बुंदेलखंड के चुनावी नतीजों से यूपी में भी बदलेगी बयार, MP के 13 जिलों के नतीजों पर रहेगी नजर
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बुंदेलखंड के चुनावी नतीजों से यूपी में भी बदलेगी बयार, MP के 13 जिलों के नतीजों पर रहेगी नजर

3 दिसंबर को चुनाव का परिणाम आने वाला है. इस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है

बुंदेलखंड के चुनावी नतीजों से यूपी में भी बदलेगी बयार, MP के 13 जिलों के नतीजों पर रहेगी नजर

मध्य प्रदेश में चुनाव संपन्न हो गया है. 3 दिसंबर को चुनाव का परिणाम आने वाला है. इस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है. सपा बसपा भी इस चुनावी रण में ताल ठोकते हुए नजर आ रहे हैं. 

मध्य प्रदेश में पिछले 18 सालों से बीजेपी की सरकार है. पिछली बार कांग्रेस यहां सबसे बड़ी पार्टी बनकर आई थी. लेकिन बागियों की वजह से वह सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई और सीएम कमलाथ को इस्तीफा देना पड़ा था. यूपी के सीमावर्ती इलाके में मध्य प्रदेश के  13 जिले सीमा साझा करते हैं. मुरैना, भिंड, दातिया, शिवपुरी, अशोक नगर, सागर, टीकमगढ़, निवाड़ी, ,छतरपुर, पन्ना, सतना, रीवा, सीधी, सिंगरौली  इन जिलों के कई सीट से प्रदेश के कद्दावर नेता चुनावी मैदान में है. भाजपा की तरफ से  मुख्यमंत्री पद के दावेदार माने जा रहे केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर मुरैना के दिमनी से चुनावी मैदान में है. 
 
सपा के लिए कितना फायदा
सपा 2018 के विधान सभा चुनाव में 5 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और सिर्फ बिजाबर सीट से ही अपने प्रत्याशी को जीता पाई थी. पार्टी इस बार कांग्रेस के साथ गठबंधन करके मध्य प्रदेश का चुनाव लड़ना चाहती थी लेकिन कांग्रेस ने विधान सभा स्तर पर गठबंधन करने से मना कर दिया. पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव 71 प्रत्याशी कांग्रेस के खिलाफ मैदान में उतार दिये. सपा 2003 में मध्य प्रदेश में 7 सीट के साथ कुल मतदान के 7.06 प्रतिशत वोट पाई थी. पार्टी उस प्रदर्शन को फिर से दोहराना चाहती है. वहीं इस चुनाव के माध्यम से सपा अपने काडर को यह संदेश भी देना चाहती है कि वह राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पैठ बढ़ाने में लगी है.

बसपा के लिए कितना अनुकूल परिस्थिति
बसपा मध्य प्रदेश में ग्वालियर चंबल और बुदेलखंड के साथ बघेलखंड में दलित मतदाताओं में मजबूत स्थिती में है. पार्टी का अबतक के इतिहास का सबसे सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 29 सीटो पर जीत का रहा है. बसपा के ताकत का अंदाजा आप इस आकड़ों से ही लगा सकते हैं कि 2008 में बीजेपी ने 143 सीट, कांग्रेस 71 सीट और बसपा ने 7 सीटे जीती थी. तब बसपा को वोटशेयर 9 प्रतिशत था.  2018 के चुनाव में पार्टी भले ही सिर्फ 2 सीट जीत पाई लेकिन कई जगहों पर नंबर 3 पर थी. इस बार पार्टी अपने नये गठबंधन के साथी जजपा के साथ मिलकर चुनाव में कुछ समीकरण साधने और बनाने में लगी हुई है.

हाल ही में यूपी में 2022 के विधान सभा चुनाव में बुदेलखंड के 19 सीटों में 16 सीट जीतकर बीजेपी ने अपना कमल खिलाए रखा. लेकिन क्या यूपी के बुदेलखंड का जादू मध्य प्रदेश के बुदेलखंड वाले इलाके में नजर आएगा. 2018 में इस क्षेत्र में बीजेपी का पलड़ा भारी था. सवाल यह है कि क्या बीजेपी अपना प्रदर्शन दोहरा पाएगी या फिर कांग्रेस कुछ कमाल दिखाएगी.

मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड रीजन में भी भाजपा का कमल खिल रहा है. 7 जिलों में 26 विधान सभा वाला यह क्षेत्र मध्य प्रदेश में मंत्रियों वाले क्षेत्र से पहचाना जाता है. इस क्षेत्र में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ रहा है. भाजपा 20 सीटों पर बढ़त बना ली है. इससे पहले वाले चुनाव में भी बीजेपी इस क्षेत्र में आगे थी. पिछले चुनाव में बीजेपी यहां 17 सीटों पर जीत हासिल की थी. यूपी के बुंदेलखंड के तर्ज पर मध्य प्रदेश में भी जनता बीजेपी के कमल को ही खिलाना चाहती है.  

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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