PM को नायाब तोहफा भेंट करने वाले संदीप ने मोदी को किया ट्वीट, कहा-बैंक कर्मियों ने परेशान कर दिया
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नई दिल्ली: "कर्मण्येवाधिकारस्ते मां फलेषु कदाचन" कर्म करता जा फल की चिंता मत कर, जीवन का सार इस एक श्लोक में समेट देने वाली गीता से पूरे देश भर में प्रसिद्ध हुए संदीप आज कुछ बैंक कर्मचारियों की लापरवाही से अपना काम ही नहीं कर पा रहे हैं. कुछ साल पहले जिस संदीप की कला की तारीफ खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर पूरे देश से की थी वही संदीप आज बैंक लोन के लिए प्रधानमंत्री का दरवाजा खटखटाने को मजबूर है. जुनून हो, जज्बा हो लेकिन पैसों के अभाव में अगर आप काम को अंजाम न दे पा रहे हो, तो दुख क्या होता है यह कानपुर के संदीप सोनी से बेहतर और कोई नहीं बता सकता. कानपुर के जरौली के रहने वाले संदीप के सपने बैंकों में बैठे सरकारी कर्मचारियों की वजह से साकार नहीं हो पा रहे हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री को ट्वीट कर कार्रवाई करने के लिए लिखा है. अब उम्मीद है कि प्रधानमंत्री ही संदीप के लिए कुछ करेंगे.
#Kanpur: Sandeep Soni writes letter to PM Narendra Modi complaining that he is unable to do business, because of the way bank employees are troubling him. Soni met & gifted PM Modi copy of Bhagavad Gita carved on wood in 2016. (10.03.2018) pic.twitter.com/Qbv8vAhLcn
— ANI UP (@ANINewsUP) March 11, 2018
कौन है संदीप सोनी
कानपुर के संदीप सोनी उस समय खबरों में आए थे, जब उन्होंने लकड़ी के 32 बोर्डों में लकड़ी के अक्षरों को काटकर उसमें गीता के 18 अध्यायों के 706 श्लोक लिखे थे. साल 2014 में उन्होंने पीएमओ को पत्र लिखकर प्रधानमंत्री को यह भेंट करने की इच्छा जतायी थी. करीब डेढ़ साल के बाद उन्हें पीएमओ ने न्यौता देकर बुलाया और उन्होंने तोहफे स्वरूप इसे अपने हाथों से उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपा.
8 मार्च 2016 को मोदी ने किया था ट्वीट
संदीप सोनी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 मार्च 2016 को ट्वीट किया था. जो सोशल मीडिया पर काफी वायरल भी हुआ था. इस ट्वीट में मोदी ने लिखा था कि संदीप सोनी ने उन्हें लकड़ी पर तैयार की गई नक्काशीदार गीता भेंट की है. वे उन्हें इसके लिए धन्यवाद देते हैं. उन्होंने संदीप को जीवन में आगे बढ़ने, अपने हुनर को तराशने और इस हुनर से अन्य युवाओं को भी कुशल बनाने का जीवन मंत्र दिया था.
कुछ अपना करने की थी ललक
संदीप ने बताया कि जब वह प्रधानमंत्री से मिले थे तब उन्होंने कहा था, 'मैं तुम्हें पुरस्कार स्वरूप भी कुछ पैसा दे सकता हूं, लेकिन इससे तुम अपने व्यवसाय और हुनर को नहीं निखारोगे, इसलिए मेहनत और लगन से आगे बढ़ो और एक सफल उद्यमी बनों.'