उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में अयोध्या में 2.77 एकड़ की विवादित भूमि को तीन हिस्सों में विभक्त करके इसे सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच बांटने की व्यवस्था दी थी.
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में राम जन्मभूमि- बाबरी मस्जिद मालिकाना विवाद में अंतिम सुनवाई पांच दिसंबर से करने का शुक्रवार (11 अगस्त) को फैसला किया और साथ ही स्पष्ट किया है कि किसी भी परिस्थिति में इसमें स्थगन नहीं दिया जायेगा. न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की तीन सदस्यीय विशेष खंडपीठ करीब डेढ घंटे की गहन मंत्रणा के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर सुनवाई शुरू करने के बारे में सहमति पर पहुंची.
कोर्ट ने इस मामले के सभी पक्षों से कहा कि इसमें शामिल दस्तावेज, जिन पर वे निर्भर करेंगे, का 12 सप्ताह के भीतर अंग्रेजी में अनुवाद करायें क्योंकि ये आठ अलग अलग भाषाओं में हैं. इसके अलावा, पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि वह इस मालिकाना हक के वाद के निर्णय के लिये हाई कोर्ट में दर्ज साक्ष्यों का दस सप्ताह के भीतर अंग्रेजी में अनुवाद कराये. हाई कोर्ट ने अपने फैसले में अयोध्या में 2.77 एकड़ की विवादित भूमि को तीन हिस्सों में विभक्त करके इसे सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच बांटने की व्यवस्था दी थी.
शीर्ष अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि सभी पक्षों को कोर्ट द्वारा निर्धारित समय सीमा का पालन करना होगा और किसी भी परिस्थिति में स्थगन नहीं दिया जायेगा. राम लला की ओर से वरिष्ठ सी एस वैद्यनाथन और उप्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने इस मामले की शीघ्र सुनवाई करने पर जोर दिया, जबकि दूसरे पक्षकारों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, अनूप जार्ज चौधरी और राजीव धवन अगले साल जनवरी से पहले इस पर सुनवाई शुरू करने के पक्ष में नहीं थे.