एक मदरसा ऐसा भी जहां पढ़ाई जाती है संस्कृत
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एक मदरसा ऐसा भी जहां पढ़ाई जाती है संस्कृत

माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में यह पहला ऐसा मदरसा है जहां संस्कृत की पढ़ाई कराई जा रही है.

गोरखपुर के दारुल उलूम हुसैनिया मदरसा में लगती है संस्कृत की क्लास. तस्वीर साभार: ANI

गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का क्षेत्र कहे जाने वाले गोरखपुर के दारुल उलूम हुसैनिया मदरसा में छात्र-छात्राओं को संस्कृत की पढ़ाई कराई जा रही है. न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक छात्रा ने बताया, 'हमें संस्कृत पढ़ना अच्छा लगता है. हमारे टीचर संस्कृत की अच्छे तरीके से व्याख्या करके समझाते हैं. हमारे परिवार वाले भी संस्कृत पढ़ने में मदद कर रहे हैं.'

  1. गोरखपुर में है दारुल उलूम हुसैनिया मदरसा
  2. यहां पढ़ाई जा रही संस्कृत और अंग्रेजी
  3. मुस्लिम टीचर पढ़ा रहे हैं संस्कृत

बताया जा रहा है कि मदरसा की शिक्षा को आधुनिकता से जोड़ने के लिए यह कदम उठाया गया है. मदरसा में संस्कृत के अलावा अंग्रेजी, गणित, अरबी,  हिंदी और संस्कृत की भी पढ़ाई कराई जा रही है.

माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में यह पहला ऐसा मदरसा है जहां संस्कृत की पढ़ाई कराई जा रही है. दिलचस्प बात यह है कि संस्कृत पढ़ाने के लिए मदरसा में मुस्लिम टीचर ही नियुक्त किए गए हैं.

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दारुल उलूम हुसैनिया मदरसा के प्रिंसिपल ने न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में कहा, 'हम चाहते हैं कि मदरसा में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स किसी मामले में सामान्य स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों से पिछड़ें. मदरसा की शुरुआत केवल धर्म की पढ़ाई कराने के लिए नहीं, बल्कि समाज के कमजोर तबके के बच्चों की तालीम के लिए शुरू की जाती हैं. अगर मरदसे में पढ़ने वाले बच्चों को आगे चलकर मुश्किलों को सामना करना पड़े तो ये अच्छी बात नहीं है. इसलिए हम चाहते हैं कि मदरसे में पढ़ने वाले बच्चे भी जीवन के हर क्षेत्र में सामान्य बच्चों से प्रतिस्पर्धा करें, उनके सामने करियर चुनने के समान अवसर रहे.

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मालूम हो कि वेब पोर्टल पर पंजीयन अनिवार्य किये जाने के बाद यूपी के करीब दो हजार मदरसों को फर्जी करार दिया गया है. प्रदेश सरकार इन पर सालाना 100 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च कर रही थी. राज्य में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद यूपी के सभी मदरसों को आदेश दिया गया था कि वे मदरसा बोर्ड के वेब पोर्टल पर अपने बारे में पूरी पूरी जानकारी अपलोड करें. तय समय सीमा के अंदर ऐसा नहीं करने वाले मदरसों की मान्यता खत्म कर दी गई है.

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