कैराना उपचुनाव: RLD ही नहीं बीजेपी भी मांग रही चौधरी साहब के नाम पर वोट
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कैराना उपचुनाव: RLD ही नहीं बीजेपी भी मांग रही चौधरी साहब के नाम पर वोट

कैराना उपचुनाव में प्रमुख पार्टियों के उम्मीदवारों को पारिवारिक संबंधों का सहारा है.

कैराना उपचुनाव में मुकाबला आरएलडी प्रत्याशी तबस्सुम हसन और बीजेपी की मृगांका सिंह के बीच है...

कैराना: शामली में तबस्सुम हसन के चुनाव कार्यालय का नजारा देखकर स्पष्ट है कि वह कैराना लोकसभा उपचुनाव में राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) की उम्मीदवार से कहीं ज्यादा अहमियत रखती हैं. आरएलडी के झंडों के अलावा कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के झंडे भी वहां आने वाले लोगों का स्वागत करते हैं. ये झंडे इस बात के गवाह हैं कि तबस्सुम उत्तर प्रदेश में विपक्षी पार्टियों की उम्मीदवार हैं, जिन्हें कैराना उपचुनाव में जीत की उम्मीद है. ये पार्टियां बीजेपी को हराकर यह भी साबित करना चाहती हैं कि गोरखपुर और फूलपुर के उपचुनावों में विपक्ष को मिली जीत कोई इत्तेफाक नहीं थी. तबस्सुम के चुनाव दफ्तर से बमुश्किल एक किलोमीटर की दूरी पर बीजेपी उम्मीदवार मृगांका सिंह का दफ्तर है, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की तस्वीरें लगी हुई हैं. मृगांका के पिता और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेता रहे हुकुम सिंह के निधन के कारण कैराना लोकसभा सीट पर उपचुनाव कराया जा रहा है. 

बीजेपी के चुनावी दस्तावेजों में भी चरण सिंह की तस्वीर
तबस्ससुम भी अपने पारिवारिक संबंधों पर बहुत हद तक निर्भर हैं. तबस्सुम के शामली स्थित दफ्तर में उनके दिवंगत पति मुनव्वर हसन की एक तस्वीर लगी है. मुनव्वर ने उत्तर प्रदेश विधानसभा और लोकसभा दोनों में कैराना का प्रतिनिधित्व किया था. आरएलडी दफ्तर में जाट नेता चौधरी चरण सिंह की भी एक तस्वीर है , जिनके बेटे अजित सिंह पार्टी के अध्यक्ष हैं. लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीजेपी भी चरण सिंह की विरासत की अनदेखी नहीं कर सकती. बीजेपी के चुनावी दस्तावेजों में भी चरण सिंह की तस्वीर है. चरण सिंह का जिक्र ही शायद एक ऐसी चीज है जो दोनों पार्टियों के उम्मीदवार कर रहे हैं. 

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कैराना से हिंदू परिवारों का पलायन थम गया है: मृगांका
कैराना से हिंदू परिवारों के कथित पलायन के मुद्दे पर तबस्सुम और मृगांका की अलग - अलग राय है. मृगांका के पिता ने कैराना से हिंदू परिवारों के ‘पलायन’ का दावा किया था जो 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में बड़ा मुद्दा बन गया था. मृगांका कहती हैं, "कैराना से हिंदू परिवारों का पलायन थम गया है." 

उन्होंने कहा, "2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से पहले डर और प्रताड़ना के कारण कैराना से सैकड़ों हिंदू परिवार चले गए थे. बहरहाल, योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में बीजेपी की सरकार बनने के बाद क्षेत्र में कानून - व्यवस्था की स्थिति में सुधार हुआ है." 

कैराना से कोई पलायन नहीं हुआ: तबस्सुम
लेकिन तबस्सुम कहती हैं, "पहली बात तो यह है कि कैराना से कोई पलायन नहीं हुआ. हिंदू और मुसलमान दोनों यहां कई पीढ़ियों से सद्भावपूर्ण तरीके से साथ - साथ रह रहे हैं. अहम मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए इस मुद्दे को उछाला गया था ताकि चुनावों को सांप्रदायिक रंग देकर वोटरों को बांटा जा सके." 

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तबस्सुम बसपा से सांसद रह चुकी हैं
तबस्सुम बसपा से सांसद रह चुकी हैं. इसके बाद वह सपा में शामिल हुई थीं और फिर आरएलडी में आईं. इलाके में दिवंगत हुकुम सिंह के प्रभाव के कारण कई लोग मृगांका को ‘स्थानीय’ मानते हैं. हालांकि, 2017 के एक हलफनामे में मृगांका को मुरादनगर विधानसभा क्षेत्र में वोटर के तौर पर पंजीकृत दिखाया गया है. उनके पिता का घर कैराना में है. कैराना-शामली रोड पर चाय विक्रेता अजित सिंह ने कहा, "हमारे पूर्व सांसद हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह निश्चित तौर पर कैराना ही निवासियों में एक हैं जबकि तबस्सुम बेगम तुलनात्मक रूप से इस स्थान से परिचित नहीं हैं." 

शहर में किराना व्यापारी महेंद्र सिंह का मानना है कि चुनाव में एक और महिला के उतर जाने के कारण बीजेपी के लिए राह मुश्किल हो गई है. उन्होंने कहा, "यदि मृगांका को चुनौती देने के लिए किसी महिला को नहीं उतारा गया होता तो बीजेपी के लिए यह काफी आसान मामला होता."  

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