बार फिर चर्चा में आ गया है. यहां के लोगों के जख्म फिर हरे हो गए हैं. मॉनसून और भारी बारिश के चलते एक बार फिर से दरारों के बढ़ने का सिलसिला शुरू हो गया है, जिससे लोग एक बार फिर दहशत में हैं. 

क्रेको मीटर भी टूटने लगे 
जोशीमठ क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश के चलते जनवरी महीने में हल्की पड़ी दरारें धीरे-धीरे बढ़ने लगी हैं. रविग्राम वार्ड में इसका सबसे ज्यादा असर देखा जा रहा है. यहां राणा मोहल्ला में रहने वाले 10 से 12 मकानों में दरार बढ़ने की सूचना है. दरारों के अंदर से बरसात का पानी कमरों में घुस रहा है. लोग डर के साए में रहने को मजबूर हैं. सीबीआरआई टीम ने क्रेको मीटर लगाए थे, लेकिन वह भी अब धीरे-धीरे टूटने लगे हैं. जैसे-जैसे दरारें पड़ रही हैं. क्रेको मीटर भी अपना स्थान छोड़ रहे हैं. 

सड़क धंस रही हैं, बिजली के खंभे 
जोशीमठ के रास्ते भी लगातार हो रही बारिश के चलते जगह-जगह धंसने लगी है. इन रास्तों से गुजरना भी खतरे से खाली नहीं है.  जोशीमठ में रह रहे स्थानीय लोगों ने यह भी बताया कि डर के चलते ही वह बीते कई दिनों से रात-रात भर जागकर निगरानी करते हैं. स्थानीय लोगों के मुताबिक, बारिश के चलते बिजली का एक खंभा भी गिर गया है. जबकि दूसरा भी गिरने के कगार पर है.  

लोगों ने बताया कि प्रशासन की तरफ से जल्द से जल्द घर खाली करने का ऑर्डर आया है. ऐसा ना करने की स्थिति में उन्हें जबरन हटाया जाएगा. लोगों का कहना है कि उन्हें सामान और मवेशियों के साथ अन्य किसी जगह पर शिफ्ट होने में काफी परेशानी होगी. ऐसी स्थिति में किराये पर भी आसानी से मकान नहीं मिल रहे हैं. इसके अलावा ना ही प्रशासन की तरफ से ठहरने के लिए बने होटल में आसानी से जगह मिल रही है, ऐसे में आखिर जाएं तो कहां जाएं. यही वजह है कि सभी ने इस डर के बीच रहने की आदत डाल ली है. उनका कहना है कि 

प्रभावित क्षेत्रों में प्रशासन रख रहा है नजर 
वहीं प्रशासन के मुताबिक, प्रभावित क्षेत्रों में नजर रखी जा रही है. हालांकि, उसके बावजूद दरार बढ़ने से कहीं ना कहीं स्थानीय लोगों की चिंता बढ़ गई है. चमोली डीएम हिमांशु खुराना का कहना है कि प्रशासन की टीम प्रभावित इलाकों में पहुंचकर हर समय नजर बनाए हुए है. कुछ दिन पहले भी गड्ढे पड़ने और दरार आने की सूचना मिली थी, जिस पर तत्काल प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए समस्या का समाधान किया था. 

जनवरी में खाली कराने पड़े थे सैकड़ों घर 
गौरतलब है कि जनवरी के महीने में कई घरों में आई खतरनाक दरारों के चलते सैकड़ों परिवारों को निकालना पड़ा था. इन सभी परिवारों को सुरक्षित जगह भेजना पड़ा और घर खाली कराने पड़े. उसके बाद से ही लगातार स्थानीय लोग प्रशासन को मरम्मत का कार्य करने की अपील कर रहे थे. लोगों का कहना था कि मानसून आने से पहले अगर काम पूरा हो जाए तो दरारें आने का खतरा कम हो सकता है. मगर प्रशासन ने सुध नहीं ली. 

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