लोगों के चीखने और बचा लो-बचा लो की आवाज साफ सुनाई दे रही थीं, ट्रेन हादसे की आंखों देखी कहानी
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लोगों के चीखने और बचा लो-बचा लो की आवाज साफ सुनाई दे रही थीं, ट्रेन हादसे की आंखों देखी कहानी

चश्मदीद ने बताया कि शाम करीब छह बजे उन्होंने बम के धमाके जैसी जोरदार आवाज सुनी इसके बाद चश्मदीद ने रेलवे ट्रेक की ओर देखा तो ट्रेन के कुछ डिब्बे हवा में उड़ रहे थे और फिर आकर एक दूसरे के ऊपर गिर गए. इनमें से कुछ घरों पर और कुछ बगल के स्कूल में घुस गए थे.

 ट्रेन के कुछ डिब्बे हवा में उड़ रहे थे और फिर आकर एक दूसरे के ऊपर गिर गए. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली/मुजफ्फरनगर: शनिवार की शाम उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के खतौली के पास हुए कलिंग-उत्कल एक्सप्रेस ट्रेन हादसे में अब तक 24 लोगों की मौत हो चुकी हैं जबकि 156 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं. घटना स्थल पर मौजूद कुछ लोगों ने हादसे का भयानक मंजर देखा.

हवा में उड़े ट्रेन के डिब्बे

कुछ चश्मदीद इससे सहमे भी हुए हैं. खतौली के नई आबादी गांव के पास हुए इस हादसे के एक चश्मदीद ने बताया कि शाम करीब छह बजे उन्होंने बम के धमाके जैसी जोरदार आवाज सुनी इसके बाद चश्मदीद ने रेलवे ट्रेक की ओर देखा तो ट्रेन के कुछ डिब्बे हवा में उड़ रहे थे और फिर आकर एक दूसरे के ऊपर गिर गए. इनमें से कुछ घरों पर और कुछ बगल के स्कूल में घुस गए थे.

बचा लो-बचा लो की आवाज

चश्मीद ने बताया कि उन्हें लोगों के रोने, चीखने और बचा लो-बचा लो की आवाज साफ सुनाई दे रही थीं. गांव के 100 से ज्यादा लोग फौरन रेलवे ट्रैक पर पहुंच गए थे. वे लोग गांव से अपने साथ दो सीढ़ियां और दो खाट लेकर पहुंचे थे. गांव वाले घायल यात्रियों को निकाल-निकालकर गांव के ही डॉक्टर मंसूर के पास लेकर जा रहे थे. उन्होंने ही घायलों का प्राथमिक उपचार किया, उसके बाद वहां एंबुलेंस पहुंची और लोगों को अस्पताल ले गई.

गांव के लोग रात भर करते रहे मदद

लोग हादसे के घंटों बाद भी आधी रात तक घटनास्थल पर ही कैम्प करते रहे और लोगों को मदद पहुंचाते रहे. आस-पास के इलाकों में रहने वाले मिस्त्री गैस कटर से बोगियों को काटकर लोगों को बचा रहे थे. इसके बाद राहत-बचाव कर्मियों ने घायलों को बाहर निकाला. 

हादसे वाली जगह पर 200 मीटर ट्रैक खराब

इस गंभीर दुर्घटना की जांच जारी है लेकिन इन सबसे इतर इसमें प्रशासन की लापरवाही भी सामने आ रही है. बताया जा रहा है कि हादसे वाली जगह पर करीब 200 मीटर ट्रैक काफी लंबे समय से खराब है. पटरियों में क्रेक के चलते अक्सर यहां ट्रेनें धीमी रफ्तार से निकलती हैं. इस ट्रैक को बदलने का प्रस्ताव रेलवे बोर्ड काफी पहले ही मंजूर कर चुका है, लेकिन काम अब तक नहीं शुरू हुआ है.

लाल कपड़ा दिखाकर टाला गया था हादसा

इलाके के लोगों ने बताया कि करीब डेढ़ महीने पहले भी यहां पटरी क्रैक हुई थी. जिसके बाद लाल कपड़ा दिखाकर ट्रेन रुकवाई गई थी. अगर लाल कपड़ा दिखाकर ट्रेन नहीं रुकवाई जाती तो कुछ इसी तरह का बड़ा हादसा हो सकता था. प्रशासन ने इसके बाद भी सुध नहीं ली और आखिर यह हादसा हुआ.

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