दरअसल इस केस में कुल छह पक्षकार हैं. इनमें से एक जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने धवन को हटाया है. लेकिन बाकी पांच अन्य मुस्लिम पक्षकार उनको अपना प्रमुख वकील बनाए रखना चाहते हैं.
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नई दिल्ली: अयोध्या केस (Ayodhya Case) में मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन (Rajeev Dhavan) के 'हटने' या 'हटाए जाने' पर विवाद उठने के बाद अब कहा जा रहा है कि वह मुस्लिम पक्षकारों के वकील बने रह सकते हैं. दरअसल इस केस में कुल छह पक्षकार हैं. इनमें से एक जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने धवन को हटाया है. लेकिन बाकी पांच अन्य मुस्लिम पक्षकार उनको अपना प्रमुख वकील बनाए रखना चाहते हैं. आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) राजीव धवन से पैरवी के लिए मनाने की कोशिशें कर रहा है. इस दिशा में मुस्लिम पक्ष आज प्रेस कांफ्रेंस भी कर सकता है.
दरअसल सभी मुस्लिम पार्टियों की शनिवार को राजीव धवन के साथ मुलाकात हुई थी. उसमें तय किया गया कि मुस्लिम पक्ष पुनर्विचार याचिका दायर करेगा. ये भी कहा जा रहा है कि राजीव धवन ने याचिका को आखिरी तौर पर तैयार भी किया. लेकिन अचानक जमीयत के वकील एजाज मकबूल ने सोमवार को धवन से सलाह-मशविरा किए बिना अकेले ही सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की. इससे राजीव धवन नाराज हो गए. उसके बाद उन्होंने जमीयत को लिखकर कहा कि यदि उनको हटाए जाने का फैसला हुआ है तो वह इसे स्वीकार करते हैं.
जमीयत के अध्यक्ष अरशद मदनी ने कहा कि राजीव धवन बीमार हैं इसलिए एजाज मकबूल ने याचिका दायर की. लेकिन सूत्रों के मुताबिक इसमें सच्चाई नहीं है. सूत्रों का कहना है कि दरअसल मदनी पुनर्विचार याचिका दायर नहीं करना चाहते थे. लेकिन जब एआईएमपीएलबी (AIMPLB) ने साफ कर दिया कि वे पुनर्विचार याचिका दायर करने के पक्ष में हैं तो मजबूर होकर उन्होंने भी साथ देने का फैसला किया. चूंकि राजीव धवन पुनर्विचार याचिका के लिए कह रहे थे और इस संबंध में अधिकांश निर्णय ले रहे थे, इस कारण मदनी उनको हटाना चाहते थे.
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इस पूरे घटनाक्रम के बारे में AIMPLB का मानना है कि इससे गलत संदेश गया है. एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि इससे ये संदेश गया कि मुस्लिमों ने राजीव धवन का इस्तेमाल किया और उसके बाद हटा दिया. दरअसल ये राजीव धवन ही थे जिन्होंने मुस्लिम पक्षकारों के केस को अंतिम शक्ल दी थी. इसलिए जमीयत के बजाय AIMPLB राजीव धवन को मुस्लिम पक्ष का वकील बने रहने के लिए मनाने की कोशिशें कर रहा है.