मथुरा: देवर से अवैध संबंधों में रुकावट के चलते मां ने ली बेटे की जान
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मथुरा: देवर से अवैध संबंधों में रुकावट के चलते मां ने ली बेटे की जान

इस हत्याकांड में एससी/एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था. मासूम की मां ने मुआवजे के खातिर साजिश रची थी.

प्रतीकात्मक फोटो

मथुरा: करीब 2 महीने पहले 6 साल के मासूम प्रिंस की हत्या हो गई थी. इस मामले में गांव के ही ब्राह्मण परिवार के पांच लोगों को नामजद किया गया था. मामला SC/ST एक्ट से जुड़ा हुआ था, इसलिए मृतक के परिजनों को मुआवजे की राशि भी मिली. जांच के दौरान पुलिस को हत्याकांड के पिछे एक कहानी नजर आई. दोबारा जांच के बाद पुलिस ने खुलासा किया कि गलत लोगों को जान बूझकर मुआवजे के खातिर फंसाया गया था. इस मामले में अब एससी-एसटी आयोग ने संज्ञान लिया है. आयोग ने इस मामले को लेकर मथुरा के SSP को निर्देश दिया है कि जिन लोगों ने मामला दर्ज किया है उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए.

पुलिस ने जांच के बाद बताया कि प्रिंस की हत्या उसकी मां ने ही कर दी थी. दरअसल मासूम को अपनी मां और चाचा के अवैध रिश्तों का पता चल गया था. अनुसूचित जाति का होने की वजह से बेटे की हत्या के मुआवजे के तौर वह साढ़े आठ लाख रूपये भी लेना चाहती थी और इसकी पहली किस्त भी ले चुकी थी. महिला इससे पहले अपने पति की हत्या होने पर सरकार से मुआवजा पा चुकी थी. 

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इस मामले में मृत बालक प्रिंस की मां ने रंजिशन एक साजिश गढ़ते हुए अपने पारिवारिक विरोधियों को नामजद कर उनमें से एक को जेल भिजवा दिया था तथा अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत मिलने वाली सहायता के लिए आवेदन कर पहली किस्त के रूप में चार लाख रुपए भी सरकार से हासिल कर लिए थे.

एसपी देहात आदित्य कुमार शुक्ला ने गुरुवार को इस पूरे मामले का खुलासा करते हुए बताया कि जब जांच में सभी आरोपी निर्दोष साबित होते दिखे तो नादान बालक की इरादतन हत्या की पहेली को सुलझाने के लिए नए सिरे से जांच कराई गई. तब शक की सुई देवर-भाभी की ओर मुड़ने लगी. जिसे मोबाइल सर्विलांस ने भी काफी पुष्ट कर दिया. उन्होंने बताया, ‘‘उनसे सख्ती से पूछताछ की गई तो पूरी कहानी समझ में आ गई. मामले बेहद चौंकाने वाला था क्योंकि, इसी वर्ष पिता को खो चुके बच्चे की मां ने उसे केवल इसलिए मार दिया, क्योंकि वह उसके और चाचा के बीच के संबंधों का राज जान गया था.’’ 

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एसपी ने बताया, ‘‘नौहझील क्षेत्र के भैरई गांव में 19 जुलाई को अनुसूचित जाति के परिवार के छह वर्षीय पुत्र प्रिंस का शव गांव के कुएं में पड़ा मिला. उसकी मां गुड्डी ने गांव के आधा दर्जन लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी. जिसके चलते पुलिस ने 21 अगस्त को एक नामजद आरोपी बच्चू को पकड़कर जेल भेज दिया था.’’ 

इस मामले की जांच में पुलिस को आरोप सही नहीं मिले. गांव वाले भी पुलिस की थ्योरी को तस्दीक कर रहे थे. गांव में हुई महापंचायत में पुलिस से दोबारा भली प्रकार से जांच कराए जाने की मांग की गई. तब, गहन विवेचना के पश्चात गुड्डी और उसका देवर आकाश ही दोषी निकले. हत्या की साजिश एवं सरकारी रुपया दिलाने में भागीदार राजाबाबू आजाद अभी पुलिस की पकड़ से दूर है. उसकी तलाश जारी है. 

इस घटना से छह माह पूर्व गुड्डी के पति सुभाष की गांव के ही कुछ लोगों ने हत्या कर दी थी. जिसमें मुकेश पंडित को नामजद किया गया तो पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. उस समय उसे सहायता राशि के रूप में साढ़े आठ लाख रुपए मिले थे. इस बार भी बेटे की हत्या होने पर सवा चार लाख की रकम पा चुकी थी और बाकी रकम मिलने का इंतजार कर रही थी.

(इनपुट- रिपोर्टर और भाषा से भी)

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