एलआईयू की जांच में ये बात सामने आई है कि तन्वी एक साल से लखनऊ में नहीं रह रही थी. जबकि, पासपोर्ट के लिए किसी का एक एड्रेस पर एक साल तक रहना जरूरी है.
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नई दिल्ली/लखनऊ: तन्वी पासपोर्ट विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. तन्वी पासपोर्ट मामले में एक नया खुलासा हुआ है. जानकारी के मुताबिक, लखनऊ पुलिस, एलआईयू (लोकल इंटेलिजेंस यूनिट) की जांच में ये बात सामने आई है कि तन्वी एक साल से लखनऊ में नहीं रह रही थी. जबकि, पासपोर्ट के लिए किसी का एक एड्रेस पर एक साल तक रहना जरूरी है. ऐसे में तन्वी का पासपोर्ट पुलिस और एलआईयू (लोकल इंटेलिजेंस यूनिट) की जांच में अटक गया है. हालांकि, एसएसपी लखनऊ का कहना है कि जांच अभी पूरी नहीं हुई है.
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पुलिस ने किया वेरिफिकेशन
पुलिस की लोकल इंटेलिजेंस यूनिट सोमवार (25 जून) को तन्वी के ससुराल गई थी. तन्वी ने अमीनाबाद में अपने ससुराल का पता पासपोर्ट में बतौर प्रेजेंट और परमानेंट एड्रेस दिया है. टीम को वहां उसके रहने के दस्तावेज नहीं मिले, फिलहाल अब एलआईयू तन्वी के नोएडा एड्रेस को भी वेरीफाई करेगी. लखनऊ में रहने का उनका दावा झूठा निकला है. तन्वी के पड़ोसियों के मुताबिक, वे अपने पति के साथ नोएडा में ही रहती हैं. जब पुलिस ने तन्वी सेठ के मोबाइल नंबर की कॉल डिटेल निकाली तो पता चला कि तन्वी 14 जून से पहले नोएडा में रह रही थीं. पासपोर्ट बनवाने के लिए वे यहां लखनऊ आईं थी. 19 जून को उन्होंने आवेदन किया था.
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क्या है नियम
नियम के मुताबिक, जिस पते पर आप एक साल से रहते हैं, उसी पते पर आपका पासपोर्ट बनेगा. सेना, केन्द्रीय पुलिस बल और स्टूडेंट्स को इस नियम में छूट है. इस हिसाब से नोएडा में रहने वाली तन्वी सेठ को गाजियाबाद पासपोर्ट ऑफिस में आवेदन करना चाहिए था.
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नाम को लेकर पचा पेंच
तन्वी के नाम को लेकर भी पेंच है. तन्वी ने जिस पासपोर्ट ऑफिसर पर बदसलूकी का आरोप लगाया था, उन्होंने भी ये दावा किया कि तन्वी सेठ के निकाह नामा और आधार कार्ड में अलग-अलग नाम है. पासपोर्ट ऑफिसर विकास मिश्रा ने कहा था कि निकाहनामा में उनका नाम सादिया अनस है और आधार कार्ड में तन्वी सेठ नाम दर्ज है.
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बिना पुलिस वेरिफिकेशन के बना पासपोर्ट
21 जून को सवेरे 11 बजे तन्वी सेठ और उनके पति अनस सिद्दीकी को हाथोंहाथ पासपोर्ट दे दिया गया था. तन्वी का पासपोर्ट नया बना था जबकि अनस का पासपोर्ट रीन्यू हुआ था. बिना पुलिस वेरिफिकेशन के पासपोर्ट देने पर विवाद बढ़ गया. तब रीजनल पासपोर्ट अफसर पीयूष वर्मा ने कहा था कि हमारा ये अधिकार है हम किसी को पासपोर्ट दे सकते हैं. पुलिस वेरिफिकेशन बाद में भी हो जाता है. वैसे ये नियम तत्काल कैटेगरी में है. लेकिन तन्वी ने जनरल कोटे से पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था.
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क्या है मामला
गौरतलब है कि 20 जून को पासपोर्ट अधिकारी विकास मिश्रा पर आवेदक तन्वी सेठ ने बदसलूकी का आरोप लगाया था. तन्वी सेठ के मुताबिक, जब वो अपना आवेदन लेकर विकास मिश्रा के पास गईं, तो उन्होंने मुस्लिम से शादी करने को लेकर निजी कमेंट किए. तन्वी सेठ का आरोप है कि जब उन्होंने इसका विरोध किया तो विकास मिश्रा ने उनके साथ बदसलूकी भी की. तन्वी सेठ ने इस पूरे मामले की शिकायत ट्विटर के जरिये विदेश मंत्रालय और पीएमओ से की थी. घटना की जानकारी मिलते ही विदेश मंत्रालय ने तुरंत कार्रवाई कर लखनऊ कार्यालय से रिपोर्ट मांगी थी. इसके बाद विकास मिश्रा का तबादला गोरखपुर करने के साथ आनन-फानन में तन्वी सेठ और अनस सिद्दीकी का पासपोर्ट जारी कर दिया गया था.