Aligarh Lok Sabha Seat: अलीगढ़ में सतीश गौतम की हैट्रिक या विपक्ष के जाट-ब्राह्मण प्रत्याशी करेंगे बीजेपी को क्लीन बोल्ड
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Aligarh Lok Sabha Seat: अलीगढ़ में सतीश गौतम की हैट्रिक या विपक्ष के जाट-ब्राह्मण प्रत्याशी करेंगे बीजेपी को क्लीन बोल्ड

Aligarh Lok Sabha Seat 2024: लोकसभा चुनाव 2024 में उत्तर प्रदेश की अलीगढ़ Seat हॉट सीटों में से एक हैं. मुस्लिम बहुल इस सीट पर तीन फॉरवर्ड प्रत्याशियों के बीच कड़ी टक्कर होने के उम्मीद है. अलीगढ़ में बीजेपी, सपा और बसपा के उम्मीदवारों के सामने बनते-बिगड़ते जातीय समीकरणों से बीजेपी के लिए पार पाने की बड़ी चुनौती है. 

Aligarh Lok Sabha Seat 2024

Second Phase Election in UP: उत्तर प्रदेश में अठारहवीं लोकसभा चुनाव के पहले चरण की सीटों पर मतदान होने के बाद 26 अप्रैल को दूसरे चरण की आठ सीटों की है. दूसरे चरण में पश्चिमी यूपी और बृज क्षेत्रों की सीटों पर मतदान है. दूसरे फेस की वोटिंग के लिए सभी राजनीतिक दलों ने पूरी ताकत झोंक रखी है. यह चरण बीजेपी के लिए जितना अहम है, उतना ही कांग्रेस के लिए भी है क्योंकि यूपी में उनकी साख दांव पर लगी है. बात करें सपा की तो उनके लिए इस चरण में खोने जैसा बहुत कुछ नहीं है. भाजपा को अपनी सीटें बचाए रखना एक बड़ी चुनौती है. यहां हम बात करते हैं कल्याण सिंह का गढ़ कहे जाने  वाली अलीगढ़ लोकसभा सीट की जहां पर दूसरे चरण में वोटिंग होनी है.

दूसरे चरण में यहां पर होगी वोटिंग
लोकसभा चुनाव (Lok sabha Chunav 2024) के दूसरे चरण में 26 अप्रैल को उत्तर प्रदेश में 8 सीटों-अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा में वोट डलेंगे. 2019 लोकसभा चुनाव में इसमें से सिर्फ एक लोकसभा सीट (अमरोहा) पर बीजेपी को हार मिली थी जबकि 2014 में वह सभी 8 सीटों पर जीती थी.

अलीगढ़-भाजपा-सतीश गौतम
भाजपा संगठन ने एक बार फिर सतीश गौतम पर विश्वास जताया है. सतीश गौतम अलीगढ़ में तीसरी बार मैदान में  हैं. सतीश गौतम मूल रूप से जिले की इगलास तहसील के गोंडा ब्लाक और हाथरस संसदीय क्षेत्र में आने वाले गांव दामोदर नगर पूर्व नाम सड़ा वे निवासी हैं. सतीश, नोएडा में डेयरी उद्योग चलाते हैं और वे संघ व भाजपा से जुड़े और संगठन में काम करते रहे हैं. 2019 के चुनाव में अलीगढ़ में बीजेपी के सतीश कुमार गौतम ने बाजी मारी थी. बसपा और सपा के गठबंधन से डॉक्टर अजित बालियान दूसरे नंबर पर और तीसरे नंबर पर कांग्रेस ती थी. पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद 2019 के चुनाव में खेमेबंदी के चलते कल्याण सिंह से उनकी नाराजगी हो गई थी.  कल्याण सिंह की नाराजगी, विरोध के बाद भी वे दूसरी बार टिकट लाने में सफल रहे. 2024 के लिए तीसरे चुनाव में जब टिकट की दावेदारी में भी सतीश गौतम की जीत हुई. बीजेपी ने तीसरी बार उन पर भरोसा जताया है.

अलीगढ़ -सपा-चौधरी बिजेन्द्र सिंह
सपा-कांग्रेस गठबंधन ने इस बार पूर्व सांसद चौधरी बिजेन्द्र सिंह को मैदान में उतारा है.  बिजेन्द्र सिंह जाट बिरादरी से आते हैं. बिजेन्द्र 2004 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस के टिकट पर जीते थे.  दावेदारों की सूची में और भी कई चेहरे थे पर सपा ने पूर्व सांसद पर दांव लगाकर जाटलैंड पर निशाना साधा है. चौधरी बिजेंद्र सिंह छात्र जीवन में ही कांग्रेस से जुड़ गए थे. वर्ष 1989 में इगलास विधानसभा क्षेत्र से पहली बार कांग्रेस से विधायक निर्वाचित हुए. साल 1993 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी के विक्रम सिंह हिंडोल को हराया था. 2002  विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से ही बिजेंद्र सिंह चुनाव लड़े और बसपा के प्रत्याशी को हराया. 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में बिजेंद्र सिंह बीजेपी की लगातार चार बार की सांसद रहीं शीला गौतम को हराया था और सांसद बने थे. 

2005 में इगलास विधानसभा क्षेत्र में हुए उप चुनाव में हारे. 2009 में भी बिजेंद्र सिंह लोकसभा का चुनाव हारे. अतरौली विधानसभा से चुनाव लड़ा और हारे. 2014 और 2019 के चुनाव में भी कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में  लोकसभा चुनाव हारे. 2021 में उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए.

अलीगढ़ -बसपा-हितेन्द्र कुमार उर्फ बंटी उपाध्याय 
बहुजन समाज पा्र्टी ने बीजेपी से आए बसपा ने ब्राह्मण हितेन्द्र कुमार उर्फ बंटी उपाध्याय पर दांव लगाया है. बसपा ने पहले यहां गुफरान नूर को टिकट दिया था, फिर बाद में बंटी उपाध्याय को मैदान में उतारकर चाल बदली है. रीयल स्टेट कारोबारी बंटी लंबे समय से ब्राह्मण समाज की सियासत करते आ रहे हैं. बीएसपी का उपाध्याय को लोकसभा उम्मीदवार बनाए जाने के पीछे बीजेपी प्रत्याशी सतीश गौतम के खिलाफ मजबूत ब्राह्मण चेहरा खड़ा करना माना जा रहा है. 

पांचों विधानसभा में बीजेपी विधायक
वर्तमान में अलीगढ़ की सभी पांच विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है पर, लोकसभा के रण में प्रमुख दल से मुस्लिम प्रत्याशी के मैदान में नहीं होने से लड़ाई और घुमावदार हो गई है.

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Satish Gautam

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