Devuttan Ekadashi 2023: तुलसी विवाह की पूजा में जरूर करें मंगलाष्टक का पाठ, घर आएगी सुख-समृद्धि
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Devuttan Ekadashi 2023: तुलसी विवाह की पूजा में जरूर करें मंगलाष्टक का पाठ, घर आएगी सुख-समृद्धि

Tulsi Vivah 2023: पौराणिक कथानुसार इस दिन मां तुलसी और भगवान विष्णु के शालीग्राम रूप के साथ विवाह हुआ था. इस दिन तुलसी जी की पूजा के दौरान मंगलाष्टक (Tulsi Mangalashtak) का पाठ करना चाहिए. 

Devuttan Ekadashi 2023: तुलसी विवाह की पूजा में जरूर करें मंगलाष्टक का पाठ, घर आएगी सुख-समृद्धि

Tulsi Vivah 2023: कार्तिक मास के देवोत्थान एकादशी के दिन तुलसी विवाह होता है. पौराणिक कथानुसार इस दिन मां तुलसी और भगवान विष्णु के शालीग्राम रूप के साथ विवाह हुआ था. इस दिन तुलसी जी की पूजा के दौरान मंगलाष्टक (Tulsi Mangalashtak) का पाठ करना चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से रोग-दोष से मुक्ति मिलती है और घर में सुख-समृद्धि आती है. 

तुलसी विवाह मंगलाष्टक (Tulsi Mangalashtak)
॥ अथ मंगलाष्टक मंत्र ॥
ॐ श्री मत्पंकजविष्टरो हरिहरौ, वायुमर्हेन्द्रोऽनलः।
चन्द्रो भास्कर वित्तपाल वरुण, प्रताधिपादिग्रहाः ।
प्रद्यम्नो नलकूबरौ सुरगजः, चिन्तामणिः कौस्तुभः,
स्वामी शक्तिधरश्च लांगलधरः, कुवर्न्तु वो मंगलम् ॥1
[1:51 pm, 21/11/2023] Piranjali: गंगा गोमतिगोपतिगर्णपतिः, गोविन्दगोवधर्नौ,
गीता गोमयगोरजौ गिरिसुता, गंगाधरो गौतमः ।
गायत्री गरुडो गदाधरगया, गम्भीरगोदावरी,
गन्धवर्ग्रहगोपगोकुलधराः, कुवर्न्तु वो मंगलम् ॥2

नेत्राणां त्रितयं महत्पशुपतेः अग्नेस्तु पादत्रयं,
तत्तद्विष्णुपदत्रयं त्रिभुवने, ख्यातं च रामत्रयम् ।
गंगावाहपथत्रयं सुविमलं, वेदत्रयं ब्राह्मणम्,
संध्यानां त्रितयं द्विजैरभिमतं, कुवर्न्तु वो मंगलम् ॥3

बाल्मीकिः सनकः सनन्दनमुनिः, व्यासोवसिष्ठो भृगुः,
जाबालिजर्मदग्निरत्रिजनकौ, गर्गोऽ गिरा गौतमः ।
मान्धाता भरतो नृपश्च सगरो, धन्यो दिलीपो नलः,
पुण्यो धमर्सुतो ययातिनहुषौ, कुवर्न्तु वो मंगलम् ॥4

गौरी श्रीकुलदेवता च सुभगा, कद्रूसुपणार्शिवाः,
सावित्री च सरस्वती च सुरभिः, सत्यव्रतारुन्धती ।
स्वाहा जाम्बवती च रुक्मभगिनी, दुःस्वप्नविध्वंसिनी,
वेला चाम्बुनिधेः समीनमकरा, कुवर्न्तु वो मंगलम् ॥5

गंगा सिन्धु सरस्वती च यमुना, गोदावरी नमर्दा,
कावेरी सरयू महेन्द्रतनया, चमर्ण्वती वेदिका ।
शिप्रा वेत्रवती महासुरनदी, ख्याता च या गण्डकी,
पूर्णाः पुण्यजलैः समुद्रसहिताः, कुवर्न्तु वो मंगलम् ॥6

लक्ष्मीः कौस्तुभपारिजातकसुरा, धन्वन्तरिश्चन्द्रमा,
गावः कामदुघाः सुरेश्वरगजो, रम्भादिदेवांगनाः ।
अश्वः सप्तमुखः सुधा हरिधनुः, शंखो विषं चाम्बुधे,
रतनानीति चतुदर्श प्रतिदिनं, कुवर्न्तु वो मंगलम् ॥7

ब्रह्मा वेदपतिः शिवः पशुपतिः, सूयोर् ग्रहाणां पतिः,
शुक्रो देवपतिनर्लो नरपतिः, स्कन्दश्च सेनापतिः ।
विष्णुयर्ज्ञपतियर्मः पितृपतिः, तारापतिश्चन्द्रमा,
इत्येते पतयस्सुपणर्सहिताः, कुवर्न्तु वो मंगलम् ॥8
॥ इति मंगलाष्टक समाप्त ॥

Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां मीडिया रिपोर्ट्स, धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.

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