PM मोदी के खिलाफ वाराणसी से हार्दिक पटेल बन सकते हैं सपा-बसपा गठबंधन के उम्‍मीदवार: सूत्र
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PM मोदी के खिलाफ वाराणसी से हार्दिक पटेल बन सकते हैं सपा-बसपा गठबंधन के उम्‍मीदवार: सूत्र

वाराणसी से एक बड़ा सियासी संदेश देने की गरज से सपा-बसपा गठबंधन संयुक्‍त उम्‍मीदवार उतार सकता है.

सूत्रों के मुताबिक पीएम मोदी के खिलाफ होगा गठबंधन का संयुक्त उम्मीदवार मैदान में उतर सकता है. (फाइल फोटो)

लखनऊ: यूपी में सपा-बसपा के संभावित गठबंधन के बीच लोकसभा चुनाव की तैयारियों के बीच एक बड़ी खबर आ रही है कि यह गठबंधन पीएम नरेंद्र मोदी को वाराणसी में घेरने की तैयारी कर रहा है. वाराणसी से एक बड़ा सियासी संदेश देने की गरज से सपा-बसपा गठबंधन संयुक्‍त उम्‍मीदवार उतार सकता है. इस कड़ी में सूत्रों के मुताबिक दोनों पार्टियों से अलग किसी मजबूत दावेदार पर गठबंधन दांव लगा सकता है. इस कारण सूत्रों के मुताबिक गुजरात के पाटीदार आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल को वाराणसी से गठबंधन की तरफ से उम्‍मीदवार बनाया जा सकता है.

  1. सपा-बसपा गठबंधन का कल हो सकता है औपचारिक ऐलान
  2. मायावती और अखिलेश कल करेंगे साझा प्रेस कांफ्रेंस
  3. दोनों दल 37-37 सीटों पर लड़ेंगे चुनाव, कांग्रेस नहीं होगी शामिल

इधर यूपी में सपा-बसपा महागठबंधन की चर्चाओं के बीच शनिवार को अखिलेश यादव और मायावती की मुलाकात होगी. इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि दोनों नेता महागठबंधन के बारे में औपचारिक ऐलान कर सकते हैं. ऐसा इसलिए क्‍योंकि दोनों नेता साझा प्रेस कांफ्रेंस करेंगे. इसके लिए मीडियाकर्मियों को दोपहर 12 बजे यहां के होटल ताज में अखिलेश और मायावती की साझा प्रेस वार्ता को कवर करने का आमंत्रण दिया गया है. खास बात यह है कि आमंत्रण पत्र पर सपा की तरफ से राजेंद्र चौधरी और बीएसपी की तरफ से सतीश चंद्र मिश्रा के हस्‍ताक्षर हैं.

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37-37 सीटों पर लड़ेंगे चुनाव
आगामी लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की 80 सीटों पर सपा-बसपा के मिल कर चुनाव लड़ने पर दोनों दलों के शीर्ष नेतृत्व के बीच ‘सैद्धांतिक सहमति’ बन गई है. सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजेन्द्र चैधरी ने पिछले शनिवार को बताया था कि गठबंधन को लेकर पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा प्रमुख मायावती के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है. इस कड़ी में पिछले शुक्रवार को भी दोनों नेताओं के बीच दिल्ली में मुलाकात हुई थी. उन्होंने कहा था कि आगामी लोकसभा चुनाव में गठबंधन को लेकर ‘सैद्धांतिक सहमति‘ बन चुकी है.

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कांग्रेस को गठबंधन में शामिल किये जाने की संभावना पर चौधरी ने कहा था कि इसका निर्णय तो अखिलेश और मायावती ही लेंगे. बहरहाल, कांग्रेस के शीर्ष नेताओं राहुल गांधी और सोनिया गांधी के लिये क्रमशः अमेठी और रायबरेली सीटें छोड़ी जाएंगी. उल्लेखनीय है कि दिल्ली स्थित मायावती के आवास पर पिछले शुक्रवार को अखिलेश से साथ लगभग ढाई घंटे तक चली बैठक में दोनों दलों द्वारा 37-37 सीटों पर चुनाव लड़ने पर सहमति बन गई है. छह सीट कांग्रेस, रालोद और अन्य के लिये छोड़ी गई हैं.

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कांग्रेस के नाम पर सस्‍पेंस
इस बीच कांग्रेस ने सपा-बसपा के बीच 37 -37 सीट पर चुनाव लड़ने पर सहमति बनने के बाद उत्तर प्रदेश में अकेले ही चुनाव लड़ने के संकेत दिये हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी एल पुनिया ने सपा-बसपा गठजोड़ के बारे में कहा कि दोनों दल अपने फैसले करने के लिये स्वतंत्र है, कोई किसी के साथ जबरन समझौता नहीं कर सकता है. जहां तक उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का सवाल है तो पार्टी पहले से ही बहुत अच्छे से चुनाव लड़ने की तैयारी में है. हम अकेले चुनाव लड़ने के लिये तैयार है.’’

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वहीं उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजबब्बर ने सपा-बसपा गठबंधन के बारे में कहा कि इस बारे में अभी जो भी खबरें आ रहीं हैं वे सूत्रों पर आधारित हैं. जहां तक कांग्रेस का सवाल है तो हमारा स्पष्ट तौर पर मानना है कि पार्टी नेतृत्व इस बारे में जनता की इच्छा के मुताबिक फैसला करेगा.’’

इस तरह होगा सीटों का बंटवारा
सपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि दोनों नेताओं के बीच मजबूत जनाधार वाले इलाके की सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने पर भी सहमति बन गई है. इस आधार पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश की अधिकांश सीटों पर बसपा और पूर्वांचल में अधिकतर सीटों पर सपा के उम्मीदवार उतारने पर दोनों दल सहमत हैं. वहीं बुंदेलखंड की चार में से दो-दो सीटों पर दोनों दल चुनाव लड़ेंगे.

उल्लेखनीय है कि 16वीं लोकसभा में उत्तर प्रदेश से भाजपा के 68, सपा के सात, कांग्रेस और अपना-दल के दो-दो तथा रालोद का एक सांसद है. पिछले चुनाव में बसपा 19.77 फीसद वोट हासिल करने के बावजूद एक भी सीट नहीं जीत सकी थी. गठबंधन के स्वरूप के बारे में चौधरी ने कहा कि कुछ छोटे दलों को भी गठबंधन में शामिल करने के लिये बात हो रही है. सपा प्रवक्ता ने स्वीकार किया कि गठबंधन में शामिल करने के लिये पश्चिमी उत्तर प्रदेश में असर रखने वाले राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) से भी बातचीत हो रही है.

मालूम हो कि सपा और बसपा के बीच गठबंधन के बीज पिछले साल गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव के दौरान ही पड़ गये थे. इन दोनों सीटों पर बसपा ने सपा प्रत्याशियों को समर्थन दिया था और दोनों ही जगह उन्हें कामयाबी मिली थी. उसके बाद कैराना लोकसभा उपचुनाव में रालोद उम्मीदवार तबस्सुम हसन ने सपा के प्रत्यक्ष और बसपा के परोक्ष सहयोग से जीत हासिल की थी.

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