इस अंधविश्वास को 1988 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह से जोड़ कर देखा जाता है. वे एक बार नोएडा आए थे, वापसी के बाद उन्हें तुरंत मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया था.
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नोएडा : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 25 दिसंबर को नोएडा आएंगे. इस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नोएडा-कालकाजी मेट्रो लाइन का उद्घाटन करेंगे. इस कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए योगी नोएडा आ रहे हैं. सीएम योगी का यह दौरा नोएडा से जुड़े उस अंधविश्वास को तोड़ने के तौर पर भी देखा जा रहा है जिसमें कहा जाता है कि नोएडा का दौरा करने वाले मुख्यमंत्री जल्द ही अपनी कुर्सी गंवा देते हैं. सूत्र बताते हैं कि अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को नोएडा नहीं जाने की सलाह भी दी थी, लेकिन योगी ने अधिकारियों की सलाह को किनारे करते हुए नोएडा आने का फैसला किया है.
भाजपा प्रवक्ता चंद्रमोहन ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन के मौके पर 25 दिसंबर को मेट्रो की वायलेट सेवा के उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रधानमंत्री मोदी के साथ उपस्थित रहेंगे. इस समारोह की तैयारियों का जायजा लेने वह 23 दिसंबर को नोएडा जाएंगे. उन्होंने कहा कि हमारे मुख्यमंत्री जनता के हित में कार्य करने में भरोसा रखते हैं. वह अंधविश्वास में यकीन नहीं करते, जिसकी वजह से पूर्व के मुख्यमंत्री नोएडा जाने से बचते रहे हैं । नोएडा यात्रा के साथ ही योगी इस अंधविश्वास को तोड देंगे.
नोएडा के बारे में यह अंधविश्वास जुड़ा हुआ है कि जो मुख्यमंत्री यहां आता है, वह दोबारा इस पद पर नहीं चुना जाता. पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपने कार्यकाल में कभी नोएडा नहीं आए. नोएडा की योजनाओं का शिलान्यास हो या फिर लोकार्पण, वे लखनऊ में बैठ कर ही किया करते थे. हालांकि नोएडा नहीं आने के बाद भी 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्हें करारी हार का समाना करना पड़ा था.
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बीएसपी सुप्रीमो मायावती के बारे में भी यही कहा जाता है कि वे अपने कार्यकाल में वे दो बार नोएडा आई थीं, जिस वजह से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. इस अंधविश्वास को 1988 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह से जोड़ कर देखा जाता है. वे एक बार नोएडा आए थे, वापसी के बाद उन्हें तुरंत मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया था. उनके बाद कई और नेताओं के साथ ऐसा हुआ. इसलिए नोएडा के साथ यह अंधविश्वास जुड़ गया.