उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर जिले की रहने वाली 28 वर्षीय महिला को प्रेग्नेंसी के दौरान एक जांच में पता चला कि उनके गर्भाशय में जुड़वा भ्रूण विकसित हो रहे थे
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर जिले की रहने वाली 28 वर्षीय महिला को प्रेग्नेंसी के दौरान एक जांच में पता चला कि उनके गर्भाशय में जुड़वा भ्रूण विकसित हो रहे थे. उनके लिए चिंता की सबसे बड़ी बात यह थी कि उन दोनों बच्चों में से एक बच्चा बिना दिल के विकसित हो रहा था. इस वजह से दोनों भ्रूण में एक ही दिल से खून की सप्लाई हो रही थी. इस वजह से मां और पेट में पल रहे उसके बच्चे दोनों की जान पर बन आई थी. इस समस्या को लेकर महिला के परिजन उन्हें प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान पहुंचे जहां डॉक्टरों की एक टीम ने एक सफल ऑपरेशन किया और मां और उनके एक बच्चे की जान बचा ली.
खतरे में पड़ गया था मां का जीवन
बताया जा रहा है कि महिला के गर्भ में पल रहे दोनों भ्रूणों में एक अविकसित भ्रूण का केवल आधा शरीर ही विकसित हो रहा था. इसके साथ ही उसके शरीर में दूसरे बच्चे के दिल से ही खून की सप्लाई हो रही थी. उस की वजह से पेट में पल रहे सामान्य बच्चे और मां का जीवन खतरे में पड़ गया था. एसजीपीजीआई में बेहतर इलाज की उम्मीद लेकर पहुंचे परिजनों को आखिरकार सफलता मिली और उनके घर एक स्वस्थ बच्चे ने जन्म लिया.
डॉक्टर ने कर दिखाया चमत्कार
डॉ. मंदाकिनी प्रधान के नेतृत्व में SGPGI की डॉक्टर्स की टीम ने 2 जून 2018 को RFA (Radio Frequency Ablation) तकनीक से सामान्य बच्चे के हृदय से अविकसित भ्रूण में ब्लड सप्लाई रोक दी. इस ऑपरेशन के बाद डॉक्टर्स ने महिला को लगातार निगरानी पर रखा. और आखिरकार इस मेडिकल चमत्कार के जरिए 29 अगस्त को महिला ने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया. फिलहाल बच्चा और मां दोनों सामान्य और स्वस्थ हैं.