शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने क्यों कहा, 'मैंने खोद ली है अपनी कब्र'
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शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने क्यों कहा, 'मैंने खोद ली है अपनी कब्र'

वसीम रिजवी ने कहा, 'मैंने अपनी कब्र तैयार कर ली है, क्योंकि मैं राम मंदिर की पैरवी कर रहा हूं तो मेरे ऊपर भीड़-भाड़ इलाके में हमला हो सकता है और मुझे मारा जा सकता है.'

यूपी शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी अयोध्या के विवादित स्थल को लेकर अपनी बिरादरी से अलग राय रखते हैं.

लखनऊ: अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर बनाने में अपना समर्थन देने वाले उत्तर प्रदेश में शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने खुद के जान को खतरा बताया है. वसीम रिजवी ने कहा, 'मैंने अपनी कब्र तैयार कर ली है, क्योंकि मैं राम मंदिर की पैरवी कर रहा हूं तो मेरे ऊपर भीड़-भाड़ इलाके में हमला हो सकता है और मुझे मारा जा सकता है. मुझे जो सुरक्षा मिली है वह नाकाफी है. मेरे परिवार में भी डर का माहौल है. उनपर भी हमला हो सकता है. मेरे ऊपर एफआईआर करा दी जा रही है धमकी मिल रही है.'

  1. शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी राम मंदिर के हैं समर्थक
  2. वे चाहते हैं कि अयोध्या में राम मंदिर बनना चाहिए
  3. वे बाबरी मस्जिद को बता चुके हैं कलंक

'हिंदुस्तान में बाबरी ढांचा एक कलंक'
शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सैयद वसीम रिजवी ने कहा है कि हिंदुस्तान की जमीन पर बाबरी ढांचा कलंक है. उन्होंने कहा कि समझौते की मेज पर बैठकर हार-जीत के बगैर राम का हक हिंदुओं को वापस करना चाहिए और एक नई अमन की मस्जिद लखनऊ में जायज पैसों से बनाने की पहल करनी चाहिए. वसीम रिजवी ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर कहा कि मस्जिद के नीचे की खुदाई 137 मजदूरों ने की थी, जिसमें 52 मुसलमान थे. खुदाई के दौरान 50 मंदिर स्तंभों के नीचे ईटों का बनाया गया चबूतरा मिला था.

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उन्होंने कहा, "मंदिर से जुड़े कुल 265 पुराने अवशेष भी मिले थे. इसी आधार पर भारतीय पुरातत्व विभाग इस निर्णय पर पहुंचा था कि ऊपरी सतह पर बनी बाबरी मस्जिद के नीचे एक मंदिर दबा हुआ है. सीधे तौर से माना जाए कि बाबरी ढांचा इन मंदिरों को तोड़कर इनके मलबे पर बनाई गई है."

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रिजवी ने कहा कि इस बात का उल्लेख के.के. मोहम्मद की किताब "मैं भारतीय हूं" में भी किया गया है. ऐसी स्थिति में बाबरी कलंक को जायज मस्जिद कहना इस्लाम के सिद्धांतों के विपरीत है.

उन्होंने अपील की है कि अभी भी वक्त है, बाबरी मुल्ला अपने गुनाहों की तौबा करें. पैगंबर मोहम्मद साहब के इस्लाम को मानें. उन्होंने कहा, "एक समझौते की मेज पर बैठकर हार-जीत के बगैर राम का हक हिंदुओं को वापस करो और एक नई अमन की मस्जिद लखनऊ में जायज पैसों से बनाने की पहल करो.'

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