किन्नरों के तालियां बजाने के पीछे होती है ये वजह, जानिए रोचक बातें
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किन्नरों के तालियां बजाने के पीछे होती है ये वजह, जानिए रोचक बातें

शादी-विवाह या घर में बच्चे के जन्म होने जैसे शुभ अवसर पर किन्नरों का आना शुभ माना जाता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर किन्नर तालियां क्यों बजाते हैं? तो आइए जानते है इसके पीछे की वजह.

किन्नरों के तालियां बजाने के पीछे होती है ये वजह, जानिए रोचक बातें

kinnar clapping: आपने अपने जीवन में अक्सर घर के आसपास शुभ अवसर पर किन्नरों को आते हुए देखा होगा. किन्नर इस अवसर पर नाच और गा कर ख़ुशी का माहौल बनाते हैं. इस दौरान किन्नर (Transgender) अपनी उपस्तिथि जोर-जोर से तालियां  बजाकर प्रस्तुत करते हैं. 

भावनाओं को करते है जाहिर 
किन्नरों को अपनी बिरादरी से घुलने मिलने के लिए अक्सर तालियां बजाकर खुद को असल किन्नर होने का साबुत देना होता है. इसके अलावा किन्नर तालियां बजाकर आपस में एक दुसरे से अपनी ख़ुशी के साथ-साथ भावनाओं को भी जाहिर करते हैं.

ताली बजाने से होती है एक्युप्रेशर थैरेपी  
आपने अक्सर देखा होगा कि किन्नर कम बीमार पड़ते हैं. वह डॉक्टर के पास इलाज के लिए बहुत ही कम जाते है, इसके पीछे उनकी ताली बजाकर एक्युप्रेशर थैरेपी का भी एक कारण माना जाता है. ताली बजाने से शारीर में रक्त संचार बढ़ जाता है, इसके आलावा शारीर के सभी अंग तेजी से और बेहतर तरीके से काम करने लगते हैं. यदि कोई भी व्यक्ति मधुमेह और अस्थमा जैसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त है तो उसको भी व्यायाम के स्वरूप ताली बजानी चाहिए. 

मस्तिष्क को करता है बेहतर 
ताली बजाना दिमाग और शरीर  दोनों को स्वस्थ रखने में कारागार है. इसके साथ ही किन्नर शारीर की पूरी शक्ति के साथ तालियां बजाते हैं. इसी कारण किन्नर अक्सर स्वस्थ और उत्साहित मूड में रहते हैं. 

ब्लड सर्कुलेशन रहता है बेहतर 
किन्नर अक्सर अपनी ताली बजाने की आवाज से भी पहचाने जानते हैं. यही ताली बजाने की आदत उनके ब्लड  सर्कुलेशन को बेहतर रखने में काम आती है. आपको बता दें कि आप सिर्फ ताली बजाकर ही अपना ब्लड सर्कुलेशन (Blood Circulation) बेहतर बना सकते हैं और इससे आप हाइपरटेंशन(Hypertension) या हाइपोटेंशन(Hypotension)जैसी बीमारी को खुद से दूर कर सकते हैं और आराम का जीवन जी सकते हैं.

ताली बजाने से बढती है शरीर की ऊर्जा
आप जानते होंगे कि ताली मन के खुश होने पर बजाई जाती है.  ताली बजाने के लिए सिर्फ हाथ ही नहीं बल्कि पुरे शरीर की ऊर्जा शक्ति लगती है. इस दौरान यह ऊर्जा और रक्त प्रवाह पुरे शारीर में फ़ैल जाता है और इस कारणवश यह कला शरीर को चुस्त रखती है.

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