'मैं उस बात का विरोध कर रहा था जो अटल जी चाहते थे...फिर उनका फोन आया': राजनाथ सिंह
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'मैं उस बात का विरोध कर रहा था जो अटल जी चाहते थे...फिर उनका फोन आया': राजनाथ सिंह

अटल जी की सहृदयता के बारे में बताते हुए राजनाथ सिंह ने उनसे जुड़े अपने अनुभव साझा किये.

'मैं उस बात का विरोध कर रहा था जो अटल जी चाहते थे...फिर उनका फोन आया': राजनाथ सिंह

विनोद मिश्रा, लखनऊ: ''मैं उस बात का विरोध कर रहा था जो अटल जी चाहते थे, लेकिन अंत में मैंने वही किया जो अटल जी चाहते थे और फिर अटल जी का फोन आया...'' अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़ी इन बातों को देश के गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को लखनऊ के लोक-भवन में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान साझा किया.

  1. अटल बिहारी वाजपेयी की 25 दिसंबर को 94वीं जयंती
  2. ‘महानायक अटल’ विषय पर आयोजित गोष्‍ठी में राजनाथ सिंह बोले
  3. 2002-03 में बीजेपी-बसपा गठबंधन से जुड़े एक किस्‍से को साझा किया

अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन के मौके पर लखनऊ के लोक-भवन में एक विचार-गोष्ठी का आयोजन किया गया था. ‘महानायक अटल’- विषय पर आयोजित इस विचार गोष्ठी में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल राम नाईक, विधान-सभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित के अलावा केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद थे. सभी वक्ताओं ने मंच से अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में बताया और साथ ही अटल जी से जुड़ी स्मृतियों को भी साझा किया.

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राजनाथ ने साझा किए अपने अनुभव
इसी मौके पर अटल जी की सहृदयता के बारे में बताते हुए राजनाथ सिंह ने उनसे जुड़े अपने अनुभव साझा किये. राजनाथ सिंह ने कहा, ''एक बार यूपी में बीजेपी और दूसरे सियासी दल के साथ गठजोड़ कर सरकार बनाने की बात चल रही थी. अटल जी भी ऐसा चाहते थे, बावजूद इसके मैं लगातार विरोध कर रहा था. मैंने कई मौकों पर विरोध किया, लेकिन अंत में वही हुआ जो अटल जी चाहते थे. मैंने वही किया जो अटल जी को पसंद था. सदन में भी मैंने वही बोला जो अटल जी सुनना चाहते थे. हालांकि अटल जी सदन में मौजूद नहीं थे, लेकिन ये बातें उन तक कांशीराम ने पहुंचाई. और उसके बाद अटल जी का फोन मेरे पास आया.''

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इसके साथ ही राजनाथ सिंह ने कहा, ''अटल जी तब देश के प्रधानमंत्री थे. अटल जी ने फोन पर कहा कि क्या आपके दर्शन हो सकते हैं? मैंने कहा कि आप आदेश करिए. तब अटल जी ने कहा कि आप शाम को दिल्ली आइए.

राजनाथ सिंह ने कहा कि अटल जी के फोन कटने के कुछ ही देर बाद पीएम हाउस से दोबारा फोन आया और पूछा गया कि आप वेज खाते हैं या नान-वेज. मैंने कहा वेज. इस फोन के तुरंत बाद फिर अटल जी का फोन आया और उन्होने हंसते हुए कहा कि कैसे ठाकुर हैं जो  कट-पीस नहीं खाते. ये अटल जी ही हो सकते हैं जो हर बात को इस सहजता और सहृदयता  से करते थे. अपने छोटे से छोटे कार्यकर्ता से बात कर उसे समझना अटल जी को बखूबी आता था.

बीजेपी-बीएसपी गठबंधन की बात
दरअलस राजनाथ सिंह, अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़े जिस वाकये का जिक्र कर रहे थे, वो था बीजेपी ओर बीएसपी का गठबंधन. सन 2002-03 में बीजेपी और बीएसपी के गठबंधन की सरकार बनने की वकायद चल रही थी. तब राजनाथ यूपी में बीजेपी के बड़े नेता थे. और इससे पहले मुख्यमंत्री भी रह चुके थे.

लखनऊ के सियासी गलियारों में तब ये चर्चा भी थी कि राजनाथ, बीएसपी के साथ गठबंधन कर तीसरी बार सरकार बनाने के पक्ष में नहीं थे, लेकिन तब दिल्ली में एनडीए की सरकार थी और अटल जी प्रधानमंत्री थे. दरअसल अटल जी चाहते थे कि यूपी में बीएसपी और बीजेपी की गठबंधन की सरकार बने. लिहाजा गठबंधन हुआ और तय हुआ कि दोनों पार्टियों से 6-6 महीने के लिए मुख्यमंत्री बनेंगे. भारतीय जनता पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की गठबंधन की तीसरी बार सरकार बनी और मायावती सीएम बनीं.

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