रावत सरकार के एक आदेश से प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की फीस पांच गुना बढ़ी
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand384559

रावत सरकार के एक आदेश से प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की फीस पांच गुना बढ़ी

उत्तराखंड की रावत सरकार ने कैबिनेट बैठक में प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों को स्टेट कोटे की सीटों पर फीस तय करने का अधिकार दिया. प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों ने सरकारी आदेश के बाद मनमानी करते हुए फीस करीब पांच गुना बढ़ा दी है. 

MD और MS की फीस 8-10 लाख से बढ़ाकर 24-30 लाख रुपए कर दी गई है. (प्रदर्शन करते छात्र)

देहरादून: उत्तराखंड की रावत सरकार ने कैबिनेट बैठक में प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों को स्टेट कोटे की सीटों पर फीस तय करने का अधिकार दिया. प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों ने सरकारी आदेश के बाद मनमानी करते हुए फीस करीब पांच गुना बढ़ा दी है. अचानक से पांच गुना फीस बढ़ा देने से छात्र परेशान हैं. परेशान छात्र सरकार के फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. कई छात्र इसके विरोध में अनशन पर बैठ गए हैं. सरकार के इस फैसले के बाद कांग्रेस भी हमलावर हो गई है. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि इसमे मेडिकल कॉलेजों का कोई दोष नहीं है. सरकार को चाहिए कि कानून में संशोधन कर छात्रों के भविष्य के बारे में सोचे.

  1. स्टेट कोटे की सीटों का फीस तय करने का मिला अधिकार
  2. 5 लाख सालान फीस बढ़ाकर 19 लाख सालाा कर दी गई
  3. फीस बढ़ोतरी को लेकर प्रदर्शन और अनशन पर उतरे छात्र

प्रदर्शन के वक्त 5 लाख थी सालाना फीस
प्रदर्शन कर रहे GRR मेडिकल कॉलेज के छात्रों का कहना है कि जिस वक्त कॉलेज में एडमिशन लिया था, उस वक्त सालाना फीस करीब पांच लाख रुपए थी. अब इसे बढ़ाकर 19 लाख रुपए सालाना कर दी गई है. पिछले दो दिनों से छात्र कॉलेज के गेट पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शन कर रहे छात्रों के समर्थन में उनके अभिभावक भी पहुंच चुके हैं. फीस बढ़ाने को लेकर कॉलेज प्रशासन का कहना है कि सरकार ने प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों को फीस बढ़ाने का अधिकार दिया है. हम अपनी फीस बढ़ाने के लिए स्वतंत्र हैं.

पढ़ें: गैरसैंण को राजधानी बनाने पर बोले मुख्यमंत्री रावत, 'राजधानी स्थानीय लोगों के लिए नहीं होती है'

 

12 मार्च को हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया फैसला
इस बाबत 12 मार्च को त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार की कैबिनेट बैठक हुई थी. उसी बैठक में यह फैसला लिया गया था. इस फैसले को लेकर कैबिनेट बैठक में कहा गया, चूंकि प्राइवेट मेडिकल कॉलेज खुद यूनिवर्सिटी हैं, इसलिए MD (डॉक्टर ऑफ मेडिसिन) और MS(मास्टर इन सर्जरी) की पढ़ाई के लिए फीस निर्धारण का अधिकार देने का फैसला लिया गया. 16 मार्च को एडमिशन एंड फीस रेगुलेटरी कमेटी ने कैबिनेट के फैसले को मंजूरी दे दी. मंजूरी मिलने के बाद MD और MS कोर्स की फीस करीब तीन गुना बढ़ाकर 24-30 लाख रुपए कर दी गई. पहले इस कोर्स के लिए फीस 8-10 लाख रुपए थी.

इन कॉलेजों ने बढ़ाई फीस
फीस बढ़ाने में देहरादून के स्वामी राम हिमालयन यूनिवर्सिटी का हिमालयन मेडिकल कॉलेज, SGRR यूनिवर्सिटी का SGRR मेडिकल कॉलेज और सुभारती यूनिवर्सिटी का सुभारती मेडिकल कॉलेज शामिल हैं. फीस बढ़ाने के बाद पीजी कोर्स जो अभी तक 30 लाख में पूरा हो जाता था, उसकी फीस अब 1 करोड़ रुपए हो गई है. फीस बढ़ाने के अलावा कॉलेजों ने हॉस्टल फीस भी अलग से जोड़ने की तैयारी कर रही है.

पढ़ें: 1 लाख लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य, मेट्रो निर्माण के लिए 86 करोड़ देगी सरकार

एक फॉर्म की वजह से मझधार में छात्र और अभिभावक
MBBS के छात्र जो विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं उनका कहना है कि एडमिशन के वक्त उन लोगों से एक फॉर्म भराया गया था, जिसमें लिखा था कि अगर कोर्स के दौरान फीस बढ़ती है तो उन्हें बढ़ी हुई फीस देनी होगी. इसलिए, कॉलेज ने स्टेट कोटे की फीस बढ़ा दी है. फीस अचानक से पांच गुना बढ़ा दी गई है. भरे गए शपथपत्र के मुताबिक अगर कोई छात्र अपनी सीट छोड़ता है तो उन्हें पूरे कोर्स की फीस चुकानी होगी. छात्रों के पास आंदोलन के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है. ये छात्र ऐसे भंवर में फंस गए हैं, जिन्हें निकलने का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है.

Trending news